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विमानन सुरक्षा और संरक्षा नियामकों में आधे से ज्यादा पद खाली
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विमानन सुरक्षा और संरक्षा नियामकों में आधे से ज्यादा पद खाली

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नयी दिल्ली । नागर विमानन के क्षेत्र में विमानों की सुरक्षित उड़ान सुनिश्चित करने वाली तथा यात्रियों एवं परिसंपत्तियों की सुरक्षा के लिए जिम्मेदार नियामक एजेंसियों में आधे से ज्यादा पद खाली पड़े हैं।

विमानों की सुरक्षित उड़ान सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी नागर विमानन महानिदेशालय (डीजीसीए) पर है। इसका काम यह देखना है कि कौन से विमान उड़ान के लिए सुरक्षित हैं तथा उन्हें लगातार उड़ान के लायक बनाये रखने के लिए क्या जरूरी नियम हैं। साथ ही वह इन नियमों को लागू कराने के लिए भी जिम्मेदार है।

इसके अलावा हवाई अड्डों के भीतर या विमानों में आवांछित तत्त्वों जैसे आतंकवादियों, बम, हथियार आदि के प्रवेश को रोकने के लिए नियम तय करने की जिम्मेदारी नागर विमानन सुरक्षा ब्यूरो (बीकास) की है। वह यात्रियों की सुरक्षा जाँच के नियम आदि भी तय करता है। साथ ही वह इन नियमों के क्रियान्वयन को भी सुनिश्चित करता है।

नागर विमानन मंत्रालय के आँकड़ों के अनुसार इस समय डीजीसीए में 50 प्रतिशत और बीकास में 78 प्रतिशत पद खाली है। इस साल 01 मार्च की स्थिति के अनुसार, डीजीसीए में कुल 1,385 पद स्वीकृत हैं। इनमें से 693 पद खाली पड़े हैं। इनमें 700 स्वीकृत पदों पर मात्र 416 अधिकारी और 685 स्वीकृत पदों पर मात्र 276 कर्मचारी नियुक्त हैं। \

बीकास की स्थिति और भी खराब है। यहाँ कुल 590 पद हैं जिनमें से 459 खाली पड़े हैं। इनमें अधिकारियों के 86 स्वीकृत पदों पर मात्र 28 पर अधिकारी नियुक्त हैं जबकि 58 खाली पड़े हैं। कर्मचारियों के 504 स्वीकृत पदों में मात्र 103 पर तैनाती हुई है। देश में तेजी से बढ़ रहे विमानन क्षेत्र के लिए यह स्थिति अच्छी नहीं है क्योंकि हर साल जहाँ हवाई यात्रियों की आवाजाही 15-16 प्रतिशत (अंतर्राष्ट्रीय एवं घरेलू मिलाकर) बढ़ रही है वहीं दूसरी ओर ‘उड़ान’ जैसी योजनाओं से नये हवाई अड्डों की संख्या भी तेजी से बढ़ रही है। ऐसे में सुरक्षा और संरक्षा नियामकों में खाली पड़े पद चिंता का सबब हैं।

नागर विमानन मंत्रालय में भी 19 प्रतिशत पद खाली पड़े हैं। कुल 218 पदों में 42 खाली हैं। इनमें ज्यादातर रिक्त पद कर्मचारियों की श्रेणी में खाली हैं। कर्मचारियों के 159 स्वीकृत पदों में 39 खाली हैं जबकि अधिकारियों में मात्र तीन पद खाली हैं।