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Modi says 2.6 crore hectares will make barren land fertile by 2030 - Sabguru News
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2030 तक 2.6 करोड़ हेक्टयर बंजर भूमि उपजाऊ बनायेंगे, सिंगल यूज प्‍लास्टिक को अब अलविदा कहे दुनिया: मोदी

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2030 तक 2.6 करोड़ हेक्टयर बंजर भूमि उपजाऊ बनायेंगे, सिंगल यूज प्‍लास्टिक को अब अलविदा कहे दुनिया: मोदी
PM Modi says will strengthen relations with oceanic neighbors
2.6 million hectares will make barren land fertile by 2030, the world should say goodbye to single use plastic: Modi
2.6 million hectares will make barren land fertile by 2030, the world should say goodbye to single use plastic: Modi

ग्रेटर नोएडा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को कहा कि भारत वर्ष 2030 तक 2.6 करोड़ हेक्टयर बंजर जमीन को ऊपजाउ बनायेगा।

मोदी ने संयुक्त राष्ट्र मरुस्थलीकरण रोकथाम सम्मेलन (यूएनसीसीडी) के सदस्य देशों की 02 सितंबर से यहां जारी 14वीं शिखर बैठक के उच्चस्तरीय खंड का आज यहां उद्घाटन करते हुये यह बात कही। उन्होंने कहा,“मैं वैश्विक भूमि एजेंडा के बारे में एक प्रतिबद्धता की घोषणा करना चाहता हूं। पहले भारत ने वर्ष 2030 तक 2.1 करोड़ हेक्टेयर ऐसी जमीन को ऊपजाउ बनाने का लक्ष्य रखा था जो बंजर हो चुकी है। आज हम इस लक्ष्य को बढ़ाकर 2.6 करोड़ हेक्टेयर करने की घोषणा करते हैं।” उन्होंने कहा कि इसके अलावा वृक्षादित क्षेत्र बढ़ाकर तीन अरब टन कार्बन का अवशोषण किया जायेगा जिसका लक्ष्य पहले ढाई अरब टन रखा गया था।

प्रधानमंत्री ने इस मौके पर दुनिया भर के देशों से एक ही बार इस्तेमाल में आने वाले प्लास्टिक को अलविदा कहने और ‘वैश्विक जल एजेंडा’ तैयार करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा,“जमीन की अनुपजाउ होने का एक और स्वरूप है जिस पर हम अभी ज्यादा ध्यान नहीं दे रहे हैं, लेकिन जिससे निपटना नामुमकिन हो सकता है। प्लास्टिक कूड़ा जमीन को बंजर बना देता है। इसलिए हमने एक ही बार इस्तेमाल हो सकने वाले प्लास्टिक का इस्तेमाल बंद करने का फैसला किया है। हम चाहते कि पूरी दुनिया इस तरह के प्लास्टिक को अलविदा कह दे। तभी हम अपेक्षित परिणाम हासिल कर सकेंगे। हम चाहे कितने ही फ्रेमवर्क बना लें, परिणाम जमीनी स्तर पर काम करने से ही हासिल हो सकेगा।”

भारत में भूमि को माता मानकर उसकी पूजा करने का ​उल्लेख करते हुये उन्होंने कहा कि जलवायु और पर्यावरण का प्रभाव जैव—विविधता और जमीन पर सीधे—सीधे पड़ता है। दुनिया इस समय जलवायु परिवर्तन, जमीन के बंजर होने तथा वनस्पतियों और जीवों के लुप्त होने के नकारात्मक प्रभावों को झेल रही है। भारत भविष्य में दक्षिण—दक्षिण सहयोग बढ़ाने के लिए सहर्ष तैयार है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि बंजर जमीन को पुन: ऊपजाउ बनाना और जल संकट के समाधान एक—दूसरे से जुड़े हुये हैं। इसलिए वह वैश्विक स्तर पर जल एजेंडा तैयार करने की अपील करते हैं। उन्होंने इसे भूमि क्षरण निरपेक्षता की रणनीति का केंद्र बिंदु बताया। उन्होंने देश में जल संकट से निपटने के लिए अलग से जलशक्ति मंत्रालय बनाने का भी जिक्र किया।