मुंबई. अर्जुन कपूर की मां मोना शौरी उन महिलाओं में से एक हैं, जिनकी शादीशुदा जिंदगी दूसरी औरत के चलते बर्बाद हुई। हम बात कर रहे हैं श्रीदेवी की। अगर श्रीदेवी बोनी कपूर की लाइफ में न आई होतीं तो उनका और बोनी का रिश्ता कभी न टूटता। बोनी ने श्रीदेवी के लिए मोना को तलाक दिया और उन्होंने इस अन्याय को चुपचाप बर्दाश्त कर लिया। लेकिन मोना की मां सत्ती शौरी को तभी से श्रीदेवी से नफरत करने लगी थीं, जब उनकी और बोनी की शादी नहीं हुई थी। प्रेग्नेंट श्रीदेवी के पेट में घूंसा मारने की कोशिश की थी…
– एक बार जब उन्हें पता चला कि न्यू ईयर ईव पर श्रीदेवी बोनी के साथ जुहू के एक फाइवस्टार होटल में कॉफ़ी पी रहे हैं तो वे वहां पहुंच गईं और पब्लिकली कपल्स पर हमला कर दिया।
– सत्ती ने अपनी बेटी को न्याय दिलाने की पूरी कोशिश की। यहां तक कि उन्होंने बोनी के खिलाफ के बड़ा केस दायर किया था। लेकिन चूंकि मोना नहीं चाहती थीं कि उनके बच्चों (अर्जुन और अंशुला) के पिता को जनता की अवहेलना का सामना करना पड़े। इसलिए कोर्ट ने इस केस में कोई कार्रवाई नहीं की।
– 2007 के एक इंटरव्यू में मोना ने बोनी के साथ अपने रिलेशनशिप पर खुलकर बात की थी। उन्होंने कहा था, बोनी के साथ मेरी अरेंज मैरिज हुई थी। वे मुझसे 10 साल बड़े थे। हमारी शादी 13 साल पुरानी थी। यही वजह है कि जब मुझे पता चला कि मेरे हसबैंड किसी और से प्यार करते हैं तो धक्का लगा।
– बोनी को अब मेरी नहीं किसी और की जरूरत थी। दूसरा मौक़ा देने के लिए रिश्ते में कुछ भी नहीं बचा था। क्योंकि श्रीदेवी प्रेग्नेंट हो चुकी थीं। उनका रिश्ता कायम हो चुका था। मेरा इससे बाहर निकलना ही बेहतर था।
– मोना ने इस इंटरव्यू में कहा था कि वह दौर बच्चों के लिए भी बहुत बुरा था। उन्होंने बताया था, बेटा अर्जुन और बेटी अंशुला तब स्कूल में थे।
– स्कूल में मेरे बच्चों को भी क्लासमेट्स के बुरे-बुरे तानों का सामना करना पड़ा। लेकिन वे स्ट्रॉन्ग बने और फैक्ट्स को फेस किया।
– अगर मैं बच्चों को उनसे दूर रखती हूं तो मैं बेरहम मां कहलाउंगी। क्योंकि मैं उनकी कमी पूरी नहीं कर सकती। मुझे एक आदमी की तरह सोचना नहीं आता। मैं उन्हें खुश देखना चाहती हूं।
– मोना शौरी ने 25 मार्च 2012 को दुनिया को अलविदा कह दिया था। उनका निधन मुंबई के हिंदुजा अस्पताल में कैंसर के चलते हुआ था। मोना अपने बेटे अर्जुन की पहली फिल्म ‘इशकजादे’ देखना चाहती थीं। उनकी मौत के लगभग डेढ महीने बाद ‘इशकजादे’ रिलीज हुई थी।
– मोना जिंदगी के प्रति सकरात्मक सोच रखती थीं। उन्होंने बहन के साथ मिलकर प्रोडक्शन हाउस खोला और ‘युग’, ‘विलायती बाबू’, ‘हेरा फेरी’ और ‘कैसा ये कानून’ जैसे सीरियल बनाए। मुंबई में फ्यूचर स्टूडियो का निर्माण मोना के विजन का ही कमाल था।
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