क्या था 15 लाख का जुमला : नरेंद्र मोदी के 15 लाख रुपए देने के बयान का सच आप भी जान लिजिए। पिछले चुनाव में यानी 2014 के पहले नरेंद्र मोदी द्वारा दिए गए बयान के अनुसार कई लोगों ने यह मान लिया कि नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बनने के बाद हर एक भारतीय नागरिक के बैंक अकाउंट में 15 लाख रुपए की राशि जमा करा देंगे। इस बात को विपक्षी दलों ने हथियार बनाकर काम में लेना शुरू किया और यहां तक कि बड़े-बड़े मीडिया चैनलों व अखबारों ने भी इस बात का जमकर इस्तेमाल किया। सभी ने टीआरपी और खुद की मार्केट वैल्यू को बढ़ाया। आखिर इसके पीछे का सच क्या था, आज की इस खबर को पढने के बाद आपकी समझ आएगा कि आखिर सच में मोदी ने 15 लाख रुपए देने का वादा किया था या यह सब एक झूठ था अथवा लोगों ने से गलत समझ लिया या लोगों को यह गलत समझा दिया गया।
Modi ke 15 lakh ke vade ka sach
आपको बतादें सबसे पहले आखिर यह सब शुरू कहां से हुआ, इस बात को बताने से पहले आपको यह बात साफ साफ बता देते हैं कि नरेंद्र मोदी ने कभी भी 15 लाख रुपए देने का वादा नहीं किया था। यह सब कुछ लोगों ने मान लिया या उन्हें बार-बार ऐसा एहसास दिलाया गया कि उनके अकाउंट में 15 लाख रुपए आ जाएंगे। यह सब कैसे हुआ वह हम आप को समझाएंगे लेकिन सबसे पहले आपको यह बता दें यह सब कैसे और कहां से शुरू हुआ।
Modi ne 15 lakh ki baat kab aur kaha boli
तारीख थी 7 नवंबर 2013 जिस समय नरेंद्र मोदी छत्तीसगढ़ के कांकेर में रैली कर रहे थे। उसी दौरान भाषण में नरेंद्र मोदी ने एक बयान दिया या आप यह कह सकते हैं उन्होंने अपनी एक बात जनता के बीच में रखी जिसे किसी और तरीके से ही पेश कर दिया गया।
मोदी ने 15 लाख के लिए क्या कहा था
मोदी ने काले धन का सच बताते हुए यह कहा कि “जो चोर लुटेरे हैं उनका काला धन जो कि भारत के बाहर जमा है अगर वह रुपया वापस आ जाए तो इतना धन आएगा की हर एक भारतीय नागरिक को मुफ्त में 15-20 लाख रुपए यूं ही मिल जाएगा“। इस पंक्ति पर ध्यान दीजिएगा कहीं पर भी नरेंद्र मोदी ने 15 लाख रुपए बैंक में जमा कराने की बात नहीं की है कि यदि वह पीएम बन जाएं तो वह हर एक भारतीय नागरिक के खाते में 15 लाख रुपए जमा करेंगे।
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15 लाख को लेकर मोदी को किया बदनाम
लेकिन आखिर इसके बाद ऐसा क्या हुआ कि नरेंद्र मोदी गलत स्थिति का पात्र बन गए और भारत के कई लोग और विपक्षी उनके ऊपर इस बात का हथियार बनाकर हमला करने लगे कि नरेंद्र मोदी ने हर एक भारतीय को 15 लाख देने की बात करी थी और 15 लाख रुपए नहीं दिए।
मोदी के 15 लाख के बयान को लेकर पहला उदाहरण
यह सामान्य सी बात है, अगर इसे समझा जाए तो बहुत ही आसान है और अगर कोई नहीं समझ ना चाहे तो उसके लिए आसान सी चीज भी बडी हो जाएगी। इसे हम यूं कह सकते हैं जैसे हम अपने घर की ही बात करें, जब आप अपने बच्चों को पढ़ने लिखने के लिए जोर देते हैं कुछ बनने के लिए जोर देते हैं तो कह देते हैं कि यदि तुम अच्छे से पढ़ लिख जाओगे तो बहुत बड़े आदमी बन जाओगे, तुम भी करोड़ों रुपए कमा लोगे, तुम भी अपना घर खरीद लोगे, तुम भी अपनी गाड़ी खरीद लोगे, इस तरह की कई बातें हम अपने बच्चों से करते हैं।
लेकिन इसके पीछे की सत्यता क्या होती है। हर एक माता-पिता का सपना होता है कि उनका बच्चा अच्छे से तरक्की करें और एक अच्छे मुकाम पर पहुंचे। यह सारी बातें बोलने का जो मकसद होता है वह यही होता है कि उनका बच्चा अपनी जिंदगी को सत्यता के रूप में लेकर चले और अपनी जिंदगी में खूब मेहनत करें और आगे बढ़े ताकि अपने आगे के जीवन को व्यवस्थित रूप से चला सके।
उन्हें इस बात का पूरी तरीके से अनुमान भी नहीं होता कि उनका बच्चा अपने भविष्य में क्या करेगा और क्या नहीं ऐसा नहीं है कि मेहनत करने वालों को उसका फल नहीं मिलता लेकिन मेहनत कौन नहीं करता सभी करते हैं लेकिन उसका फल सबको उनके मेहनत के अनुसार मिलता है।
