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Mounts abu palikdhyaksh lift his dharna after removel of misunderstandings - Sabguru News
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विकास पर आबू पालिकाध्यक्ष-आयुक्त का अविश्वास हुआ दूर, धरना उठाया

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विकास पर आबू पालिकाध्यक्ष-आयुक्त का अविश्वास हुआ दूर, धरना उठाया

सबगुरु न्यूज-माउंट आबू। पालिकाध्यक्ष सुरेश सिंदल द्वारा नगर पालिका में प्रशासनिक अधिकारी द्वारा कथित रूप से विकास कार्य रुकने और अन्य मामलों के खिलाफ शुरू किया गया धरना आज आपसी सहमति से उठा लिया गया।

सदस्य सुनील आचार्य की मध्यस्थता में पालिकाध्यक्ष और आयुक्त ने इस विवाद के पीछे कम्युनिकेशन गेप को कारण माना और वास्तविक स्थिति स्पष्ट की।

माउंट आबू में उपखंड अधिकारी कार्यालय में पार्षदों की मौजूदगी में चर्चा करते पालिकाध्यक्ष और उपखंड अधिकारी।
माउंट आबू में उपखंड अधिकारी कार्यालय में पार्षदों की मौजूदगी में चर्चा करते पालिकाध्यक्ष और उपखंड अधिकारी।

दरअसल, भवन निर्माण समिति की बैठक के दौरान ये तथ्य सामने आया कि विकास कार्य की जिन निविदाओं को लेकर पालिकाध्यक्ष आयुक्त पर आरोप लगा रहे थे कि आयुक्त उन्हें अटका रहे हैं उन कामों की पत्रवलियाँ सम्बंधित शाखा से आयुक्त के सामने पहुंची ही नहीं थी। ये तथ्य सामने आने पर जब विकास शाखा में जाकर देखा गया तो वाकई वर पत्रवलियाँ करीब 4-5 महीनों से अपनी शाखा से हिली ही नहीं थी।

माउंट आबू उपखंड अधिकारी को ज्ञापन देते कांग्रेसजन।
माउंट आबू उपखंड अधिकारी को ज्ञापन देते कांग्रेसजन।

कांग्रेस ने किया विरोध, दिया ज्ञापन
पालिकाध्यक्ष का धरना गुरुवार को दूसरे दिन भी जारी रहा। इसी दौरान कांग्रेस नगर अध्यक्ष देवीसिंह और नेता प्रतिपक्ष नारायण सिंह के नेतृत्व में कांग्रेस ने जिला कलेक्टर के नाम उपखंड अधिकारी को ज्ञापन सौंपा। इसमे बताया कि पालिकाध्यक्ष के कार्यकाल में जब भाजपा का शासन था तब भी माउंट आबू में विकास खास परवान नहीं चढ़ पाया।

अब राज्य की सत्ता बदलने पर अपनी नाकामियों को प्रशासन पर फोड़कर पल्ला झाड़ना चाह रहे हैं। ज्ञापन सौंपने वालों में पार्षद भरत लालवानी, यूसुफ, भवरसिंह, ललितसिंह सांखला, भरत राठौड़ आदि शामिल थे।
सोशल मीडिया पर ये चर्चा
माउंट आबू नगर पालिकाध्यक्ष के धरने में उनके सहयोग के लिए अधिसंख्य भाजपा पार्षद भी नहीं पहुंचे थे। कोंग्रेस के सदस्यों का साथ होने का दावा वो कर रहे थे तो उनका ये भ्रम गुरुवार को कांग्रेस पार्षदों ने ज्ञापन देकर तोड़ दिया।

सोशल मीडिया और चौपाल चर्चा में ये बात भी सामने आई कि पालिकाध्यक्ष को शेष सदस्यों का समर्थन नहीं मिलने के पीछे प्रमुख वजह बिल्डिंग बायलॉज के लिए किए जाने वाला आंदोलन भी है। कथित रूप से पालिकाध्यक्ष ने पार्षदों और संघर्ष समिति के उस आंदोलन में सहयोग नहीं किया।

जबकि इसके पीछे एक वजह ये भी थी कि वे भाजपा के पालिकाध्यक्ष होते हुए अपनी ही सरकार के पर दबाव बनाने के लिए आंदोलन का रास्ता अख्तियार नहीं कर सकते थे। इतना ही नहीं आरोप तो ये भी लगा कि उनके भाजपाई साथियों द्वारा उस आंदोलन को दर्जन भर होटल मालिकों के हित के लिए कुचलने के लिए कई आंदोलनकारियों को प्रशासन द्वारा पाबंद भी करवाया गया। माना ये जा रहा है कि इसके लिए वे स्वयं पीड़ित के रूप में जिला कलेक्टर के समक्ष प्रस्तुत होने गए थे।