इटावा। समाजवादी पार्टी के प्रमुख राष्ट्रीय महासचिव प्रो रामगोपाल यादव ने दावा किया है कि मैनपुरी संसदीय सीट से लोकसभा चुनाव लड़ रहे सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव (नेता जी) यहां सिर्फ नामांकन करने आएंगे और यहां की जनता उनका चुनाव लड़ेगी।
यादव ने होली के मौके पर यहां कहा कि उनकी जानकारी में आया है जहां जहां पर सपा समर्थकों की तादात ज्यादा है वहां पर पैरा मिलेट्री फोर्स की तैनाती की जा रही है। इससे सजग रहने की बहुत जरूरत है। देश में ‘नेता जी’ सबसे अधिक वोटों से जीत हो पार्टी की यही चाहत है। उन्होेंने कहा कि नेता जी मैनपुरी में सिर्फ नामांकन करने आएंगे। मैनपुरी की जनता ‘नेता जी’ का चुनाव लडेंगी। कोई भी नेता जी से गाड़ी नही मांगेगा।
मैनपुरी संसदीय सीट पर सपा का एक लम्बे समय से कब्जा है। 1996 से अब तक आठ बार हुए चुनाव में समाजवादी पार्टी लगातार यह सीट जीतती आ रही है। 2014 लोकसभा चुनाव में जब मोदी लहर चली थी उस समय भी मुलायम सिंह यादव ने समाजवादी खेमे के लिए बड़ी जीत दर्ज की थी।
यादव तीन लाख 64 हजार 666 मतों से जीते थे। 1952 से लेकर अब तक मैनपुरी लोकसभा सीट से भारतीय जनता पार्टी जीत नही दर्ज करा पाई। यादव को 2014 के चुनाव में 5,95,918 वोट मिले थे। वहीं भाजपा के शत्रुघ्न सिंह को 2,31,252 वोट मिले।
मुलायम सिंह यादव के कब्जे वाली इस मैनपुरी सीट को हथियाने की कोशिशे जहां भाजपा ने अर्से से करके रखी हुई है। 2009 के ससंदीय चुनाव में बहुजन समाज पार्टी ने भी इस पर कब्जे का मंसूबा बनाया। इस सीट पर 2009 में मुलायम सिंह यादव के आगे बसपा भी पस्त हुई थी। पूर्व रक्षामंत्री को इस चुनाव में 3,92,308 वोट मिले थे वहीं बसपा ने विनय शाक्य को यहां से लड़ा था, जिन्हें 2,19,239 वोट प्राप्त हुए ।
यादव ने 2004 का चुनाव में इस सीट पर चुनाव लड़ा था और फिर उसके बाद ये सीट छोड़ दी थी। पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने उस समय 4,60,47 वोट हासिल किए और बसपा के अशोक शाक्य को 1,22,600 वोट मिले लेकिन उन्होंने ये सीट छोड़ी और अपने भतीजे धर्मेद्र यादव को लड़ाया।
धर्मेंद्र ने जब चुनाव लडा तब वे सैफई के ब्लाक प्रमुख हुआ करते थे लेकिन मुलायम सिंह यादव के आदेश के बाद धर्मेद्र यादव ने ना केवल यहां से चुनाव लडा बल्कि जीत दर्ज की। धर्मेंद्र यादव को 3,48,999 वोट हासिल हुए और बसपा के अशोक शाक्य को 1,69,286 वोट मिले। इस तरह बसपा की इस सीट को हथियाने की कोशिशे सफल नही हो सकी।
भाजपा लंबे समय से मैनपुरी ससंदीय सीट पर कब्जा करने का सपना संजोये रही है लेकिन उसको कामयाबी आज तक नहीं मिल सकी। 1996 में इस सीट पर मुलायम सिंह यादव ने जब चुनाव लड़ा तो उन्हें यहां कड़ी टक्कर मिली। भारतीय जनता पार्टी के उपदेश सिंह चौहान को मुलायम सिंह यादव ने करीब 50 हजार वोटों से हराया लेकिन, उपदेश सिंह चौहान ने मुलायम सिंह को कड़ी टक्कर दी थी।
मैनपुरी के किशनी, करहल, कुरावली और कुसमुरा जैसे यादवों के गढ़ माने जाने वाले क्षेत्र से उन्होंने मुलायम सिंह यादव को पीछे छोड़ दिया था लेकिन, उस समय जसराना का क्षेत्र मैनपुरी लोकसभा में शामिल था, जिसने मुलायम सिंह ने जीत दिलाई। मुलायम सिंह को इस चुनाव में 2,73,303 वोट मिले जबकि भाजपा के उपदेश सिंह चौहान को 2,21,345 वोट प्राप्त हुए।
