अजमेर। दिगंबर जैनाचार्य विद्यासागर महाराज की दीक्षा के पचास साल पूरे होने के उपलक्ष्य में पूरे देश में मनाए जा रहे संयम स्वर्ण महोत्सव के तहत शनिवार को अजमेर में उनके 65 फीट ऊंचे कीर्तिस्तंभ का लोकार्पण किया गया।
महावीर सर्किल चौराहे पर करीब एक करोड़ रुपए की लागत से बने कीर्तिस्तंभ की विधिवत पूजा अर्चना एवं शुद्धीकरण के बाद मुनि सुधासागर महाराज ने लोकार्पण किया। कीर्तिस्तंभ का निर्माण राजस्थान के बयाना क्षेत्र के पंछी पहाड़पुर के लाल पत्थर से कराया गया है जो बर्बस चित्तौड़गढ़ के विजय स्तंभ की याद दिलाता है।
इस अवसर पर मुनि सुधासागर ने कहा कि 30 जून 1968 को विद्याधर से विद्यासागर बने महाराज आज “संत शिरोमणी” कहलाएंगे। उन्होंने कहा कि अजमेर की इस पावन धरती पर इस कीर्तिस्तंभ की स्थापना में उनके बाल्यकाल से मुनि दीक्षा तक के कृतित्व को उकेरा गया है जो कि भविष्य में जैन समाज के लिए प्रेरणास्रोत का काम करेगा।
कार्यक्रम में राज्य शिक्षा मंत्री वासुदेव देवनानी एवं महिला एवं बाल विकास मंत्री अनिता भदेल सहित बड़ी संख्या में जैन समाज के महिला, पुरुष एवं बच्चे शामिल हुए।
गौरतलब है कि आचार्य विद्यासागर महाराज ने 30 जून 1968 को अजमेर में ही अपने गुरु आचार्य शांतिसागर महाराज से दीक्षा ग्रहण की थी।