सबगुरु न्यूज-सिरोही। तीन दशकों से मकान तक नहीं बना पा रहे माउण्ट आबू वासियों के सब्र का बांध आखिर जागा। पूर्व घोषणा के अनुसार राज्य सरकार द्वारा माउण्ट आबू का बिल्डिंग बायलाॅज को लागू करने में की जा रही देरी को देखते हुए बुधवार से माउण्ट आबू अनिश्चित काल के लिए बंद कर दिया गया।
हर व्यावसायिक प्रतिष्ठान का शटर और दरवाजा बंद हो गया। बंद देखते हुए राज्य सरकार हरकत में आई ओर कई दिनों से मंत्री की टेबल पर धूल खा रहे बिल्डिंग बायलाॅज वहां से उठकर पर्यावरण मंत्रालय को भेजने का पत्र शाम को सोशल मीडिया पर वायरल होने लगा।
सवेरे माउण्ट आबू के सैकडो लोगों ने मौन रैली निकाली और शाम को केंडल मार्च। इधर, इस स्वैच्छिक बंद से सांसद के फिर सांसद, विधायक के फिर विधायक और माउण्ट आबू के पालिकाध्यक्ष के सोजत और रेवदर विधायक पद के लिए दावेदारी के सपने पर तुषारापात हो गया। उनके राजनीतिक अस्तित्व पर संकट मंडराने लगा है। वैसे इस बंद को राजनीतिक धड़ेबाजी का रूप देने की कोशिश भी की गई, लेकिन माउण्ट आबू वासियों ने इसे सिरे से नकार दिया और हर विचारधारा व पार्टी के व्यक्ति ने इसमें भागीदारी निभाई।
माउण्ट आबू में 1976 के बिल्डिंग बायलाॅज से ही निर्माण और मरम्मत पर आंशिक पाबंदी लगनी शुरू हो गई। इस दौरान नक्की के चारों और के इलाकों पर पाबंदी हुई थी। इस समय विरोध के स्वर नहीं उठे। इसके बाद कुछ विशेष लाॅबी के अपने व्यवसायिक फायदे के लिए माउण्ट आबू मे अवैध निर्माण से पर्यावरण संकट के बहाने राजस्थान हाईकोर्ट में एक रिट दाखिल हुई।
इसके बाद माउण्ट आबू में निर्माण पर हाईकोर्ट की पाबंदी लग गई। इससे कुछ राहत के लिए माउण्ट आबू उपखण्ड अधिकारी की अध्यक्षता में एक भवन निर्माण समिति बनी। यह अनुमतियां देने लगी, लेकिन इनकी अनुमति भी माउण्ट आबू के कद्दावर लोगों तक ही शामिल थी।
इस पर तुषारापात हुआ जून 2009 में जब सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार वाइल्ड लाइफ सेंचुरी के सराउंडिंग क्षेत्र को ईको सेंसेटिव क्षेत्र घोषित किए जाने की बाध्यता के कारण माउण्ट आबू को भी ईएसजेड में शामिल करने का नोटिफिकेशन जारी हो गया। इसमें दो साल में माउण्ट आबू को जोनल मास्टर प्लान बनाने को निर्देश था, लेकिन 2011 तक जोनल मास्टर प्लान बना ही नहीं।
कांग्रेस सरकार ने इसमें हर स्तर पर लापरवाही की। भाजपा सरकार ने जनवरी 2015 को इसे केंद्रीय वन एवं पया्रवरण मंत्रालय को भेजा, सितम्बर में यह आंशिक पाबंदी के साथ सरकार को भेजा गया। सरकार बदली तो दो साल बाद 29 अक्टूबर 2015 में जोनल मास्टर प्लान जारी होने को नोटिफिकेशन जारी हुआ, अब बिल्डिंग बायलाॅज जारी किया जाना बाकी था।
लेकिन जोनल मास्टर प्लान में कथित अनियमितता के कारण इसे एनजीटी ने रोक दिया। इस बीच सांसद देवजी पटेल ने दखल देकर आनन-फानन में एक बिल्डिंग बायलाॅज बनाकर उसे नोटिफाइड करवा लिया, यह भी नियमानुसार नहीं था। एनजीटी से हरी झंडी मिलने के बाद बिल्डिंग बायलाॅज बनाया गया। इस पर बनाई गई कमेटी से निर्णय के बाद इसे नगर पालिका में पारित करके राज्य सरकार को नोटिफिकेशन के लिए भेज दिया गया।
