अजमेर। नारी की पुरूषों से कोई प्रतिस्पर्धा नहीं है। नारी को स्वयं को प्रमाणित करना है। महिलाओं को अपने मातृत्व, नेतृत्व तथा कृत्त्व के गुणों से राष्ट्र निर्माण में योगदान देना चाहिए। ये बात रविवार को जवाहर रंगमंच में आयोजित नारी शक्ति संग कार्यक्रम में विवेकानन्द केन्द्र कन्या कुमारी की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सुश्री निवेदिता रघुनाथ भिड़े ने मुख्य वक्ता के रूप में संबोधित करते हुए कही।
विवेकानन्द केन्द्र कन्या कुमारी की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सुश्री निवेदिता रघुनाथ भिड़े ने नारी शक्ति संगम में मुख्य वक्ता के तौर पर महिलाओं को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि महिला में परिवार पर विशेष ध्यान देने का नैसर्गिक गुण होता है। वह परिवार के बारे में पहले सेफ्टी है। इसी को आगे बढ़ाकर सोचते हैं। हमे परिवार का विस्तारित रूप समाज में समाज का विस्तारित रूप राष्ट्र में तथा राष्ट्र का विस्तारित रूप विश्व में देखना चाहिए। महिला परिवार को जोड़ने से ही परिवार का अस्तित्व विद्यमान रहता है।
उन्होंने कहा कि परिवार में समाज और राष्ट्र का होना चाहिए। परिवार के द्वारा देश और समाज के प्रति डाले गए अच्छे संस्कार राष्ट्र की दिशा तय करते हैं। अपने धर्म, संस्कृति समय तथा देश के लिए कार्य करने का भाव आने पर परिवार में एकता का सूरपात होता है।
परिवार को देश के साथ जोड़ देने से उसका विद्यटन सता है। परिवार के सदस्यों की सोच व्यापक होने से उनकी समझ बढ़ती है। इसके परिणामस्वरूप परिवार एक सूत्र में बंधा रहता है। परिवार में एकात्म भाव हाने से समाज में वृद्धाश्रम की आवश्यकता नहीं रहेगी।
सुश्री निवेदिता ने कहा कि राष्ट्र के प्रति शून्यता का भाव घातक है। इससे देश और समाज में नकारात्मक वातावरण बनता है। इसे मिटाने के लिए परिवार एवं बच्चों को देश और समाज के लिए कार्य करने वाले, जीवन समर्पित करने वाले महापुरूषों से परिचय करवाया जाना चाहिए। इस कार्य में महिलाओं की विशेष भूमिका होती है। बच्चे माता-पिता को देखकर सीखते हैं।
उन्होंने कहा कि महिला को शक्ति रूप माना गया है। महिला की शक्ति का जागरण समाज के लिए होना चाहिए। परिवार और समाज को बड़ी से बड़ी विकट परिस्थिति से बाहर लाने का महिला में सामथ्र्य होता है। शरीर के अंगों में बड़े होने का भाव नहीं होकर एकात्मक भाव होता है। उसी प्रकार समाज के प्रत्येक घटक का योगदान आवश्यक है।
उन्होंने कहा कि बच्चे माता-पिता के साथ व्यापार नहीं करते है। माता पिता ने बच्चों की अच्छी देखभाल की तो बच्चे माता पिता की भी अच्छी देखभाल करेंगे। यह आवश्यक नहीं है। बच्चे माता पिता से मूल्य सीखते हैं। उन्ही का वे जीवन भर अनुसरण करते हैं। माता पिता ने अपने माता पिता के साथ जैसा व्यवहार किया है वहीं व्यवहार बच्चे उनके साथ करेंगे। नारी को प्रकृति से मिले त्याग, करूणा, समर्पण जैसे गुणों का उपयोग परिवार और समाज के साथ करना चाहिए। घर में बच्चों को संस्कार केन्द्रों तथा संस्कार शिविरों में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए।
नारी शक्ति संगम की अध्यक्षा अखिल भारतीय महाविद्यालयीन तरूणी प्रमुख एवं राष्ट्रीय सेविका समिति की विश्व विभाग सम्पर्क प्रमुख सुश्री भाग्याश्री साठये उपाख्य चन्दा दीदी ने महिलाओं का मातृत्व, नेतृत्व एवं कृतत्व गुणों के साथ राष्ट्र निर्माण में योगदान देने का आह्वान किया। नारी में प्रकृति ने इन गुणों का एकाधिकार प्रदान किया है। नारी शक्ति संगम के माध्यम से महिलाएं अपनी शक्ति को पहचान पाएगी। महिलाओं में असीम क्षमताएं है। सरस्वती ताई आप्ते की जन्म शताब्दी पर महिलाओं ने एक सौ घण्टो तक लगातार सूर्य नमस्कार किया।
