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सबगुरु न्यूज-सिरोही। माउंट आबू के पूर्व एसडीएम गौरव सैनी द्वारा शुरू की गई लोगों के फोन नहीं उठाने की परम्परा को अपना चुके माउंट आबू के आयुक्त रामकिशोर विदा हो गए। नए आयुक्त पहले भी यहां रह चुके हैं। वो रामकिशोर की परंपरा अपनाएंगे या छोड़ेंगे वक्त बताएगा।
यूँ रामकिशोर की विदाई का कथित वीडियो वायरल है उसके अनुसार जाते जाते वो ये वादा करके गए कि जब तक वो आयुक्त थे तब तक वो किसी कारण से लोगों का फोन नहीं उठा पाए, लेकिन अब उठाएंगे और वो यहां फिर काम करने के इच्छुक हैं। लेकिन, माउंट आबू अब शायद इतने ज्यादा गैर जवाबदेह अधिकारी को झेलने में सक्षम नहीं हैं।
कथित राजनीतिक संरक्षण के कारण सत्ताधारी दल के नेता विशेष के राजकुमारों के अलावा जनता के प्रति जवाबदारी का पूरी तरह से तिलांजलि देने वाले माउंट आबू के एकमात्र आयुक्त का तमगा रामकिशोर के नाम आएगा। क्योंकि इससे पहले इतनी गैर जवाबदेही शायद ही किसी आयुक्त ने दिखाई हो।
माउंट आबू में रामकिशोर ने अपने कार्यकाल के अंतिम दिनों में तो ये स्थिति कर दी थी कि भवन निर्माण मरम्मत की अर्जियां तक लेने से ना करने लगे थे। उन्हें भी वो टरका कर उपखंड अधिकारी कार्यालय में भेज देते थे। फोन तो वो उठाते थे नहीं। प्रशासन शहरों के संग अभियान के तहत जिले में सबसे खराब परफॉर्मेंस देखी जाए तो माउंट आबू आयुक्त के कार्यकाल के अलावा शायद ही कहीं और देखने मिले।
-तीन साल पर की गवर्नेन्स पर ये सवाल भी
राजस्थान की गहलोत सरकार के तीन साल पूरे करने के दौरान हुई पत्रकार वार्ता में सिरोही में प्रभारी मंत्री महेंद्र चौधरी के सामने सबगुरु न्यूज ने रामकिशोर द्वारा आम जनता का फोन नहीं उठाने पर गहलोत सरकार की जनहितैषी होने के दावे पर सवाल उठाया था। इस पर चौधरि ने इसकी जानकारी करवाने की बात कही थी। नगरीय सेवा के अधिकारी होकर माउंट आबू में रामकिशोर सबसे गैर जवाबदेह आयुक्त के रूप में जाने जाएंगे।
रामकिशोर का हाल में ही पाली जिले में स्थानांतरण हुआ है।अशोक गहलोत राज में फेल गवर्नेन्स के कारण निरंकुश अफसरशाही का जीता जागता उदाहरण माउंट आबू बन चुका है। जहां अधिकारी जनहित को राज्य के दो बड़े नेताओं के पुत्रों के हितों का आगे तिलांजलि दे चुके हैं।
– ये तो नहीं था वो कारण
गौरव सैनी की नगर पालिका माउंट आबू बोर्ड से जबरदस्त अदावत रही। सैनी द्वारा माउंट आबू नगर पालिका में व्याप्त मामलों को उजागर करने की चेतावनी के बाद जादूई अंदाज में टेलीफोनिक कन्वर्सेशन की रिकॉर्डिंग्स बाहर आने लगी थी। रामकिशोर द्वारा जिस कारण का जिक्र किया गया ये वो तो नहीं था, जिसकी वजह से वो फोन नही उठाते थे।
गौरव सैनी द्वारा शुरू की गई परम्परा को यहाँ के अधिकारियों ने पिछले दो सालों से फोन उठाने की जैसे स्थायी आदत बना ली है। सवाल ये है कि माउंट आबू उपखंड अधिकारी कार्यालय और नगर पालिका में नियुक्त अधिकारी कानून सम्मत काम करने वाले हैं तो फिर आमजन के फोन उठाने में उसे डर किस बात से लग रहा है?
-पाली के नेता की सरपरस्ती में जनता को भूले अधिकारी
अंदरखाने चर्चा ये है कि माउंट आबू नगर निकाय में फिलहाल आयुक्तों की नियुक्तियां पाली जिले से चुनाव लड़ने वाले नेता के पुत्र संभाले हुए हैं। ये तीसरा स्थानांतरण है जो उन नेता पुत्र के हस्तक्षेप से माना जा रहा है।
अंदरखाने चर्चा है कि नेता पुत्र के माध्यम से अधिकारियों की नियुक्ति के पीछे का प्रमुख कारण माउंट आबू में चल रहे उंस प्रोजेक्ट को माना जा रहा है, जिसे पूरा करने के लिए यहाँ अधिकारी माउंट आबू के शेष जनता के अधिकारों का हनन करने को अपना अधिकार मान बैठे हैं। यहाँ के लोगों के प्रति यही गैर जवाबदेह बर्ताव इससे पहले के आयुक्त आशुतोष आचार्य का भी रहा।
पिछले दो सालों अधिकतर आयुक्तों का पाली से ही यहां आना कोई इत्तेफाक नहीं माना जा सकता है। माउंट आबू के पूर्व एसडीएम गौरव सैनी द्वारा उनके कर्यवाहक आयुक्त काल के दौरान एक पत्र लिखकर अटकाए गए काम को गौरव सैनी और उनके बाद के दो आयुक्त आज तक जयपुर से नहीं करवा पाए, शायद इसके पीछे की वजह ये रही हो कि इनका ध्येय वाक्य सर्वजन हिताय की बजाय नेतापुत्र हिताय बना चुके हैं।