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Narendra Modi interacts with ASHA, ANM and Anganwadi workers, underlines importance of welfare of women, children-मजबूत राष्ट्र के लिए स्वस्थ बचपन पहली शर्त : पीएम मोदी - Sabguru News
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मजबूत राष्ट्र के लिए स्वस्थ बचपन पहली शर्त : पीएम मोदी

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मजबूत राष्ट्र के लिए स्वस्थ बचपन पहली शर्त : पीएम मोदी
Narendra Modi interacts with ASHA, ANM and Anganwadi workers, underlines importance of welfare of women, children
Narendra Modi interacts with ASHA, ANM and Anganwadi workers, underlines importance of welfare of women, children
Narendra Modi interacts with ASHA, ANM and Anganwadi workers, underlines importance of welfare of women, children

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कुपोषण के खिलाफ निर्णायक संघर्ष करने का आह्वान करते हुए आज कहा कि मजबूत राष्ट्र के लिए स्वस्थ बचपन पहली शर्त है और इसके लिए सभी को एकजुट होना होगा।

मोदी ने मंगलवार को वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए देश भर की लाखाें आंगनवाडी, आशा और स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के साथ बातचीत करते हुए कहा कि स्वस्थ और सक्षम भारत के निर्माण में आप सभी की शक्ति पर पूरे देश को पूरा भरोसा है। कुपोषण के खिलाफ जंग छेड़ दी गई है और अाप लोग इसमें अग्रिम पंक्ति में हो।

उन्होंने सुदृढ़ राष्ट्र के लिए नागरिकों का स्वस्थ होना आवश्यक है और इसके लिए स्वस्थ बचपन देना होगा। उन्हाेंने कहा कि हमें मिलकर कुपोषण के खिलाफ, गंदगी के खिलाफ, मातृत्व की समस्याओं के खिलाफ सफलता हासिल होगी। तभी ट्रिपल ‘ए’ की हमारी ये ताकत देश को ‘ए श्रेणी’ में रखेगी, शीर्ष पर रखेगी।

आंगनवाडी, आशा और स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के कल्याण के लिए शुरु की गई विभिन्न योजनाओं का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि टेक्नॉलॉजी ने अनेक मुश्किलों को आसान कर दिया है। टेक्नॉलॉजी जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा बन चुकी है। फोन अनेक सवालों का जवाब है। सरकार तो फोन के माध्यम से ही अनेक प्रकार की सुविधाएं सभी देशवासियों तक पहुंचा रही है।

मोदी ने कहा कि यदि देश का नागरिक सही से रुप से पोषित और विकसित होगा तो देश के विकास को कोई नहीं रोक सकता है। लिहाज़ा शुरुआती हज़ार दिनों में देश के भविष्य की सुरक्षा का एक मज़बूत तंत्र विकसित करने का प्रयास हो रहा है।

किसी भी शिशु के लिए जीवन के पहले एक हज़ार दिन बहुत महत्वपूर्ण होते हैं। इस दौरान मिला पौष्टिक आहार, खान-पान की आदतें उसका शरीर, पढ़ना-लिखना और मानसिक स्तर तय करती हैं।

उन्हाेंने कहा कि कमज़ोर नींव पर मज़बूत इमारत का निर्माण नहीं हो सकता। इसी प्रकार यदि देश का बचपन कमज़ोर रहेगा तो उसके विकास की गति धीमी हो जाएगी। उन्होंने कहा कि रक्षाबंध के रक्षा सूत्र से आप बच्चों को कुपोषण से बाहर लाने के काम से जनता को जोड़ रहे हैं। आपके इस प्रयास को मैं नमन करता हूं।

लगभग 50 करोड़ लोगों काे स्वास्थ्य बीमा उपलब्ध कराने की योजना आयुष्मान भारत का उल्लेख करते हुए मोदी ने कहा कि हरियाणा में एक नवजात इसका पहला लाभार्थी रहा है। उन्हाेंने कहा कि आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के साथ मिलकर सुपोषण स्वास्थ्य मेले का आयोजन होता है।

मेले के दौरान कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षण, ग्राम स्तर पर सामुदायिक बैठकों का आयोजन और कुपोषित बच्चों के परिजनों को खान पान की सलाह दी जाती है। बच्चे की ही नहीं बल्कि प्रसूता माता के स्वास्थ्य की भी सभी चिंता कर रहे हैं। सरकार के सुरक्षित मातृत्व अभियान की अधिक से अधिक जानकारी लोगों तक पहुंचानी है।

मोदी ने कार्य प्रणाली बदलाव का जिक्र करते हुए कहा कि पहले जन्म के 42 दिन तक आशा कार्यकर्ता को छह बार बच्चे के घर जाना होता था। अब 15 महीने तक 11 बार बच्चे का हालचाल जानना ज़रूरी है। इस स्नेह और अपनेपन से एक से एक बेहतरीन नागरिक देश को मिलेंगे।

प्रधानमंत्री ने कहा कि ‘होम बेस्ड न्यूबोर्न केयर’ के माध्यम से हर वर्ष देश के लगभग सवा करोड़ बच्चों की देखभाल की जा रही है। कार्यकर्ताओं की मेहनत से ये कार्यक्रम सफल हो रहा है तथा इसको और विस्तार दिया गया है। अब इसको ‘होम बेस्ड चाइल्ड केयर’ का नाम दिया गया है। उन्हाेंने कहा कि एनीमिया हर वर्ष सिर्फ एक प्रतिशत की दर से घट रही है। सरकार ने राष्ट्रीय पोषण अभियान के तहत इस गति को तीन गुना करने का फैसला किया है।

कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए उन्हाेंने कहा कि एनीमिया मुक्त भारत के इस संकल्प को आप सभी पूरी ताकत से पूरा करने वाले हैं। एनीमिया से मुक्ति का मतलब लाखों गर्भवती महिलाओं और बच्चों को जीवन दान।

उन्हाेंने कहा कि सभी कार्यकर्ताओं को आयोडीन और आयरन युक्त डबल फोर्टिफाइड नमक के इस्तेमाल के लिए लोगों को और जागरूक करना पड़ेगा ताकि एनीमिया जैसी बीमारियों को दूर किया जा सके।

मोदी ने देश के हजारों-लाखों डॉक्टरों का भी आभार व्यक्त किया जो बिना कोई फीस लिए, गर्भवती महिलाओं की जांच कर रहे हैं। उन्हाेंने कार्यक्रम के दौरान देश के विभिन्न हिस्सों में काम रही आंगनवाडी, आशा और स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं से सीधी बात की और उनके कामकाज के बारे में पूछा।