सिरोही। पिछले कुछ दिनों से जिले में केंद्रीय विद्यालय को लेकर सांसद देवजी पटेल और सिरोही विधायक संयम लोढ़ा के बीच मेडिकल कॉलेज की तरह फिर से क्रेडिट वॉर शुरू हो गई है। क्योंकि शिक्षा और चिकित्सा दोनों ही राज्य सूची के मामले हैं।
ऐसे में केंद्र सरकार राज्य सरकार की सहमति के बिना कुछ नहीं कर सकती। ऐसे में सांसद देवजी पटेल के करीबियों के द्वारा सोशल मीडिया पर जारी किए गए चार पत्र और शुक्रवार को मीडिया में प्रकाशित उनके बयानों को मिला दिया जाए तो एक ही सार निकलता है। वो ये कि मेडिकल कॉलेज की ही तरह सांसद देवजी पटेल केंद्रीय विद्यालय के मामले में भी डबल इंजन होने के बावजूद ‘परफॉर्मेंस ट्रेन’ में सवार नहीं हो पाए।
चार पत्रों का सार ये
सांसद देवजी पटेल के समर्थकों द्वारा सोशल मीडिया पर जारी पत्रों की क्रोनोलॉजी कुछ यूं है। 6 जनवरी 2016, 4 जून 2016, और 29 जून 2016। ये सारे के सारे पत्र सिरोही सांसद देवजी पटेल को तत्कालीन केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री स्मृति ईरानी द्वारा लिखे हुए हैं। तीनो ही पत्रों का जवाब एक ही है। बस संदर्भों में बदलाव है।
लेकिन, ये पत्र इस बात की गवाही दे रहे हैं कि सांसद देवजी पटेल ने अप्रेल 2015 के केंद्रीय मंत्री को पत्र लिखकर और 10 मार्च 2016 के सन्सद में नियम 377 के तहत सिरोही में केंद्रीय विद्यालय खोलने का अनुरोध किया गया था। इस पत्र से ये भी पता चलता है कि स्मृति ईरानी के कार्यालय से 30 सितंबर 2015 को देवजी पटेल को पत्र लिखकर जिला कलेक्टर सिरोही से इसका प्रस्ताव केंद्रीय मानव संसाधन मंत्रालय को भिजवाने का अनुरोध किया था।
इसके बाद इसी तरह का अनुरोध 6 जनवरी 2016, 4 जून 2016 और 29 जून 2016 के पत्रों में किया। एक वायरल्ड पत्र 15 जून 2016 का है, जो सान्सद देवजी पटेल के द्वारा जिला कलेक्टर सिरोही को लिखा गया है। इसमें तत्कालीन जिला कलेक्टर को केन्द्रीय मानव संसाधन मंत्रालय के अनुरोध के अनुसार सिरोही में केंद्रीय विद्यालय स्थापित करने का प्रस्ताव भिजवाने का अनुरोध किया गया है। राज्य में दिसम्बर 2018 तक भाजपा की वसुन्धरा राजे सरकार थी और केंद्र में नरेंद्र मोदी सरकार।
बयान में खुदको ही कठघरे में खड़ा कर दिया
इस विवाद पर आए मीडिया कवरेज में सांसद देवजी पटेल का बयान दिया गया है। इसमें उन्होंने कहा है कि यदि सिरोही विधायक जिला कलेक्टर के द्वारा केंद्रीय विद्यालय के लिए प्रस्ताव तैयार करवाकर राज्य सरकार के माध्यम से केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय को भिजवाते हैं तो वो इसे स्वीकृत करवा लाएंगे। इसी में सांसद देवजी पटेल खुदको कठघरे में खड़ा कर देते हैं कि वो 2015 से सिरोही में में केंद्रीय विद्यालय को लाने को लेकर कितने गम्भीर थे।
दिसम्बर 2018 तक केंद्र व राजस्थान दोनों जगह भाजपा की सरकार रही। उस समय सांसद देवजी पटेल ने 15 जून 2016 को जिला कलेक्टर को दिल्ली प्रस्ताव भेजने का पत्र लिखा। इस पर उन्होंने पिछले साढ़े 6 सालों से फॉलो अप नहीं दिया, जिससे केंद्र और राज्य में भाजपा का शासन होने के बाद भी वो अपनी कमजोरी के कारण जिला कलेक्टर से केंद्रीय मानव संसाधन मंत्रालय में मांग पत्र नहीं भिजवा पाए।
तो क्या सन्सद देवजी पटेल को डबल इंजन की सरकार के दौरान भी प्रशासनिक अधिकारी तवज्जो नहीं देते थे। ऐसा नहीं हो सकता। क्योंकि ऐसा होता तो कथित रूप से माउंट आबू में उनके रिश्तेदार के घर की छत तोडने पर जिस तरह से वहां के उपखण्ड अधिकारी का तबादला हुआ वो ये ही जताता है कि सांसद का उस समय पर प्रभाव था। यदि सांसद देवजी पटेल मकान की छत टूटने पर जिस तरह निजी हित के लिए मोनिटरिंग कमिटी के मेम्बर्स के साथ संभागीय आयुक्त की मौजूदगी में जिला कलेक्टर और माउंट आबू उपखण्ड अधिकारी पर आग बबूला हुए थे और एक प्रतिनिधिमंडल जयपुर भेजा था सिरोही की जनता के सार्वजनिक हित के लिए ऐसा ही करते तो केंद्रीय विद्यालय के लिए मानव संसाधन मंत्रालय को जिला क्लेक्टर कार्यालय से जाने वाले पत्र में साढ़े 6 साल की देरी नहीं होती।
पैसा हमारा तो अहसान क्यों मानें?
बार-बार की इस क्रेडिट वॉर से अगर सिरोही का कोई आम आदमी प्रभावित हो रहा है तो वो ये जान ले कि ये सारा पैसा उसी का है। जो टैक्स के रूप में जनता को निचोड़कर सरकारों ने वसूला है। पैसा हमसे लिया है तो खर्च भी हम पर ही करना है। क्योंकि हर साल मार्च में पेश होने वाले बजट में इस पैसे का हिसाब किताब देकर अगले साल फिर से जनता पर टैक्स का कोड़ा बरसाना है तो ये खर्च तो करना है।
अपने ही टैक्स का पैसा अपने ही ऊपर खर्च करने के लिये कौन जनप्रतिनिधि कितना प्रयास कर रहा है ये सिरोही की जनता के सामने क्रिस्टल क्लीयर है। इसके लिए दोनों अपने हड़ावल दस्तों को हांककर सिरोही की जनता की निर्णय लेने की क्षमता को कम आंक रहे हैं।