अजमेर। राजस्थान सरकार की कोरोना से हुई मौत और कोरोना जांच के आंकड़े छिपाने की बाज़ीगरी अब खुल कर सामने आ रही है।
उपमहापौर नीरज जैन ने गहलोत सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार का प्रशासन पर दबाव है कि वह आंकड़े छिपाए जबकि अजमेर के मोक्षधाम में जलती चिताएं इसकी पोल खोल रही हैं।
अजमेर में जनवरी से अप्रैल तक प्रति माह औसतन 700-750 तक मृत्यु हुई। जबकि मई माह में 1185 का आंकड़ा है। यह तब है जबकि 30 अप्रेल के बाद जवाहरलाल नेहरू अस्पताल से मई माह की जानकारी अब तक नगर निगम को प्राप्त नहीं हुई है। अस्पताल से आुंकडे व जानकारी ना मिलने से निगम इस माह मृत्यु प्रमाण पत्र जारी नहीं कर पा रही है।
गौरतलब है की बीते साल इन महीनों में बनाए जाने वाले मृत्यु प्रमाण पत्रों की संख्या औसत 350-400 ही थी। जैन ने कहा कि जादूगर गहलोत अब मौत के आंकड़े छिपाने वाले बाजीगर बने हुए हैं। हाल ये है कि केवल मात्र मौत ही नहीं RT-PCR टेस्ट की गति धीमी कर कोरोना संक्रमितों के आंकड़े भी छिपा रहे हैं। गहलोत का ध्यान कोरोना जांच के बजाय विधायकों की लोयलटी टेस्ट में है।
आलम यह है कि गांवों में केवल जांच करवाने के आदेश हुए है, लेकिन आज तक एंटीजन टेस्ट केवल हवा हवाई आदेश से ज़्यादा नज़र नहीं आ रहे। गांवों में मौत का तांडव मचा हुआ है। सरकार सिर्फ़ उनको झुठलाने में लगी है।
जैन ने कहा की जेएलएन अस्पताल प्रशासन की लापरवाही का ख़ामियाज़ा कई परिवारों की चुकाना पड़ा। ऑक्सीजन सप्लाई में बाधा के कारण कई परिवारों ने अपनों को खोया। बावजूद इसके अस्पताल प्रशासन गलती सुधारने के बजाय दावा करता है कि कोई भी मौत ऑक्सीजन बंद हो जाने कारण नहीं हुई।
पार्षद भारती जांगिड की मौत के समय भी कलेक्टर प्रकाश राजपुरोहित को इस मसले से अवगत करवाया था। उन्होंने स्वतंत्र तकनीकी टीम से इसकी जांच करवाने का आश्वासन दिया और मंगलवार को भारतीय सेना के तकनीकी जांच दल ने ऑक्सीजन प्लांट में कई ख़ामियां पकड़ी जिसमें साफ़ हो गया की ऑक्सीजन की बर्बादी होती रही, लेकिन अस्पताल प्रशासन अनजान बना रहा। जैन ने मांग की है कि इसके लिए दोषी अधिकारियों पर कार्यवाही हो एवं भारतीय सेना की तकनीकी जांच दल की रिपोर्ट को सार्वजनिक किया जाए।