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कर्तव्य बोध पखवाडे में हुआ गुरु-शिष्य परम्परा पर चिंतन

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कर्तव्य बोध पखवाडे में हुआ गुरु-शिष्य परम्परा पर चिंतन
सिरोही में रुक्टा द्वारा आयोजित कर्तव्यबोध दिवस पर मौजूद व्याख्याता।
सिरोही में सुभाषचंद्र बोस जयंती पर आयोजित रुक्टा के कर्तव्यबोध दिवस पर व्याख्यान देते नन्दलाल बाबा।

सबगुरु न्यूज-सिरोही। स्थानीय गुरुकुलम् अकादमी, सिरोही में मंगलवार राजकीय महाविद्यालय, सिरोही, राजकीय महिला महाविद्यालय, सिरोही एवं एस.पी. महाविद्यालय, सिरोही तीनों रूक्टा राष्ट्रीय ईकाइयों का संयुक्त कर्तव्य बोध दिवस कार्यक्रम नन्दलाल (वरिष्ठ सामाजिक चिन्तक) के मुख्य आतिथ्य में सम्पन्न हुआ।

इस अवसर पर तीनों महाविद्यालयों के उपस्थित शिक्षकों एवं छात्रों को सम्बोधित करते हुए नन्दलाल बाबा ने कहा कि उत्तम समाज की स्थापना के लिए कर्तव्यनिष्ठ शिक्षकों का होना परम आवश्यक है। उन्होंने ने कहा कि हमें अपने कत्र्तव्य का बोध प्राचीन धर्म ग्रन्थों के पठन पाठन से होता है।

सिरोही में रुक्टा द्वारा आयोजित कर्तव्यबोध दिवस पर मौजूद व्याख्याता।

उन्होंने रामायण व महाभारत के कई दृष्टान्तों का सिलसिलेवार वर्णन किया। उन्होनें कहा कि जिस गुरू को अपने कत्र्तव्य का पूरा बोध हो वह व्यक्ति को निराशा से सफलता की ओर ले जा सकता है। उन्होंने इस सन्दर्भ में डाॅ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम के जीवन की एक घटना का वर्णन करते हुए बताया कि किस तरह ऋषिकेश में योगी रामानन्द ने डाॅ. कलाम को निराशा से बाहर निकाला तथा पढने के लिए गीता दी जिसे उन्होंने जीवन पर्यन्त अपने पास रखा। उन्होंने कहा कि डाॅ. कलाम को गीता पढने से ही अपने कत्र्तव्य का बोध हुआ।
अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में डाॅ. कमलकान्त शर्मा, प्राचार्य राजकीय महाविद्यालय, सिरोही ने इतिहास में भारतीय गुरु शिष्य परम्परा का उल्लेख करते हुए कहा कि गुरु का स्थान सर्वोच्च है। उसे अपने दायित्वों का पूरा ज्ञान होना चाहिए। उन्होंने भावपूर्ण उद्बोधन देने के लिए नन्दलाल बाबा का आभार जताया। इससे पूर्व अतिथियों का स्वागत शाॅल, श्रीफल एवं तुलसी वृन्द भेंट कर अतिथियों का स्वागत किया गया।
विषय प्रवर्तन करते हुए पाली विभाग महिला प्रतिनिधि प्रो. कुसुम राठौड़ ने कहा कि रूक्टा राष्ट्रीय वह संगठन है जो शिक्षकों को अपने कत्र्तव्यों का पुनः स्मरण कराने हेतु प्रतिवर्ष इस तरह के कार्यक्रम आयोजित करता है। उन्होंने अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ के आह्वान ’’राष्ट्रीय हित के लिए शिक्षा, शिक्षा के लिए शिक्षक एवं शिक्षक के लिए समाज’’ का स्मरण करते हुए कहा कि हमें विषय सामग्री तक सीमित न होकर समाज का शिक्षक बनना होगा।

अन्त में कैलाश जोशी ने कार्यक्रम संयोजन के लिए आभार जताया। कार्यक्रम में तीनों महाविद्यालय के कई व्याख्यातागण यथा डाॅ. ज्ञानविकास मिश्रा, डाॅ. गायत्री प्रसाद, डाॅ. सुरेष कुमार, डाॅ. मनीष सक्सेना, प्रो. अतुल भाटिया, डाॅ. मीना जैन प्रो. दिनेश सोनी एवं डाॅ. रुचि पुरोहित आदि उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन प्रो. कुसुम राठौड़ ने किया।