कोलकाता/नई दिल्ली। कोरोना वायरस (कोविड 19) की महामारी से जूझ रहे देश को ऐसे समय बड़ा झटका लगा है जब पश्चिम बंगाल में सेवारत 600 से अधिक नर्सें काम छोड़कर अपने गृहराज्यों को लौट रही हैं।
इस बीच पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने राज्य के मुख्य सचिव को प्रशासनिक अधिकारियों से संपर्क करने और नर्सों के काम छोड़कर जाने के कारणों को पता लगाने के निर्देश दिए हैं।
मुख्यमंत्री ने आकस्मिक स्थिति में प्राथमिक स्वास्थ्य कर्मियों और सेवानिवृत स्वास्थ्य कर्मियों को भी अस्पतालों में काम पर लगाए जाने की घोषणा की है। जिन निजी अस्पतालों से नर्सें काम छोड़ रही है, वहां के प्रबंधकों ने इस मामले में राज्य सरकार और केंद्र से हस्तक्षेप किए जाने की मांग की है।
दूसरी तरफ भारतीय जनता पार्टी की पश्चिम बंगाल इकाई ने राज्य सरकार से इस समस्या के हल के लिए केंद्र से चर्चा करने का सुझाव दिया है।
प्राप्त रिपोर्ट के मुताबिक शनिवार को 185 नर्सें मणिपुर लौटी हैं जबकि इसके बाद 186 नर्सें अपने गृहराज्यों ओडिशा, झारखंड और त्रिपुरा लौट गईं। रिपोर्ट के मुताबिक केरल, मेघालय और अरुणाचल प्रदेश की मूल निवासी 231 नर्सें सोमवार को अपने गृहराज्यों के लिए रवाना हुई।
यह भी जानकारी मिली है कि कोरोना महामारी की समस्या से जूझ रहे कोलकाता के अस्पताल प्रबंधन काम छोड़कर वापस जाने की योजना बना रही नर्सों से काम पर लौट जाने की सलाह दे रहे हैं। अधिकारियों का कहना है कि अगर नर्सें काम पर वापस आती हैं तो मरीजों के उपचार और ऑपरेशन वगैरह पुन: शुरू किए जा सकेंगे।
कोरोना की महामारी से जूझने के दौरान नर्सों के इस्तीफों के परिप्रेक्ष्य में सभी वर्ग के लोग अब इन घटनाक्रमों के कारणों को जानने और इसके निदान के उपाय खोजने में लगे हैं।
एक वरिष्ठ मेडिकल प्रैक्टिसनर का कहना है कि प्रत्येक व्यक्ति को उस जगह काम करने का अधिकार है, जहां वे चाहते हैं और यह समय स्वास्थ्य कर्मियों को निशाना बनाने का नहीं है।