अजमेर। राजस्थान के अजमेर स्थित विश्व प्रसिद्ध सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती के 806वें छह दिवसीय उर्स की रस्में सोमवार को चांद दिखने के बाद प्रारंभ हो गई।
अंजुमन यादगार के सचिव शेखजादा डॉ. अब्दुल माजिद चिश्ती के अनुसार उर्स की सभी रस्में पारंपरिक तरीके से शुरू हो गई। चांद नहीं दिखने की स्थिति में रविवार रात बंद किया गया जन्नती दरवाजा सुबह आस्ताना खुलने के साथ ही पुनः खोल दिया गया जो अब छठी की कुल की रस्म के साथ ही बंद होगा।
दरगाह स्थित महफिल खाने में दरगाह दीवान सैयद जैनुअल आबेदीन अली खान की सदारत में शाही महफिल हुई और देर रात दरगाह दीवान की सदारत में ही ख्वाजा साहब की मजार को पहले गुस्ल की रस्म अदा की जाएगी। यह क्रम अगले छह दिन तक चलेगा।
पच्चीस मार्च को छठी की सुबह कुल की महफिल होगी और अपराह्न सवा बजे कुल की रस्म अदा की जाएगी। इसके साथ ही उर्स की सभी रस्में समाप्त हो जाएगी। अठाईस मार्च को बड़े कुल के साथ ख्वाजा का 806वां उर्स पूरी तरह संपन्न हो जाएगा।
इससे पहले उर्स के दौरान तेईस मार्च को जुम्मे की बड़ी नमाज अदा की जाएगी। ख्वाजा साहब के उर्स के लिए दरगाह को बेहद आकर्षक रोशनी से सजाया गया है। उर्स मेला अब पूरे परवान चढ़ने लगा है। देश के विभिन्न हिस्सों से आए कव्वालों ने जहां सूफियाना कलाम पेश कर दरगाह परिसर को गुंजाएमान कर रखा है वहीं जायरीनों की बढ़ती आवक से दरगाह मेला क्षेत्र में रौनक बढ़ गई।