Warning: Constant WP_MEMORY_LIMIT already defined in /www/wwwroot/sabguru/sabguru.com/18-22/wp-config.php on line 46
युवा भारत पुरानी समस्याओं से टकराने के लिए तत्पर है : मोदी - Sabguru News
होम Breaking युवा भारत पुरानी समस्याओं से टकराने के लिए तत्पर है : मोदी

युवा भारत पुरानी समस्याओं से टकराने के लिए तत्पर है : मोदी

0
युवा भारत पुरानी समस्याओं से टकराने के लिए तत्पर है : मोदी

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज कहा कि आज का युवा भारत दशकों पुरानी बड़ी-बड़ी समस्याओं को टालने की बजाय उनसे टकराने का संकल्प रखता है और 2022 तक देश को ऐसी सभी समस्याओं से मुक्त कर उसके सामर्थ्य को सशक्त बनाने के लिए तत्पर है।

मोदी ने यहां दिल्ली छावनी में गणतंत्र दिवस समारोह में भाग लेने आए राष्ट्रीय कैडेट कोर के छात्र-छात्राओं की परेड की सलामी लेने के बाद समारोह को संबोधित करते हुए ये कहा। इस अवसर पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, रक्षा राज्य मंत्री श्रीपद यशो नाईक, चीफ ऑफ डिफेंस स्टॉफ जनरल बिपिन रावत, तीनों सेनाओं के प्रमुख और रक्षा सचिव भी उपस्थित थे।

प्रधानमंत्री ने कहा कि जिस देश के युवा में अनुशासन हो, दृढ़ इच्छाशक्ति हो, निष्ठा हो, लगन हो, उस देश का तेज गति से विकास कोई नहीं रोक सकता। देश का युवा जब बाहर जाता है और दुनिया देखता है तब उसे भारत में दशकों पुरानी समस्याएं नजर आती हैं। उन्होंने कहा कि अब युवा इन समस्याओं का शिकार होने के लिए तैयार नहीं है। वह देश बदलना चाहता है, स्थितियां बदलना चाहता है। और इसलिए उसने तय किया है कि अब टाला नहीं जाएगा, अब टकराया जाएगा, निपटा जाएगा। यही है युवा सोच, यही है युवा मन, यही है युवा भारत।

उन्होंने कहा कि युवा भारत कह रहा है कि देश को अतीत की बीमारियों से मुक्त करना हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए। देश के वर्तमान को सुधारते हुए, उसकी नींव मजबूत करते हुए तेज गति से विकास होना चाहिए और देश का हर निर्णय आने वाली पीढ़ियों को उज्जवल भविष्य की गारंटी देने वाला होना चाहिए। उन्होंने कहा कि अतीत की चुनौतियों, वर्तमान की जरूरतों और भविष्य की आकांक्षाओं को ध्यान में रखते हुए तीनों ही स्तरों पर हमें एक साथ काम करना होगा।

मोदी ने कहा कि कभी यहां आतंकवादी हमला हुआ, इतने निर्दोष लोग मारे गए। कभी वहां नक्सली-माओवादियों ने बारूदी सुरंग उड़ा दी, इतने जवान मारे गए। कभी अलगाववादियों ने ये भाषण दिया, कभी भारत के खिलाफ जहर उगला, कभी तिरंगे का अपमान किया। इस स्थिति को स्वीकार करने के लिए हम तैयार नहीं हैं।

उन्होंने कहा कि कभी-कभी कोई बीमारी लंबे समय तक ठीक न हो तो वो शरीर का हिस्सा बन जाती है। हमारे राष्ट्र जीवन में भी ऐसा ही हुआ है। ऐसी अनेक बीमारियों ने देश को इतना कमजोर कर दिया कि उसकी अधिकतर ऊर्जा इनसे लड़ने-निपटने में ही लग जाती है। आखिर ऐसा कब तक चलता? और कितने साल तक हम इन बीमारियों का बोझ ढोते रहते और कितने साल तक टालते रहते?

