नई दिल्ली। कांग्रेस ने राफेल विमान सौदे में प्रधानमंत्री कार्यालय पर ‘बिचौलिये’ की भूमिका निभाने का आरोप लगाते हुए शुक्रवार को कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को यह बताना चाहिए कि यह किसे फायदा पहुंचाने के लिए किया गया।
कांग्रेस प्रवक्ता मनीष तिवारी ने यहां पार्टी मुख्यालय में एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि राफेल सौदे की प्रक्रिया से संबंधित जितने भी कागजात सामने आए हैं, उनसे साफ जाहिर है कि पूरी प्रक्रिया में प्रधानमंत्री कार्यालय लगातार हस्तक्षेप कर रहा था और समांतर बातचीत कर रहा था।
पूरी प्रक्रिया में तत्कालीन रक्षा मंत्री और संबंधित अधिकारियों की आपत्तियों को दरकिनार किया गया। उन्होेंने राफेल सौदे के संबंध में फ्रांस के राष्ट्रपति द्वारा प्रधानमंत्री को लिखे एक पत्र का भी उल्लेख किया।
उन्होेंने आरोप लगाया कि राफेल विमान सौदे में प्रधानमंत्री कार्यालय ने बिचौलिये की भूमिका निभाई है। प्रधानमंत्री को यह बताना चाहिए कि किसको फायदा पहुंचाने के लिये प्रधानमंत्री कार्यालय की गरिमा गिराई गई है।
उन्होेंने कहा कि राफेल सौदे की प्रक्रिया ये जुड़े कागजात सामने आने से पूरे मामले की असलियत सामने आ गई है। यह साफ हो गया है कि यह सौदा पूरी तरह से प्रधानमंत्री कार्यालय ने किया है। यह देश के पिछले 70 साल के इतिहास में पहली बार हुआ है कि प्रधानमंत्री कार्यालय ने कोई रक्षा सौदा किया है और पूरी तकनीकी तथा प्रशासनिक प्रक्रिया को अनेदखा किया है।
तिवारी ने रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण की आलोचना करते हुए कहा कि वह राफेल सौदे में सच छिपाने का छिपाने का लगातार प्रयास रही है। उन्होेंने कहा कि सरकार सच छिपाने के लिए आनन फानन में कागजात सार्वजनिक कर रही है और उनसे सच बाहर आ रहा है।
विभिन्न कागजात का उल्लेख करते हुए कांग्रेस नेता ने कहा कि राफेल सौदे में रक्षा मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों से सलाह मशविरा नहीं किया गया और न ही उनकी आपत्तियों पर ध्यान दिया गया तो सौदे के लिए जरुरी जानकारी कहां से जुटाई गई। उन्होेंने तंज किया कि तत्कालीन रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने समझ लिया था कि कुछ गलत हो रहा है इसलिए उन्होंने अपने आप को बचा लिया।
कांगेस नेता ने कहा कि इस मामले में उच्चतम न्यायालय को संज्ञान लेना चाहिए। राफेल सौदे से संबंधित फैसले में उच्चतम न्यायालय ने इस पक्ष की ओर ध्यान नहीं दिया है।
इस बीच पार्टी के मीडिया प्रभारी रणदीप सुरजेवाला ने ट्वीट कर कहा है कि राफेल सौदे की बातचीत की प्रक्रिया में प्रधानमंत्री कार्यालयय का हस्तक्षेप अवैध तथा गैर कानूनी था। प्रधानमंत्री को इस हस्तक्षेप का स्पष्टीकरण देना चाहिए। मोदी को बताया चाहिए कि राष्ट्रीय सुरक्षा से समझौता क्यों किया गया और किसको फायदा पहुंचाया गया।