जयपुर। पूरे विश्व में इंटरनेट का यूज हमारे देश में ही किया जाता है, लेकिन दिलचस्प बात यह भी है कि ‘नेटबंदी’ के मामले में भी हमारा देश पूरी दुनिया में अव्वल है। भारत में इंटरनेट पर बार-बार बैन लगने का मुख्य कारण हिंसा और आतंकी घटनाएं रही हैं। पिछले कुछ दिनों से देश भर में कई शहरों में इंटरनेट बंद है। इसका मुख्य कारण नागरिकता संशोधन एक्ट को लेकर देश के कई राज्यों में हो रहे विरोध-प्रदर्शन, हिंसा और आगजनी है।
Citizenship Amendment Bill 2019
नागरिकता संशोधन एक्ट के आड़ में कई राज्यों में कुछ शरारती तत्वों द्वारा देश की संपत्तियों को भारी नुकसान पहुंचाया जा रहा है। वहीं सोशल मीडिया पर भी कुछ उपद्रवियों द्वारा देश विरोधी मैसेज फैलाया जा रहा है। ऐसे अफवाहों से हिंसा को बढ़ावा मिलता है। इसे रोकने के लिए सरकार की मजबूरी भी होती है कि वह ऐसे अपनों से निपटने के लिए इंटरनेट पर बैन लगाए। पिछले 8 साल में ये 367 बार किया जा चुका है।
हमारे देश में आतंक और हिंसा ‘नेटबंदी’ का है बड़ा कारण
2014 से अब तक देश में कुल 367 बार इंटरनेट बंद किया जा चुका है। इसके पीछे सबसे बड़े कारण रहे हैं आतंकवाद और सांप्रदायिक हिंसा है। हम अगर साल 2018 की बात करें ताे भारत में कुल 134 बार इंटरनेट सेवाएं बंद की गई जो दुनिया में सबसे ज्यादा थीं। उस साल दुनिया में कुल इंटरनेट शटडाउन की घोषणाओं में से 67 प्रतिशत भारत में ही हुईं। पिछले 8 सालों में सबसे ज्यादा इंटरनेट बंदी जम्मू-कश्मीर में की गई। ये करीब 180 बार है। आतंकी गतिविधियों और वहां होने वाली हिंसा के मद्देनजर यहां इंटरनेट बंद किया गया था।
Article 370 from Jammu and Kashmir
इसी साल 5 अगस्त को केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर से अनुछेद 370 को हटा दिया था। तब से यहां इंटरनेट सेवाएं बंद थीं। यहां आतंकी गतिविधियों के मद्देनजर सबसे अधिक इंटरनेट सेवाएं ठप की गई थी। कांग्रेस शासित राजस्थान इंटरनेट ठप करने वाले राज्यों में दूसरे स्थान पर रहा। राजस्थान में इस साल 18 इलाके इंटरनेट ठप होने से प्रभावित हुए। सांप्रदायिक हिंसा और अफवाहों को रोकने के चलते यहां पर इंटरनेट सेवाओं को ठप किया गया। इसके बाद असम (12), उत्तर प्रदेश(11) और पश्चिम बंगाल(9) में भी इंटरनेट को ठप किया गया।
उत्तर प्रदेश के सबसे अधिक 20 जिलों में इस समय इंटरनेट बंद है
नागरिकता कानून को लेकर देश भर में जारी विरोध प्रदर्शन को देखते हुए प्रशासन ने उत्तर प्रदेश के 20 जिलों में इंटरनेट सेवा बंद कर दी है। दिल्ली से सटे गाजियाबाद में भी इंटरनेट सेवा गुरुवार रात 10 बजे से 24 घंटे के लिए इंटरनेट कर दिया गया। साथ ही लखनऊ, प्रयागराज, मेरठ और आगरा, अलीगढ़, आजमगढ़, फिरोजाबाद, संभल, सहारनपुर, सुल्तानपुर, बागपत, उन्नाव, रामपुर, मऊ, शामली, मुजफ्फरनगर समेत कई शहरों में मोबाइल इंटरनेट सेवा बंद कर दी गई है।
एहतियातन प्रशासन ने प्रदेश के कई शहरों में हिस्सों में धारा 144 लागू कर दी है। सुरक्षा को देखते हुए लखनऊ, बुंदेलखंड और इलाहाबाद यूनिवर्सिटी की परीक्षाएं भी अगले आदेश तक के लिए स्थगित कर दी गई है। ये सभी परीक्षाएं शुक्रवार 20 दिसंबर से शुरू होनी थीं। नागरिकता कानून के खिलाफ उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में गुरुवार को हुई हिंसा के बाद राज्य सरकार ने राजधानी में शनिवार दोपहर तक मोबाइल इंटरनेट एवं एसएमएस सेवाएं बंद कर दी गई हैं।
उत्तर प्रदेश के अतिरिक्त मुख्य सचिव अवनीश कुमार अवस्थी ने गुरुवार देर रात इन जिलों में इंटरनेट बंद करने का निर्देश जारी किया था। अवस्थी ने बताया कि यह आदेश 19 दिसंबर को दोपहर बाद तीन बजे से 21 दिसंबर को दोपहर 12 बजे तक प्रभावी रहेगा। दूसरी ओर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हिंसक प्रदर्शन पर सख्त रुख अपनाया है। नागरिकता संशोधन कानून और हिंसा को देखते हुए उत्तर प्रदेश के अलावा देश के कई शहरों में भी इंटरनेट प्रभावित है।
शंभू नाथ गौतम, वरिष्ठ पत्रकार