उन्होंने कहा कि जब से देश आजाद हुआ, तब से कश्मीर में समस्या बनी हुई है। वहां की समस्या के समाधान के लिए कुछ नहीं किया गया। तीन चार परिवार और तीन-चार दल और सभी का जोर समस्या को समाप्त करने में नहीं बल्कि उसे पालने-पोसने, उसे जिंदा रखने में लगा रहा। इसका परिणाम यह रहा कि कश्मीर को आतंक ने तबाह कर दिया।

आतंकवादियों के हाथों हजारों निर्दोष लोग मारे गए। वहीं के रहने वाले लाखों लोगों को एक रात में घर छोड़कर हमेशा-हमेशा के लिए निकल जाने को मजबूर कर दिया गया और सरकार कुछ कर नहीं सकी। उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद 370 ये कहकर लागू हुआ था कि ये अस्थायी है। संविधान में भी यही लिखा गया कि ये अस्थायी है। लेकिन दशकों बीत गए, संविधान में जो अस्थायी था, उसे हटाने की हिम्मत किसी ने नहीं दिखाई।

उन्होंने कश्मीर को भारत की मुकुट मणि बताते हुए कहा कि कश्मीर और वहां के लोगों दशकों पुरानी समस्याओं से निकालना हमारा दायित्व था और हमने ये करके दिखाया है। उन्होंने कहा कि हमारा पड़ोसी देश हमसे तीन-तीन युद्ध हार चुका है। हमारी सेनाओं को उसे धूल चटाने में हफ्ते दस दिन से ज्यादा का समय नहीं लगता। ऐसे में वो दशकों से भारत के खिलाफ छद्म युद्ध लड़ रहा है। इस प्रॉक्सी वॉर में भारत के हजारों नागरिक मारे गए हैं। लेकिन पहले लोग सोचते थे कि ये आतंकवाद ये आतंकी हमले, बम धमाके ये तो कानून व्यवस्था की समस्या है।

उन्होंने कहा कि आज देश युवा मन के साथ आगे बढ़ रहा है इसलिए वह सर्जिकल स्ट्राइक करता है, एयर स्ट्राइक करता है और आतंक के सरपरस्तों को उनके घर में जाकर सबक सिखाता है। इसका परिणाम यह हुआ कि आज सिर्फ जम्मू कश्मीर में ही नहीं, बल्कि देश के अन्य हिस्सों में भी शांति कायम हुई है। अलगाववाद-आतंकवाद को बहुत सीमित कर दिया गया है।

प्रधानमंत्री ने पूर्वोत्तर की समस्या का भी उल्लेख किया और कहा कि पांच -पांच, छह-छह दशक से वहां के अनेक क्षेत्र उग्रवाद से परेशान थे। अपनी-अपनी मांगों की वजह से पूर्वाेत्तर में कई उग्रवादी संगठन पैदा हो गए थे। इन संगठनों का लोकतंत्र में विश्वास नहीं था। वो ये सोचते थे कि हिंसा से ही रास्ता निकलेगा। इस हिंसा में हजारों निर्दोष लोग, हजारों सुरक्षाकर्मियों की मौत हुई।

उन्होंने कहा कि हमने एक तरफ पूर्वोत्तर के विकास के लिए अभूतपूर्व योजनाओं की शुरुआत की और दूसरी तरफ बहुत ही खुले मन और खुले दिल के साथ सभी पक्षकारों के साथ बातचीत शुरू की। बोडो समस्या को लेकर एक बहुत बड़ा और ऐतिहासिक समझौता इसी का परिणाम है।

कुछ दिन पहले मिजोरम और त्रिपुरा के बीच ब्रू जनजाति को लेकर हुआ समझौता इसी का परिणाम है। इस समझौते के बाद, ब्रू जनजातियों से जुड़ी 23 साल पुरानी समस्या का समाधान हुआ है। आने वाले वर्षों में सरकार ब्रू-रियांग जनजाति का जीवन आसान बनाने के लिए 600 करोड़ रुपए खर्च करने जा रही है।

