सिरोही। लंबे अर्से से इंतजार के बाद नवगठित की गई माउंट आबू मोनिटरिंग कमिटी की बैठक में तीन ऐसे निर्णय हुए हैं जिसे जानकर पिछले तीन दशकों से जर्जर भवनों के उद्धार का इंतजार कर रहे माउंट आबू के लोगों की बांछे खिल जाएंगी। बैठक की अध्यक्षता सुधीर जैन ने की थी।
समिति के सचिव एवं जिला कलेक्टर डॉ भँवरलाल ने सबगुरु न्यूज को बताया कि बैठक में परसों महिला और जर्जर भवन का छज्जा गिरने से हुए हादसे को ध्यान में रखते हुए ये निर्णय किया गया है कि पीडब्ल्यूडी और नगर परिषद के इंजीनियरों की संयुक्त तकनीकी रिपोर्ट से किसी भवन को जर्जर और जनहित में हानिकारक माना जाता है तो उस स्थिति में उंस भवन को पुनर्निर्माण की अनुमति दी जा सकेगी। इसके लिए शर्त यही होगी कि भवन मालिक को उसी प्लिंथ एरिया और ऊंचाई में उस भवन का पुनर्निर्माण करना होगा।
उन्होंने बताया कि बैठक में छोटी मोटी मरम्मत के लिए निर्माण सामग्री आबूरोड से लाने की समस्या थी। इससे निर्माण सामग्री की लागत ज्यादा हो जाने की भी समस्या आम आदमी को रहती है। ये मामला सामने आने पर बैठक में ये निर्णय किया गया कि माउंट आबू में ही तीन वेंडरों को निर्माण सामग्री रखने की अनुमति दी जाएगी। तीन ही वेंडरों के आवेदन आते हैं तो कोई दिक्कत नहीं, लेकिन तीन से ज्यादा आवेदन आने पर लॉटरी के माध्यम से तीन वेंडरों का चयन किया जाएगा। इन वेंडरों से निर्माण सामग्री के टोकनों को नियमित रूप से वेरिफाई किया जाएगा।
समिति के सचिव ने बताया कि बैठक में लोगों की मूलभूत सुविधाओं को ध्यान में रखते हुए 4 गुना 6 फीट नाप का शौचालय बनाने की अनुमति देने का निर्णय हुआ। इसमें एक शर्त ये रहेगी कि शौचालय की ऊंचाई मकान की ऊंचाई से ज्यादा नहीं होगी। इसके अलावा बैठक में 2009 से पहले के निर्माणों की कम्पाउंडिंग करने का प्रस्ताव भी आया।
नए निर्माण पर ये हुआ निर्णय
कलेक्टर ने बताया कि बैठक में नए निर्माण को लेकर भी चर्चा हुई। इसमें ये निर्णय हुआ कि मोनिटरिंग कमिटी के माध्यम से जोनल मास्टर प्लान संशोधन करने के बाद नए निर्माण की स्वीकृति देने पर सहमति बनी। इसमें एनजीटी के निर्णय में शामिल सम्पत्तियों और नालों को शामिल करके नया जोनल प्लान बनाना है। इस काम को एक महीने में पूरा करने का निर्णय लिया गया है। बैठक में हर महीने मोनिटरिंग कमिटी की बैठक करने का निर्णय किया गया है।