इसमें साढ़े तीन वर्ष की बालिका से लेकर 90 वर्ष तक की महिलाओं ने भाग लिया। लिमका बुक के अनुसार 15 हजार 77 महिलाओं ने 3 लाख 67 हजार 824 सूर्य नमस्कार किए। लक्ष्मी बाई केलकर उपाख्य मौसी जी ने देश उत्थान में महिला शक्ति का समूचित उपयोग किया। उन्होंने 14 अगस्त 1947 की मध्य रात्रि को करांची में महिलाओं का शक्ति प्रदर्शन किया। अमरनाथ आंदोलन की सफलता महिलाओं के कारण ही हुई है। सावित्री बाई फूले ने महिला शिक्षा के क्षेत्र में विशेष कार्य किया।
उन्होंने कहा कि महिलाओं को घर से बाहर आकर समाज को भी समय देना चाहिए। महिलाएं अपने कार्य से समाज पर हावी नकारात्मकता को नष्ट करने की क्षमता रखती है। वे समाज की अच्छाइयों को आगे लाकर समाज की दिशा बदल सकती है। स्वच्छता अभियान के माध्यम से देश में आया बदलाव महिलाओं के द्वारा इसे गम्भीरता से लेने से आया है।
उन्होंने कहा कि महिलाओं को पर्यावरण के प्रति भी सचेत रहना चाहिए। पानी बचाने के लिए जितना आवश्यक हो उतना ही पानी ले तथा सामान खरीदने बाजार जाते समय कपड़े का थैला साथ लेकर जाए। इन दो संकलपों का पालन करने से समाज में बड़ा बदलाव आ सकता है।
महिला एवं बाल विकास मंत्री अनिता भदेल ने कहा कि नारी शक्ति संगम का उद्घोष जागृत नारी-समृद्ध भारत है। जागृत नारी का परिवार संस्कारित एवं समृद्ध होता है। भारतीय जीवन दृष्टि में नारी को सृष्टि का मूल आधार माना गया है।
वर्तमान में पाश्चात्य प्रभाव ने नारी को शक्ति के स्थान पर उपभोक्ता वस्तुओं के विपणन का प्रतीक बना दिया है। उसे अपनी शक्ति को पहचानना चाहिए। महिला बहुमुखी होती है। यह कई मार्चों पर एक साथ संभाल सकती है। महिला जागरण ने सुसंस्कारित राष्ट्र का निर्माण होगा।
सुश्री निवेदिता का परिचय
सुश्री निवेदिता रघुनाथ भिड़े ने बीएससी के उपरान्त 1977 में विवेकानन्द केन्द्र की आजीवन कार्यकर्ता बनी। उन्होंने असम, तमिलनाडु, अरूणाचल प्रदेश, नागालैण्ड एवं अण्डमान जैसे क्षेत्रों में विद्यालय संचालन करवाया। वे अभी रक्षा मंत्रालय की हिन्दी सलाहकार समिति की सदस्या, मध्यप्रदेश सरकार की राज्य आनन्द संस्थाशासी निकाय सदस्य तथा इन्टरनेशनल फोरम फॉर इण्डियन हैरिटेज की संस्थापक सदस्या हैं। इन्होंने एकनाथ जी दी मिशन परसोनीफाइड, स्वामी विवेकानन्द एण्ड इण्डियन वूमेनहुड, दी पाथ अहेड तथा वैकअप भारत, एनालइटन दी वर्ल्ड जैसी पुस्तकें लिखी हैं। इन्हें पद्मश्री तथा सरस्वती ताई आप्टे सम्मान प्रदान किया गया है। वे आगामी 11 सितम्बर को शिकागों धर्म संसद के 125 वर्ष पूर्ण होने पर आयोजित कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ उद्बोधन देंगी।
चन्दा दीदी का परिचय
सुश्री भाग्याश्री साठये ने संस्कृत में 0 एमए, बीएड तथा जापानी भाषा में डिप्लोमा किया। इन्होंने श्रीलंका, कैन्या, यूनाइटेड किंगडम, जर्मनी, नार्वें, फीनलैण्ड एवं स्वीजरलैण्ड में महिला उत्थान के लिए कार्य किया। इन्होंने कर्मयोगी और वर्गसंहिता जैसी पुस्तकें भी लिखी हैं।
इनका हुआ सम्मान
नारी शक्ति संगम में विशिष्ट कार्य करने वाली महिलाओं की लघु फिल्मों का प्रदर्शन कर उन्हें सम्मानित किया गया। इनमें जयपुर की कुली मंजू देवी यादव, मैकअप आर्टिस्ट निलोफर खान, विश्वकार्मा महिला उद्योग की किशोरी शर्मा, 350 महिलाओं को रोजगार देने वाले गुरू ओम स्वयं सहायता समूह की शान्ति देवी कुमावत, बूटिक संचालिका नीतू रूगवानी, महेश नगर जयपुर की सेवा बस्ती में 400 कचरा बीनने वालों पढ़ाने वाली विमला कुमावत उपाख्य दादीजी शामिल है।
इसी प्रकार मातृ वंदना योजना में उत्कृष्ट कार्य करने पर रातीडांग की शारदा शर्मा एवं फातीमा, कोटड़ा प्रथम की हेमलता सोनी एवं रेखा देवी तथा सुभाष नगर प्रथम की राजबाला एवं कुसुमलता और महिला एवं बाल विकास विभाग के द्वारा कराएं गए परिवार सर्वे को परिशुद्धता के साथ सम्पादित करने पर सरोज, माया देवी एवं प्रभा तंवर को प्रशस्ति पत्र एवं नकद पुरस्कार देकर सम्मानित किया गया।