धौलपुर। राजस्थान में धौलपूर नगर परिषद के साथ जिले की नगर पालिका बाडी़ तथा राजाखेड़ा में कांग्रेस ने अपना वर्चस्व कायम रखा है। धौलपुर नगर परिषद में कांग्रेस समर्थित निर्दलीय खुशबू सिंह सभापति बनी है। बाड़ी में कमलेश जाटव और राजाखेड़ा में वीरेंद्र सिंह जादौन पालिका अध्यक्ष चुने गए।
गत दिनों संपन्न हुए चुनावों में राजाखेड़ा तथा बाड़ी में कांग्रेस को स्पष्ट बहुमत मिला था। जब कि धौलपुर में भाजपा और कांग्रेस की बराबर सीटें थी और बसपा की एक के साथ 15 निर्दलीय थे।
सबसे अधिक रोमांचक मुकाबला धौलपुर में देखने को मिला, जहां भाजपा ने अपना बोर्ड बनाने के लिए कमर कसी और भाजपा के दो प्रदेश स्तरीय नेताओं ने धौलपुर में आकर डेरे डाले। सबसे बड़ी बात यह हुई कि कांग्रेस ने धौलपुर के चुनाव को जीतने के लिए जो प्रत्याशी घोषित किया था, उसने अपना नामांकन वापस लिया। यह एक सुनियोजित नीति के तहत था। जिसमें भाजपा को धूल चटाना था।
कांग्रेस के सभी पार्षद निर्दलीय खुशबू सिंह के समर्थन में एकजुट हुए और 60 पार्षदोंं में से 59 ने मतदान किया। जिसमें भाजपा को 26 मत मिले जबकि खुशबू सिंह को 30 मत मिले। इनको कांग्रेस के मत मिले। जबकि निर्दलीय इनके साथ दिखाई दिए। एक मत नोटा में गया। दो मत निरस्त हुए।
भाजपा की इस शिकस्त का सीधा अर्थ यह है कि राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री तथा भाजपा के कद्दावर नेता वसुंधरा राजे धौलपुर में थी और प्रदेश भाजपा संगठन ने उनको विश्वास में नहीं लिया यदि वह विश्वास में होती तो निश्चित रूप से परिणामों में परिवर्तन आने की संभावना थी।
उनकी उपेक्षा का परिणाम भाजपा को भुगतना पड़ा जहां तक बाड़ी नगरपालिका का प्रश्न है वहां तो कांग्रेस का पालिका अध्यक्ष बनना तय था और भाजपा ने यहां भी हथकंडा अपनाया तथा एक निर्दलीय को भाजपा प्रत्याशी बनाकर फार्म दाखिल करायाए जिसको केवल पांच मत मिले जबकि कमलेश को 40 मत मिले। और कांग्रेस की कमलेश जाटव पालिका अध्यक्ष चुनी गई।
इसी प्रकार राजाखेड़ा में भी पूर्व चेयरमैन वीरेंद्र सिंह जादौन कांग्रेस के प्रत्याशी थे जिनके 35 में से 23 ने एवं भाजपा को 12 मत मिले और वे भारी बहुमत से चुनाव में विजय हुए। सीधा सपाट अर्थ यह है कि जिले में भाजपा केवल वसुंधरा राजे का पर्याय है इनके अलावा किसी और नेता को पब्लिक न तो पसंद करती है और ना ही किसी के पक्ष में वोट डालने जाती है।