मैनपुरी लोकसभा सीट जिन पांच विधानसभा क्षेत्रो को मिलकर बनी है उनमें इटावा जनपद का सबसे महत्वपूर्ण विधानसभा क्षेत्र जसवंतनगर भी शामिल है, जो सपा का अवैद्य गढ़ ही नहीं माना जाता, बल्कि इसी विधानसभा क्षेत्र में सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव का पैत्रक गांव सैफई भी आता है, जो मैनपुरी के करहल विधानसभा क्षेत्र से महज पांच किलोमीटर की दूरी पर है।
पश्चिमी उत्तर प्रदेश के अंतिम जिला माने जाने वाले जिले की मैनपुरी लोकसभा संसदीय क्षेत्र समाजवादी पार्टी का गढ़ माना जाता है। ब्रिटिश राज में स्वतंत्रता आंदोलन की वीर गाथाओं को समेटे मैनपुरी लोकसभा सीट पर समाजवादी पार्टी ने वर्ष 1989 में अपनी राजनीति का सिक्का जमाया और तभी से खासकर भाजपा व बसपा की सभी राजनीतिक कसरते सपा के गढ़ को भेदने में नाकाम रही।
मैनपुरी लोकसभा सीट यादव बाहुल्य है, जहां दूसरे पायदान पर शाक्य व दलित वर्ग के मतदाता हैं। इसके बाद राजपूत जाति के वोटर इस सीट के लिए निर्णायक रहे हैं। अनुसूचित जाति के वोटरों की संख्या भी लगभग ढाई लाख से कम नहीं है। सपा यहां परंपरागत वोटरों के अलावा मुस्लिम और ओबीसी के समर्थन पर सियासत की जमीन पर खड़ी है।
मैनपुरी, करहल, भौगांव, किशनी, जसवंतनगर विधानसभाओं को मिलाकर बनी इस ससंदीय सीट पर लोकसभा चुनाव काफी अहम रहेगा। मोदी लहर में 2014 के आम चुनावों में समाजवादी नेता मुलायम सिंह यादव को 595918 वोट मिले थे इसी चुनाव मे भाजपा के शत्रुधन सिंह चौहान को 231252 और बसपा की संधमित्रा मौर्य को 142833 वोट मिले।
मुलायम सिंह यादव मैनपुरी के साथ साथ आजमगढ से चुनाव मैदान मे उतरे थे दोनों स्थानों से विजयी होने पर मुलायम ने मैनपुरी छोडी तो उप चुनाव में अपने पौत्र तेजप्रताप सिंह यादव को चुनाव मैदान में उतारा जहां तेज को 653786, भाजपा के प्रेमसिंह शाक्य को 335537 वोट मिले थे जहां मुलायम को 59.63 प्रतिशत वोट मिले वहीं तेजप्रताप को 64.89 वोट हासिल हुए।
मैनपुरी संसदीय (21) सीट से जुडी 107 मैनपुरी विधानसभा में कुल 331393 मतदाता हैं इनमें 178656 पुरूष और 152736 महिलाए शामिल हैं। 108 भोगांव कुल 334453 मतदाता हैं इनमें 179310 पुरूष 155143 महिला मतदाता हैं। 109 किशनी विधानसभा मे कुल 301512 मतदाता है जबकि 163666 पुरूष 137846 महिला हैं। 110 करहल विधानसभा में 358963 कुल मतदाता हैं इनमें 195254 पुरूष 163709 महिला हैं। मैनपुरी संसदीय से जुडी इटावा जिले की 199 जसवंतनगर 3755953 कुल मतदाता हैं इनमें से 203183 पुरूष और 172755 महिला मतदाता अपने अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे।
मैनपुरी संसदीय सीट से 1952 में बादशाह गुप्ता (इंडियन नेशनल कांग्रेस) 1957 में बंसीदास धनगर (सोशलिस्ट पार्टी), 1962 बादशाहगुप्ता (इंडियन नेशनल कांग्रेस), 1967 महाराज सिंह ( इंडियन नेशनल कांग्रेस), 1971 महाराज सिंह (इंडियन नेशनल कांग्रेस), 1977 रघुनाथ सिंह वर्मा (भारतीय लोक दल), 1980 रघुनाथ सिंह वर्मा (जनता पार्टी सेकुलर), 1984 बलराम सिंह यादव (इडियन नेशनल कांग्रेस), 1989 उदय प्रताप सिंह (जनता दल), 1991 उदय प्रताप सिंह (जनता पार्टी), 1996 मुलायम सिंह यादव (समाजवादी पार्टी), 1998 बलराम सिंह यादव (समाजवादी पार्टी), 1999 बलराम सिंह यादव (समाजवादी पार्टी), 2004 मुलायम सिंह यादव (समाजवादी पार्टी), 2004 धर्मेद्र यादव (समाजवादी पार्टी), 2009 मुलायम सिंह यादव (समाजवादी पार्टी), 2014 मुलायम सिंह यादव (समाजवादी पार्टी) तथा मुलायम सिंह यादव द्वारा सीट छोड़ने के बाद 2014 तेज प्रताप सिंह यादव (समाजवादी पार्टी) ने जीत दर्ज की।