10 दिशाओं पर राज्य करने वाला परम विद्वान सर्व शक्तीमान और शिव का अन्नय भक्त लंकापती रावण के वध के उपलक्ष्य में यह पर्व मनाया जाता हैं । हर साल रावण का पुतला जलाकर दशहरा मनाया जाता हैं! जिसमें पुरी रामायण में सिर्फ अपने कर्तव्योका निर्वहन किया हैं! कहीं पर भी रावण के अनैतिक होने के सबुत नहीं मिलते हैं । अगर आपको पुतले ही जलाने हैं तो भ्रष्टाचारियों के देशद्रोहीओ के, लडकियो पर तेजाब फेकने वाले दुष्ट लोगो का पुतला फुककर दशहरा मनाओ ।
रावण भी अतिज्ञानी और शिवभक्त था। आखिर कब तक विडम्बन ओर परंपराओ काश ढोकर लकीर के फकिर बने रहोगी। मुझे पता है कि मेरी तर्कपूर्ण बाते धर्म के ठेकेदारों ने एवं अंधविश्वास के चश्में से धर्म को देखने वाली जनता को बुरी लग सकती हैं ।
राम ने रावण से युद्ध हेतू इसी दिन प्रस्थान किया था । मराठा रत्न शिवाजी ने भी औरंगजेब के खिलाफ इसी दिन प्रस्थान किया था । भारतीय इतिहास में अनेक उदाहरण हैं! जब हिंदू राजा इस दिन विजय प्रसस्थान करते थे! इसी दिन लोग नया काम शुरु करते हैं ! शस्ञ की पुजा की जाती हैं! प्राचीन काल में राजा लोग के लिए प्रस्थान करते थे! इस दिन जगह जगह मेले लगते हैं ।
दशहरे का पर्व 10 प्रकार के पापोकाम हिंसा, अहंकार , चोरी के परित्याग की सद्प्रेरणा प्रदान करता हैं । आज की भागदौड वाली जींदगी में लोग एकदुसरे के घर नही जापाते! इसलिए यह मोबाईल से शमीपञ भेज देते हैं! ऐसे त्योहारौ सेही जानपहचान होने में आसानी होति थी । आजकल पर ऐसा कुछ होता नही हैं।