जिस प्रकार माता पिता अपने बच्चों को यह समझाते हैं कि अगर वह कुछ कर लेंगे अच्छे से पढ़ लेंगे तो वह जीवन में बहुत बड़े आदमी बन जाएंगे उसी प्रकार से मोदी ने काले धन का तिरस्कार करते हुए इस पंक्ति द्वारा उदाहरण दिया था ना कि यह कहा था कि हर एक भारतीय नागरिक के खाते में 15 लाख रुपए आ जाएंगे।
मोदी के 15 लाख के बयान को लेकर दूसरा उदाहरण
यह केवल एक उदाहरण नहीं है, इसके अलावा इस बात को यूं भी समझा जा सकता है। जैसे कि आप कोई नौकरी करते हैं तो हर एक नौकरी करने वाले के मन में यह एक सपना होता है कि वह अपनी नौकरी में अव्वल साबित हो। इतना कुछ बड़ा करें उसको उसकी नौकरी से बहुत ज्यादा तरक्की मिले, यह सपना केवल एक इंसान का नहीं होता एक ही कार्यालय में हर एक कर्मी का यही सपना होता है। उसका मालिक अपने सभी कर्मचारियों से ही है कहता है कि यदि आपने मेरे इस काम को किसी ऐसे मुकाम पर पहुंचा दिया जिससे कंपनी को बहुत ज्यादा मुनाफा होता है तो हर एक कर्मचारी की तंखा बढ़ जाएगी। उन्हें अत्यधिक बोनस मिलेगा।
लेकिन इसके बाद होता क्या है ऐसा नहीं है कि मालिक उन्हें अच्छी तनख्वा नहीं देना चाहता या बोनस नहीं देना चाहता। इस सब के बाद जब कंपनी अच्छी तरक्की करती है तो मालिक अपने चुनिंदा कर्मियों को ही अच्छे वेतन का लाभार्थी मानता है और उनके लिए कुछ करता है। उसके लिए सभी के लिए करना मुश्किल सा हो जाता है, लेकिन इसका मतलब यह तो नहीं कि मालिक ने अपने कर्मचारियों से झूठ कहा था।
यदि किसी स्थिति को किसी वाक्य द्वारा समझाने के लिए आपको कोई ऐसी बात बोली जाए जो कि आमजन के लिए समझने के लिए वह बात आसान हो तो यह बात बोलना गलत तो नहीं है।
मोदी के 15 लाख के बयान को लेकर तीसरा उदाहरण
इसलिए एक छोटा सा उदाहरण और दे देते हैं जब भी भगवान की बात आती है तो भगवान की भक्ति के लिए यह जरूर बोला जाता है यदि मन में भगवान के लिए सच्ची भक्ति हो या ढूंढने की सच्ची चाह हो तो भगवान भी मिल जाता है हर एक बुद्धिजीवी यह जानता है कि भगवान की मौजूदगी है जरूर लेकिन यह एक विश्वास के लिए बोला जाता है इसका मतलब यह तो नहीं कि भगवान है ही नहीं अब यहां बात समझने की है कि आप मोदी द्वारा बोले गए वाक्य को किस तरह से लेते हैं।
किन्होंने किया मोदी को बदनाम
अब आपको बता दें कि आखिर मोदी का यह वाक्य इस तरह से लोगों की धारणा में कैसे आ गया कि नरेंद्र मोदी हर एक के खाते में 15 लाख रुपए जमा करेंगे यदि वह पीएम बन जाते हैं, तो आपको बता दें जब मोदी ने यह वाक्य बोला उसके कुछ समय बाद विपक्षी दलों ने और कई मीडिया और कई लोगो ने फेसबुक और व्हाट्सएप व अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म द्वारा इस बात का बहुत ज्यादा प्रचार किया गया और विपक्षी दलों ने इसे हथियार की तरह काम में लिया क्योंकि इस बात से हर एक विपक्षी दल अवगत है कि ऐसा नहीं हो सकता लेकिन लोगों के बीच यह बात बार-बार पेश की जाएगी तो लोगों को भी यह लगने लगेगा कि नरेंद्र मोदी हर एक भारतीय के खाते में 15 लाख रुपए जमा करा देंगे और यह सब उन्होंने अगले चुनाव के लिए हथियार के रूप में काम में लेने के लिए इसे इस्तेमाल किया जिससे वह आज भी कर रहे हैं।
कैसे बनाई गई भारत की जनता मुर्ख
भारत की मासूम जनता जिसमें से अधिकांश लोग तो राजनीति से ताल्लुक भी नहीं रखते केवल सुनी सुनाई बातों पर विश्वास करके और व्हाट्सएप और फेसबुक के शेयर किए गए पोस्ट को पढ़कर यह मानने लगे कि मोदी ने ऐसा कहा था यदि आप एक अच्छे बुद्धिजीवी हैं तो इस बात को अच्छे ढंग से समझिए और उसके बाद इसका निर्णय करें कि आखिर इसके पीछे का सच क्या था और इसमें विपक्षी दलों ने मोदी के इस वाक्य का कितना गलत इस्तेमाल किया। और यह बात आप जानते ही होगे की यदि एक ही बात को बार बार बोला जाए तो अंत में वह सच लगने लगती है।
2019 चुनाव में प्रधानमंत्री कौन बनेगा
यहां बात यह नहीं है कि 2019 चुनाव में प्रधानमंत्री कौन बनता है जनता जिसे चुनेगी वहीं प्रधानमंत्री बनेगा लेकिन किसी झूठे तथ्य के आधार पर किसी को गलत मान लेना बिल्कुल सही नहीं होगा।