अयोध्या केस का ऐतिहासिक फैसला चंद दिनों में आ सकता है। इसको देखते हुए केंद्र की मोदी सरकार और सभी राज्य सरकारें सांप्रदायिक सौहार्द बनाने के लिए जोर दे रही हैं। फैसला चाहे जिसके भी पक्ष में क्यों न हो लेकिन आपस में भाईचारा और सौहार्द बना रहे। देश के तमाम हिंदू संगठन और मुस्लिम संगठनों ने आपस में प्यार और भाईचारा को लेकर बैठक शुरू कर दी है। वहीं संघ प्रमुख मोहन भागवत और उलेमा महमूद मदनी देश में शांति बनाए रखने की अपील कर रहे हैं। अयोध्या पक्ष के दोनों पैरोकार भी सर्वोच्च अदालत के फैसले का सम्मान करने की बात कही है। उत्तर प्रदेश योगी सरकार ने सुरक्षा की दृष्टि से सभी बंदोबस्त पूरे करने में जुटी हुई है। पुलिस और खुफिया विभाग ऐसे असामाजिक तत्वों पर नजर रखे हुए हैं जो कि अयोध्या फैसला आने पर माहौल को बिगाड़ सकते हैं।
पीएम मोदी ने भी दी नसीहत
अयोध्या पर आने वाले सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सभी मंत्रियों को नसीहत दी कि वे सौहार्द का वातावरण बनाए रखने में मदद करें। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि कोर्ट के फैसले का सम्मान करें। मंत्रियों को कैबिनेट के सभी फैसलों के बारे में भी जानकारी दी गई। इसके अलावा बीजेपी ने भी अपने सभी सांसदों और विधायकों को निर्देश दिया है कि फैसले के मद्देनजर वे अपने क्षेत्र में रहें और सांप्रदायिक सौहार्द को बनाए रखने के लिए काम करें।अयोध्या केस का फैसला 15 नवंबर से पहले आ सकता है।
संघ प्रमुख मोहन भागवत कई मुस्लिम पदाधिकारियों से मिल रहे हैं
क्या अयोध्या के मंदिर पर फ़ैसले के बाद संघ और बीजेपी काशी और मथुरा पर फ़ोकस करेगी। इस बात पर समाज के एक हिस्से में बड़ी चिंता है। उन्हें डर है कि हिंदूवादी संगठन एक मंदिर के बाद दूसरे मंदिर पर बहस छेड़ देंगे। मुस्लिम समुदाय के बीच से कई मौक़ों पर ये आशंका जताई जा चुकी है। इसीलिए आरएसएस के प्रमुख मोहन भागवत समेत कई बड़े पदाधिकारी मुस्लिम नेताओं से मिल रहे हैं। उन्हें समझाया जा रहा है कि ऐसा कुछ भी नहीं होगा। संघ के टॉप चार पदाधिकारियों में से एक ने कहा कोर्ट का जो भी फ़ैसला होगा, हम सब उसका सम्मान करेंगे।
हमें भरोसा है मंदिर के पक्ष में ही निर्णय होगा। लेकिन इसके बाद हमारा कोई भी कार्यकर्ता काशी या मथुरा की बात नहीं करेगा।
शंभू नाथ गौतम, वरिष्ठ पत्रकार