्सबगुरु न्यूज-सिरोही। वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने 2009 में माउण्ट आबू को ईको सेंसेटिव जोन घोषित किया गया। तब यहां माउण्ट आबू में निर्माण गतिविधियों के लिए मॉनीटरिंग कमेटी के हाथ था। गत साल नवमबर मेे सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार माउण्ट आबू सेंचुरी के चारों ओर स्थित ग्राम पंचायतों को बफर जोन घोषित करते हुए यहां भी ईको सेंसेटिव जोन घोषित कर दिया है।
यहां भी मॉनीटरिंग कमेटी गठित कर दी है। शुक्रवार को इस मॉनीटरिंग कमेटी की बैठक हुई। इसमें इस बफर जोन में पडऩे वाले आबूरोड, रेवदर और पिण्डवाड़ा पंचायत समिति की ग्राम पंचायतों में निर्माण समेत अन्य हर तरह की गतिविधि की अनुमति स्वयं जारी नहीं करने के निर्देश दिए हैं। बफर जोन की मॉनीटरिंग कमेटी में माउण्ट आबू नहीं आता।
–तो क्या करना होगा अब?
इन ग्राम पंचायतों को हर तरह के प्रस्ताव को लेकर मॉनीटरिंग कमेटी को भेजना होगा। मॉनीटरिंग कमेटी की बैठक में प्रस्तावों पर विचार करने के बाद इसके पर्यावरणीय महत्व को देखते हुए अनुमति जारी की जाएगी। इस बफर जोन में कई गतिविधियां नियंत्रित रहेंगी और कई पूरी तरह से पाबंद रहेंगी।
-जिला कलक्टर हैं अध्यक्ष
माउण्ट आबू वन्यजीव सेंचुरी क्षेत्र में अब दो ईको सेंसेटिव जोन हो गए हैं। एक वो क्षेत्र जो इस सेंचुरी के अंदर हैं। जिनमें माउण्ट आबू नगर पालिका क्षेत्र के अलावा ओरिया ग्राम पंचायत भी शामिल हैं। इसके लिए जो मॉनीटरिंग कमेटी बनी है उसके अध्यक्ष संभागीय आयुक्त हैं और सदस्य सचिव जिला कलक्टर सिरोही हैं। यहां जोनल मास्टर प्लान लागू होने के बाद अब जोनल मास्टर प्लान और बिल्डिंग बायलॉज के अनुसार इसका अधिकार माउण्ट आबू नगर पालिका व ओरिया ग्राम पंचायत के पास आ गया है।
दूसरा ईको सेंसेटिव जोन माउण्ट आबू वन्यजीव सेंचुरी की बाहरी सीमा से सटे हुए करीब एक किलोमीटर तक के इलाके हैं। इसमें आबूरोड, रेवदर और पिण्डवाड़ा पंचायत समिति के माउण्ट आबू सेंचुरी से सटे गांव शामिल हैं। इन गांवों का जोनल मास्टर प्लान बनना बाकी है। दो साल में इसे बनना है। तब तक इसमें नियंत्रित निर्माण गतिविधियों के लिए अनुमति देने का अधिकार मॉनीटरिंग कमेटी को होगा, न कि इस क्षेत्र में पडऩे वाली ग्राम पंचायतों को।
इस वाली मॉनीटरिंग कमेटी के अध्यक्ष जिला कलक्टर सिरोही हैं और सदस्य सचिव माउण्ट आबू सेंचुरी के उप वन संरक्षक। इस ईको सेंसेटिव जोन में पडऩे वाली पंचायत समितियों के प्रधान और बीडीओ भी इस मॉनीटरिंग कमेटी के सदस्य हैं।
ऐसे में शुक्रवार को आयोजित बैठक में जिला कलक्टर ने सभी को बिना मॉनीटरिंग कमेटी की अनुमति के कोई भी एनओसी और अनुमति जारी नहीं करने के निर्देश दिए हैं। जब तक जोनल मास्टर प्लान नहीं बन जाएगा तब तक यह नियंत्रण जारी रहेगा। इस मॉनिटरिंग कमेटी के क्षेत्र में माउण्ट आबू नगर परिषद और ओरिया ग्राम पंचायत नहीं आती।
-अध्यक्ष और सचिव करवा सकेंगे प्रकरण दर्ज
माउण्ट आबू वन्यजीव सेंचुरी के चारों ओर के बफर जोन की तीन पंचायत समितियों के क्षेत्रों को ईको सेंसेटिव जोन में शामिल किया गया है। उसमें केन्द्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय द्वारा प्रतिबंधित गतिविधि जारी देखी गई तो ऐसे प्रकरणों में मॉनीटरिंग कमेटी के अध्यक्ष और सदस्य सचिव वन अधिनियम के तहत प्रकरण दर्ज करवा सकेंगे।
इनका कहना है…..
बफर जोन की मॉनीटरिंग कमेटी माउण्ट आबू की मॉनीटरिंग कमेटी से अलग है। उसके अध्यक्ष संभागीय आयुक्त हैं, बफर जोन वाली का अध्यक्ष जिला कलक्टर हैं। आबूरोड, रेवदर और पिण्डवाड़ा पंचायत समितियों की नोटफाइड ग्राम पंचायतों में नियंत्रित गतिविधि के लिए आने वाले प्रस्तावों को मॉनीटरिंग कमेटी के सदस्य सचिव को भेजने को कहा गया है। कमेटी प्रस्तावों की संख्या के अनुसार बैठके आयोजित करके मेरिट के आधार पर अनुमति जारी करेगी।
भगवति प्रसाद
जिला कलक्टर, सिरोही।