भोपाल। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने आज राज्यपाल लालजी टंडन को पत्र लिखकर कहा है कि उन्होंने सारे तथ्यों के प्रकाश में राज्यपाल के निर्देश को विधानसभा अध्यक्ष के समक्ष समुचित निर्णय के लिए भेज दिया है।
कमलनाथ ने राज्यपाल के 16 मार्च को उन्हें (मुख्यमंत्री) लिखे गए पत्र के जवाब में यह जानकारी दी है। कमलनाथ ने दो पेज के पत्र के अंत में लिखा है कि इन सारे तथ्यों के प्रकाश में मैंने आपके निर्देश को विधानसभा अध्यक्ष को समुचित निर्णय हेतु अग्रेषित कर दिया है। मैं इस पत्र की भी एक प्रति उन्हें अंकित कर रहा हूं।
कमलनाथ ने पत्र की शुरूआत में लिखा है कि मैंने अपने 40 साल के लंबे राजनीतिक जीवन में हमेशा सम्मान और मर्यादा का पालन किया है। आपके पत्र दिनांक 16 मार्च को पढ़ने के बाद मैं दुखी हूं कि आपने मेरे ऊपर संसदीय मर्यादाओं का पालन नहीं करने का आरोप लगाया है। मेरी ऐसी कोई मंशा नहीं है, फिर भी यदि आपको ऐसा लगा है, तो मैं खेद व्यक्त करता हूं।
राज्यपाल ने अपने पहले पत्र में मुख्यमंत्री को निर्देश दिया था कि वे बजट सत्र के पहले दिन यानी 16 मार्च को उनके अभिभाषण के बाद विधानसभा में बहुमत साबित करें। लेकिन ऐसा नहीं हुआ और सदन की कार्यवाही ‘कोरोना’ के मद्देनजर 26 मार्च तक स्थगित कर दी गई। इसके बाद सभी 106 भाजपा विधायक कल राज्यपाल से मिले और उनके सामने परेड भी हुई।
इस घटनाक्रम के बीच राज्यपाल ने कल यानी 16 मार्च काे अपरान्ह मुख्यमंत्री को एक पत्र फिर से लिखा और कहा कि वे 17 मार्च मंगलवार को सदन में बहुमत साबित करें, अन्यथा यह माना जाएगा कि सरकार को बहुमत प्राप्त नहीं है। इस पत्र में राज्यपाल ने और भी बातें लिखी हैं। कमलनाथ ने आज का पत्र इसी पत्र के जवाब में लिखा है।
कमलनाथ ने पत्र में लिखा है कि राज्यपाल ने पत्र में सदन की कार्यवाही 26 मार्च तक स्थगित करने का जिक्र किया है, लेकिन स्थगन के कारणों का संभवत: उल्लेख करना उचित नहीं समझा। मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारा देश और पूरा विश्व कोरोना वायरस से संक्रमण से पीड़ित है। इससे संबंधित केंद्र सरकार की ओर से जारी एडवायजरी के बीच विधानसभा अध्यक्ष ने कार्यवाही 26 मार्च तक के लिए स्थगित की है।
कमलनाथ ने लिखा है कि आपने अपने पत्र में यह खेद जताया है कि मेरे द्वारा आपने जाे समयावधि दी थी, उसमें विधानसभा में अपना बहुमत सिद्ध करने के बजाए मैंने आपको पत्र लिखकर फ्लोर टेस्ट कराने में आनाकानी की। मैं आपके ध्यान में यह तथ्य लाना चाहता हूं कि पिछले 15 महीनों में मैंने सदन में कई बार अपना बहुमत सिद्ध किया है। अब यदि भाजपा यह आरोप लगा रही है कि मेरे पास बहुमत नहीं है तो वे अविश्वास प्रस्ताव के माध्यम से फ्लोर टेस्ट करा सकते हैं।
कमलनाथ ने पत्र में कहा है कि उनकी जानकारी में लाया गया है कि उन्होंने (भाजपा) अविश्वास प्रस्ताव प्रस्तुत कर दिया है, जो विधानसभा अध्यक्ष के समक्ष लंबित है। विधानसभा नियमावली के अनुसार अध्यक्ष इस पर कार्यवाही करेंगे, तो अपने आप यह सिद्ध हो जाएगा कि हमारा विधानसभा में बहुमत है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि वे बार बार अपने पत्रों के माध्यम से एवं व्यक्तिगत मुलाकात के दौरान भी असाधारण स्थिति के बारे में अवगत कराते आ रहे हैं कि कांग्रेस के 16 विधायकों को बेंगलूरु में भाजपा नेताओं ने बंदी जैसी स्थिति में रखा है। उन्हें भोपाल आने से भी रोका जा रहा है।
कमलनाथ ने राज्यपाल को आश्वस्त करते हुए लिखा है कि वे राज्य के बंदी बनाए गए 16 कांग्रेस विधायकों को स्वतंत्र होकर पांच सात दिन खुले वातावरण में बिना किसी डर दबाव अथवा प्रभाव के उनके घर रहने दीजिए, ताकि वे स्वतंत्र मन से अपना निर्णय ले सकें।
उन्होंने लिखा है कि आपका यह मानना है कि 17 मार्च तक मध्यप्रदेश विधानसभा में, मैं फ्लोर टेस्ट करवाऊं और अपना बहुमत सिद्ध करूं, अन्यथा यह माना जाएगा कि मुझे वास्तव में विधानसभा में बहुमत प्राप्त नहीं है, पूर्णत: आधारहीन होने से असंवैधानिक होगा।
मुख्यमंत्री ने लिखा है कि मुझे यह ज्ञात हुआ है कि भाजपा के नेतागणों ने न्यायालय में भी याचिका दायर की है। इन सारे तथ्यों के प्रकाश में मैंने आपके निर्देश को विधानसभा अध्यक्ष को समुचित निर्णय हेतु अग्रेषित कर दिया है। मैं इस पत्र की भी एक प्रति उन्हें अंकित कर रहा हूं।