उन्होंने कहा कि यही तो युवा भारत की सोच है। सबका साथ लेकर, सबका विकास करते हुए, सबका विश्वास हासिल करते हुए देश को हम आगे बढ़ा रहे हैं। नागरिकता संशोधन कानून को लेकर विवाद का हवाला देते हुए मोदी ने कहा कि देश आजाद हुआ तो बंटवारा किसकी सलाह और किसके स्वार्थ की वजह से हुआ, जिन लोगों ने स्वतंत्र भारत की कमान संभाली वो बंटवारे के लिए क्यों तैयार हुए, इसके बारे में अगर युवा अच्छी किताबें और पूर्वाग्रह से रहित इतिहासकारों की रचनाएं पढ़ेंगे, तो उन्हें सच्चाई पता चलेगी। लेकिन आज इस समय नागरिकता संशोधन कानून को लेकर जो इतना भ्रम फैलाया जा रहा है, जो विरोध किया जा रहा है, उसकी सच्चाई देश के युवाओं को जानना आवश्यक है।

उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता के बाद से ही स्वतंत्र भारत ने पाकिस्तान, बांग्लादेश में, अफगानिस्तान में रह गए हिंदुओं-सिखों और अन्य अल्पसंख्यकों से ये वादा किया था कि अगर उन्हें जब भी लगे तो वे भारत आ सकते हैं, भारत उनके साथ खड़ा रहेगा। यही इच्छा गांधीजी की थी और यही 1950 में हुए नेहरू-लियाकत समझौते की भी भावना थी। इन देशों में जिन लोगों पर उनकी आस्था की वजह से अत्याचार हुआ, भारत का दायित्व था कि उन्हें शरण दे और भारत की नागरिकता दे। लेकिन इस विषय से और ऐसे हजारों लोगों से मुंह फेर लिया गया।

प्रधानमंत्री ने कहा कि ऐसे लोगों के साथ हुए ऐतिहासिक अन्याय को रोकने के लिए, भारत के पुराने वादे को पूरा करने के लिए आज जब हमारी सरकार यह कानून लेकर आई है, ऐसे लोगों को भारत की नागरिकता दे रही है, तो कुछ राजनीतिक दल अपने वोटबैंक पर कब्जा करने की स्पर्धा में लगे हैं। उन्होंने पूछा कि आखिर किसके हितों के लिए काम कर रहे हैं ये लोग? क्यों इन लोगों को पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों पर हो रहे अत्याचार दिखाई नहीं देते?

उन्होंने कहा कि सिर्फ आस्था की वजह से पाकिस्तान में इन बेटियों पर जो जुल्म होते हैं, उनके साथ बलात्कार होते हैं, उनका अपहरण होता है, ये इन सबको झुठलाने पर तुले हुए हैं। उन्होंने कहा कि इनमें से कुछ लोग दलितों की आवाज बनने का ढोंग कर रहे हैं। ये वही लोग हैं जिन लोगों को पाकिस्तान में दलितों पर अत्याचार दिखाई नहीं देता। ये लोग भूल जाते हैं कि पाकिस्तान से जो लोग धार्मिक प्रताड़ना की वजह से भागकर भारत आए हैं, उनमें से ज्यादातर दलित ही हैं।

मोदी ने कहा कि बंटवारे के समय बहुत से लोग भारत छोड़कर चले गए। लेकिन यहां से जाने के बाद ये लोग यहां की संपत्तियों पर अपना हक जताते थे। हमारे शहरों के बीचों-बीच खड़ी, लाखों करोड़ की इन संपत्तियों पर भारत का हक होते हुए भी ये देश के काम नहीं आ रही थीं। दशकों तक शत्रु संपत्ति विधेयक को लटकाकर रखा गया। जब हम इसे लागू करवाने के लिए संसद में लेकर आए, तो कानून को पास करवाने में हमें नाको चने चबाने पड़ गए।

उन्होंने कहा कि किसके हित के लिए ऐसा किया गया? जो लोग नागरिकता संशोधन कानून का विरोध करने निकले हैं, वही लोग शत्रु संपत्ति कानून का विरोध कर रहे थे। उन्होंने अपनी सरकार के कार्यकाल में राम मंदिर से लेकर जनधन खाते तक हर प्रकार के कार्य गिनाये और भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई का संकल्प दोहराया।

