नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नीत केंद्र सरकार के समय पर किए गए हस्तक्षेप के कारण म्यांमार के रखाइन प्रांत में विद्रोही अराकान सेना की ओर से बंधक बनाए गए पांच भारतीयों तथा म्यांमार के एक सांसद समेत पांच नागरिकों को सोमवार को मुक्त करा लिया गया। इस दौरान मधुमेह के रोगी एक 60 वर्षीय भारतीय नागरिक की दिल का दौरा पड़ने से मौत हो गई।
गृह मंत्रालाय की ओर से मंगलवार को यहां जारी आधिकारिक बयान में कहा गया कि जब ये सभी लोग तीन नवंबर को चिन राज्य के पलेटवा से रखाइन के क्युकटाव जा रहे थे तो रास्ते में विद्रोही अराकान सेना ने उन्हें बंधक बना लिया था। अपहृत सभी भारतीय म्यांमार में कलादान सड़क परियोजना से जुड़े हुए थे।
बयान में कहा गया कि दुर्भाग्य से एक भारतीय नागरिक गोपाल की अराकान सेना की हिरासत में दिल का दौरा पड़ने से मौत हो गई। वह मधुमेह से गंभीर रूप से पीड़ित था।
बयान के मुताबिक मुक्त किए गए सभी भारतीय नागरिक अपने सहकर्मी के पार्थिव शरीर के साथ सोमवार को सित्तवे पहुंच गए और आज भारत आने के लिए यांगून से रवाना होंगे।
अराकान सेना के प्रवक्ता ने भारतीय श्रमिक की मौत के लिए माफी मांगी है। प्रवक्ता ने कहा है कि हम पहाड़ी पर चढ़ रहे थे और थकावट के कारण गोपाल ही मौत हो गई। हमने भारतीयों को नहीं बल्कि सांसद को निशाना बनाया था लेकिन नाव पर भारतीय भी थे, इस बात का हमें नहीं पता था। फिलहाल विद्रोही समूह ने सांसद को नहीं छोड़ा है।
अराकान सेना को यूनाइटेड लीग ऑफ अराकान (यूएलए) के सशस्त्र विंग के तौर पर स्थापित किया गया है। विद्रोही समूह बौद्धों को अधिक स्वायत्ता दिए जाने के कारण करीब एक दशक से लड़ रहा है।