छह महीने से ज्यादा समय बीतने के बाद भी इस पर कुछ नहीं हुआ, जबकि पिछले महीने मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के सिरोही में राजस्थान गौरव यात्रा पर आने से पूर्व स्वायत्त शासन मंत्री श्रीकृष्ण कृपलानी आबूरोड आए थे। उनसे आबू वासी मिले थे।
उन्होंने आश्वस्त किया था कि मुख्यमंत्री राजस्थान गौरव यात्रा के दौरान सिरोही में इसकी घोषणा कर देंगी, लेकिन ऐसा हुआ नहीं। अब लोगों का सब्र का बांध टूट गया। ऐसे में आबू संघर्ष समिति का गठन करके एक स्वतः स्फूर्त आंदोलन खड़ा हुआ। जिसकी परिणिति में बुधवार को माउण्ट आबू में अनिश्चितकालीन बंद हो गया।
-अब जागी सरकार
आबूरोड प्रवास के दौरान स्वायत्त शासन मंत्री श्रीचंद कृपलानी से मुलाकात के बाद यह बायलाॅज लागू हो जाना था, लेकिन नहीं हुआ। नगर परिषद ने इसके लिए स्वायत्त शासन विभाग निदेशक पवन अरोड़ा से भी चर्चा की, लेकिन सरकार के कान पर जूं नहीं रेंगी।
जैसे ही तीन अक्टूबर को पूरा माउण्ट आबू बंद हुआ, सरकार में हड़कम्प मच गया। बीस हजार लोगों के हित और एक ही शहर के हजारों लोगों के वोट के खिसकने के डर से ही शायद पवन अरोड़ा ने बुधवार को यह बिल्डिंग बायलाॅज पर्यावरण मंत्रालय को स्वीकृति के लिए भेजा, लेकिन माउण्ट आबू वासी नोटिफिकेशन आने तक अपने बंद को जार रखने की मंशा में हैं।
-हर दुकान बंद, निकली बड़ी रैली
बिल्डिंग बायलाॅज को लेकर माउण्ट आबू वासियों में सरकार की लापरवाही के प्रति क्षोभ इसी बात से दिख जाता है कि आम तौर पर देश के हर बंद से निष्प्रभावी रहने वाला आबू बुधवार को पूरी तरह बंद था। हर होटल, रेस्टोरेंट, दुकान, खोमचा, रेहड़ी पूरी तरह से बंद में शामिल था।
पहले से ही रोडवेज की हड़ताल झेल रहे राजस्थान में टैक्सी ऐसोसिएशनों ने माउण्ट आबू बंद में समर्थन दे दिया। ऐसे में माउण्ट आबू आने और यहां से जाने के लिए पब्लिक ट्रांसपोर्ट की कोई व्यवस्था नहीं है। इतना ही नहीं माउण्ट आबू में निकाली गई शांति रैली में अब तक की किसी रैली से सबसे ज्यादा लोग शामिल नजर आए। शाम को केंडल मार्च निकाला गया।
-पर्यटकों को समस्या
वैसे माउण्ट आबू को तीन मार्च से अनिश्चितकालीन बंद होने की तैयारी और घोषणा एक सप्ताह पहले से ही थी। इसका सूचना सोशल मीडिया से लेकर मेंनस्ट्रीम मीडिया तक में दी गई थी। इसके बावजूद कई लोगों को इसकी जानकारी नहीं मिल पाई। कई पर्यटक यहां पहुंच भी गए, उन्हें समस्या का सामना करना पड़ा। वैसे ऐसे मामले भी सामने आए जब स्थानीय लोगों और संघर्ष समिति के सदस्यों ने इन पर्यटकों की ठहराव की व्यवस्था की, लेकिन फिर भी पर्यटक परेशान रहे।
-कल भी रहेगा बंद
माउण्ट आबू का बिल्डिंग बायलाॅज करने को लेकर माउण्ट आबू अनिश्चितकालीन बंद हो गया है। आबू संघर्ष समिति से जुड़े भास्कर अग्रवाल ने इसके लिए बनाए गए व्हाट्स एप समुह में सूचना प्रसारित की है कि गुरुवार को भी बंद यथावत रहेगा। उन्होंने सभी लोगों को एम के चैराहे पर एकत्रित होने का आह्वान किया है।