उन्होंने कहा कि हर नौजवान चाहता है कि देश में भ्रष्टाचार खत्म हो। भ्रष्टाचार हमारे देश के साधनों-संसाधनों को दीमक की तरह चाटता रहा। इसने अमीर को और अमीर बनाया, गरीब को और गरीब। उनकी सरकार ने जनधन आधार और मोबाइल की शक्ति से, आधुनिक तकनीक की मदद से, इस तरह के भ्रष्टाचार को काफी हद तक काबू में कर लिया है। ऐसा करके एक लाख 70 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा गलत हाथों में जाने से बचाए गये हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा कि 20वीं सदी के 50 साल और 21वीं सदी के 15-20 साल, हमें दशकों पुरानी समस्याओं के साथ जीने की जैसे आदत हो रही थी। किसी भी देश के लिए ये स्थिति ठीक नहीं। हम भारत के लोग, ऐसा नहीं होने दे सकते। हमारा कर्तव्य है कि हम अपने जीते जी इन समस्याओं से देश को मुक्त करें। हम अपनी आने वाली पीढ़ियों को, ऐसी समस्याओंमें उलझाकर जाएंगे, तो देश के भविष्य के साथ अन्याय करेंगे। हम ऐसा नहीं होने दे सकते।

उन्होंने कहा कि इसलिए, मैं आने वाली पीढ़ियों के लिए, देश के युवाओं के भले के लिए, सारे राजनीतिक प्रपंचों का सामना कर रहा हूं। मैं इन लोगों की सारी साजिशों को नाकामयाब कर रहा हूं, ताकि देश कामयाब हो सके। मैं सारी आलोचना, सारी गालियां सामने आकर खा रहा हूं, ताकि हमारी आने वाली पीढ़ियों को इस स्थिति से नहीं गुजरना पड़े।

उन्होंने कहा कि मैं हर गाली के लिए, हर आलोचना के लिए, हर जुल्म सहने के लिए तैयार हूं लेकिन देश को इन परिस्थितियों में अटकाए रखने के लिए तैयार नहीं। आजकल ये लोग दुष्प्रचार कर रहे हैं, विदेशी मीडिया के अपने जैसे लोगों द्वारा ये फैला रहे हैं कि हमारी सरकार ने जो फैसले लिए, उसने मोदी की प्रतिष्ठा को चोट पहुंचाई है। मोदी इन बातों के लिए पैदा ही नहीं हुआ है। इनके दबावों का सामना करते हुए मुझे बरसों बीत गए हैं। जितना ये लोग खुद को नहीं जानते, उससे ज्यादा मैं इनकी रग-रग से औऱ हर तिकड़म से वाकिफ हूं। इसलिए ये लोग किसी भी भ्रम में न रहें।

मोदी ने कहा कि लोग बदलते हुए भारत को समझ ही नहीं पाए हैं। अनेकों समस्याओं की बेड़ियों में जकड़ा हुआ देश, आगे कैसे बढ़ेगा। हम समस्याओं का समाधान भी कर रहे हैं और बेड़ियों को भी तोड़ रहे हैं। ये देश हमें ही मजबूत बनाना है, हमें ही इसे विकास की नई ऊँचाई पर पहुंचाना है। साल 2022 में, जब हम अपनी स्वतंत्रता के 75 वर्ष का पर्व मनाएंगे, तब ऐसी अनेक समस्याओं से हमें देश को हमेशा-हमेशा के लिए मुक्त कर देना है। स्वतंत्रता के बाद से चली आ रही समस्याओं से ये मुक्ति ही इस दशक में नए भारत को सशक्त करेगी।

उन्होंने कहा कि जब देश पुरानी समस्याओं को समाप्त करके आगे बढ़ेगा, तो उसका सामर्थ्य भी खिल उठेगा। भारत की ऊर्जा वहां लगेगी, जहां लगनी चाहिए। उन्होंने कहा कि चौथी औद्योगिक क्रांति में भारत को, युवा भारत को बहुत बड़ी भूमिका निभानी है। हमें अपनी अर्थव्यवस्था को नई ऊंचाई पर ले जाना है। हमें मिलकर एक आत्मनिर्भर, सशक्त, समृद्ध और सुरक्षित भारत बनाना है।