सिनेमा की आड़ में मल्टीप्लेक्स की लूट
इतने में तो दस लोगों का खाना जायगा
सिनेमा घर में फिल्म देखना तो बहुत अच्छी बात है। लेकिन सिनेमाघर की एक ऐसी स्थिति हो गई है जो कि हर एक आम आदमी के बस की बात नहीं रहे आजकल पहले जैसी बात नहीं रही है। आपको किसी भी प्रकार की खाने पीने की वस्तु अंदर ले जाने की अनुमति नहीं होती है क्योंकि इसके पीछे कई सुरक्षा वह साफ सफाई जरूरी निर्देश होते हैं।
कुछ खाना है तो 20 गुना ज्यादा पैसा देना होगा
लेकिन इसका अच्छा खासा फायदा मल्टीप्लेक्स वाले उठाते हैं जिसमें की वहां पर खाने-पीने की मिलने वाली चीजें आपको बाजार की कीमत से लगभग 20 से 30 गुना ज्यादा महंगी मिलती है। और जब आप यहां जाते हैं तो आपको यह भी पता लगेगा कि फिल्म के टिकट से ज्यादा तो वहां पर किसी भी चीज के खाने का खर्चा हो जाता है।
10 रू का समोसा 100 रू में क्यों
उदाहरण के लिए बात करें यदि आप कोई समोसा खाना चाहते हैं जो कि बाजार में आपको लगभग 10 से ₹15 में मिल सकता है लेकिन वही सिनेमाघर में आपको समोसा लगभग 80 से 100 के बीच मिलता है और यह बहुत ही शर्म की बात है।
कॉलेज के लड़के और लड़कियां करते हैं माँ बाप का पैसा ख़राब
इसके अलावा अन्य कई प्रकार के खाने की चीज आपको यहाँ मिलती हैं लेकिन सभी इतनी ज्यादा महंगी होती है कि इसे हर किसी की जेब नहीं उठा सकती फिल्म में अधिकतर लड़के और लड़कियां आते हैं जो कि लगभग कॉलेज के होते हैं और वह पैसे के बारे में इतना नहीं सोचते और इसके चलते हैं पर खाने-पीने की चीजें खरीद लेते हैं।
सिनेमाघर का पैसा बचाकर गरीब का पेट भरें
अगर सिनेमा घर के खाने पीने के पैसे को बचाकर किसी गरीब की मदद करें या किसी भूखे को खाना खिलाएं तो हो सकता है इससे कहीं ज्यादा अच्छा होगा।
30 का पॉपकॉन 300 में कैसे
मुंबई में तो एक बार ऐसी घटना हुई किस सिनेमा घर की कैंटीन के एक युवक को एक व्यक्ति ने चांटा में मार दिया बात यह हुई थी कि वहां पर पॉपकॉर्न की कीमत बहुत ही ज्यादा थी और व्यक्ति ने कैंटीन धारक से केवल यह पूछा कि इस पॉपकॉर्न की कीमत इतनी ज्यादा क्यों है व्यक्ति का कहना था कि Rs 30 के पॉपकॉर्न को आप लोग Rs 300 में कैसे भेज सकते हैं और इसके चलते आपस में झड़प हो गई और उस व्यक्ति ने मार दिया और मैनेजर को बुलाने की बात कही।