एकादशी | मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष में आने वाली एकादशी अनेक पापों को नष्ट करती है , इसका नाम मोक्षदा एकादशी है । यह व्रत मोक्ष देने वाला तथा चिंतामणि के समान सब कामनाएं पूर्ण करने वाला होता है। इस व्रत की कथा इस प्रकार है :-
प्राचीन समय में गोकुल नगर में वैखानस नामक राजा थे एक रात उन्होंने स्वप्न में अपने पिता को नर्क में पड़ा देखा। पिता को इस प्रकार देख राजा को बहुत दुख हुआ। राजा ने पर्वत नाम के ब्राह्मण से पिता की मुक्ति का उपाय पूछा ।
मुनि ने बताया कि पिछले जन्म के बुरे कर्मों के फल से ही तुम्हारे पिता नर्क में है।
ऋषि ने कहा यदि तुम मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी का उपवास कर अपने पिता को व्रत का पुण्य फल दे दो तो तुम्हारे पिता नर्क से मुक्त हो जाएंगे। राजा ने अपने परिवार सहित इस एकादशी का व्रत पूरे विधि-विधान से किया और उसका पूर्णपुण्य फल अपने पिता को दे दिया, जिससे राजा का पिता नर्क यातनाओं से मुक्त हो गये और विष्णु लोक को चले गए। यह धनु॔मास की एकादशी भी कहलाती है इस दिन गीता जयंती भी मनाई जाती है क्योंकि इसी दिन भगवान कृष्ण के मुख से गीता का जन्म हुआ था।