कोटा। मोहम्मद रफी की 39वीं पुण्यतिथि पर सुभाष कला संगम की ओर से कलाकारों ने संगीतमय श्रद्धांजलि दी। इस मौके पर समारोह में जुटे रफी साहब के फैन्स तथा कलाकारों ने एक से बढकर एक गीतों के जरिए रफी साहब को याद किया। कार्यकम की शुरुआत माया कोरी ने दीप प्रज्वलन एवं रफी साहब के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर की।
साबिर भाई ने गीत तुम मुझे यूं भूला ना पाओगे…, निर्मला दहिया ने वादा करले सजना…, माधुरी व जोगेंद्र सिसोदिया ने छुप गए सारे नज़ारे ओए क्या बात हो गई…तथा मेरे मितवा मेरे मीत रे आजा तुझ को पुकारे मेरे गीत रे… से कार्यक्रम का शानदार आगज किया।
राशिद भाई के गाए गीत आने से उसके आए बाहर जाने से उसके जाए बाहर बडी मस्तानी है मेरी महबूबा… पर श्रोतागण झूम उठे। संस्था सचिव हरीश महावर व अध्यक्ष निर्मला दहिया ने जानेजा ढूंढता फिर रहा हूं तुम्हे रात दिन मैं यहां से वहां… गाया तो तालियों की गड़गड़ाहट से हॉल गूंज उठा।
कार्यकम के दौरान संस्था अध्यक्ष निर्मला दहिया ने कानपुर से विशेष तौर पर आईं विशिष्ट अतिथि अन्तरराष्ट्रीय रजत पदक विजेता माया कोरी का माल्यार्पण, साफा बांध कर व प्रतीक चिन्ह देकर सम्मान किया। मुख्य अतिथि भाजयुमो के प्रदेश प्रभारी छगन माहुर का संस्था सचिव हरीश महावर तथा संस्था कोषाध्यक्ष कपिल महावर ने कार्यक्रम के अध्यक्ष इंडियन स्टाइल कुश्ती संध राष्ट्रीय संयुक्त सचिव संजय शर्मा का माल्यर्पण, साफा बांधकर व शॉल ओढाकर सम्मान किया। अखिल भारतीय कोली समाज के प्रदेशाध्यक्ष ओमप्रकाश महावर का कार्यक्रम में बहुमान किया गया।
इस अवसर पर माया कोरी ने कहा कि नारी अगर कुछ करने की सोच ले तो ना मुमकिन कुछ नहीं होता क्योंकि हम सम्पूर्ण मातृशक्ति की प्रेरणा स्रोत हैं। हमने वो कर दिखाया जो एक औरत सोच भी नही सकती। वो अपने विवेक, सहनशीलता और हिम्मत से सब कुछ कर सकती है। अंत में संस्था अध्यक्ष निर्मला दहिया ने सभी का आभार व्यक्त किया गया।