नई दिल्ली। भारतीय टीम के विश्व कप के सेमीफाइनल में हारकर बाहर हो जाने के बाद विकेटकीपर महेंद्र सिंह धोनी के भविष्य को लेकर अटकलें चल रही हैं और इन सबका जवाब 19 जुलाई को मिल जाएगा जब पांच सदस्यीय चयन समिति वेस्ट इंडीज दौरे के लिए भारतीय टीम का चयन करेगी।
भारत का एक महीने का विंडीज दौरा अगस्त- सितम्बर में होना है। भारतीय टीम तीन अगस्त से चार सितम्बर तक वेस्ट इंडीज के दौरे पर रहेगी जिसमें तीन ट्वंटी-20, तीन वनडे और दो टेस्ट खेले जाएंगे।
धोनी का भारतीय टीम में स्थान पिछले 12 महीनों में बहस का विषय रहा है और विश्व कप के दौरान यह बहस और तेज हो गयी थी। यहां तक कि लीजेंड क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर ने अफगानिस्तान के खिलाफ मैच में धोनी की धीमी पारी के बाद उनकी मंशा पर ही सवाल उठा दिया था। कप्तान विराट कोहली ने हर बार इस बहस को यह कहते हुए शांत करने की कोशिश की थी कि ड्रेसिंग रूम का धोनी को पूरी तरह समर्थन है।
समझा जाता है कि धोनी ने अपने भविष्य के बारे में टीम प्रबंधन या चयनकर्ताओं से कोई बात नहीं की है। धोनी के अतिरिक्त चयनकर्ताओं को टीम के प्रमुख खिलाड़ियों खासतौर पर तेज गेंदबाजों जसप्रीत बुमराह और मोहम्मद शमी के बोझ को भी देखना है। दोनों का प्रदर्शन विश्व कप में काफी शानदार रहा था। चयनकर्ताओं को ओपनर शिखर धवन और आलराउंडर विजय शंकर की फिटनेस को भी देखना है। दोनों खिलाड़ी इस समय बेंगलुरु में राष्ट्रीय क्रिकेट अकादमी में रिहैबिलिटेशन से गुजर रहे हैं।
गत सात जुलाई को 38 वर्ष के हो गए धोनी की विश्वकप में धीमी बल्लेबाज़ी लगातार आलोचना के घेरे में रही है। भारत को दो विश्वकप जिताने वाले धोनी का वेस्टइंडीज़ दौरे में टीम में स्वाभाविक चयन होना मुश्किल है। विश्वकप के समय ही माना जा रहा था कि यह धोनी का आखिरी विश्वकप होगा।
खबरों की मानें तो चयनकर्ता प्रमुख एमएसके प्रसाद का कहना है कि धोनी अब टीम में पहली स्वाभाविक पसंद नहीं रह गये हैं और उन्हें अपने स्थान के बारे में खुद विचार करना होगा। प्रसाद पहले भी धोनी की आलोचना कर चुके हैं। हालांकि इस वर्ष के शुरू में आस्ट्रेलिया में वनडे सीरीज़ में धोनी के शानदार प्रदर्शन के बाद चयनकर्ता प्रमुख को अपने सुर बदलने पड़े थे।
प्रसाद का कहना है कि धोनी अब पहले जैसे बल्लेबाज नहीं रह गए हैं और छठे या सातवें नंबर पर आने के बावजूद वह टीम को गति नहीं दे पा रहे हैं जिसका टीम को नुकसान हुआ है।
चयनकर्ता प्रमुख का मानना है कि धोनी को अपने संन्यास के बारे में अब खुद विचार कर लेना होगा, क्योंकि वह अगले साल होने वाले ट्वंटी 20 विश्वकप के लिए चयनकर्ताओं की योजनाओं में नहीं है। उन्हें सम्मान के साथ अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट को अलविदा कह देना चाहिए।