चंडीगढ़। हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा की मुश्किलें बढ़ गई हैं। राज्यपाल सत्यदेव नारायण आर्य ने कांग्रेस से संबद्ध नेशनल हेराल्ड अखबार की प्रकाशक कम्पनी एसोसिएट्ड जर्नल लिमिटड को पंचकूला में पुरानी दरों पर जमीन आवंटन बहाल करने के मामले में उन पर मुकदमा चलाने की अनुमति प्रदान कर दी है।
राज्य के स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज ने गुरुवार को जारी एक बयान में राज्यपाल द्वारा हुड्डा के खिलाफ मामला दर्ज करने की अनुमति प्रदान करने का पुष्टि करते हुए कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री के खिलाफ उक्त मामले की जांच कर रहा केंद्रीय जांच ब्यूरो जल्द ही अदालत में आरोप पत्र दायर करेगा।
उन्होंने कहा कि प्रदेश की जनता की भूमि की लूट करने वाले हुड्डा के खिलाफ सीबीआई ने अपनी जांच पूरी करने के बाद राज्यपाल से अदालत में आरोप पत्र दायर करने की अनुमति मांगी थी। राज्यपाल ने सीबीआई को अगली कार्रवाई करने हेतु अपनी स्वीकृति प्रदान कर दी है जिसके चलते यह उम्मीद की जा रही है कि हुड्डा के खिलाफ अदालत में जल्द की आरोप पत्र दायर होगा।
स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि हुड्डा ने कानूनी राय को अनदेखा करते हुए एजेएल को सस्ती दरों पर भूमि आवंटित की थी जिससे प्रदेश को भारी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ा था। उन्होंने दावा किया कि पूर्व मुख्यमंत्री ने कांग्रेस के मोती लाल वोहरा, सोनिया गांधी और राहुल गांधी को खुश रखने और अपनी कुर्सी बचाए रखने के लिए ऐसा किया। उन्होंने कहा कि अन्य एजेंसियां भी इस मामले की जांच कर रही है तथा इसके पीछे किसी प्रकार के राजनीतिक द्वेष की भावना नहीं है।
इस बीच हुड्डा ने अपनी प्रतिक्रिया में इसे राजनीतिक षडयंत्र करार देते हुए कहा है कि चुनाव नजदीक आ रहे हैं इसलिए ऐसा किया गया है। उन्होंने कहा कि उन्हें षडयंत्र के तहत फंसाया जा रहा है तथा इसमें एक व्यक्ति नहीं पूरी सरकारी मशीनरी लगी हुई है। उन्होंने कहा कि एजेएल को भूमि आवंटन का फैसला उनका व्यक्तिगत नहीं बल्कि सरकार का फैसला था। लेकिन वह डरने वाले नहीं है उन्हें न्यायपालिका पर भरोसा है।
उल्लेखनीय है कि हुड्डा पर हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण (हुडा) के पदेन अध्यक्ष के नाते एजेएल को पंचकूला में पूर्व में आवंटित जमीन नियमों के विपरीत जाकर 28 अगस्त 2005 को बहाल करने का आरोप है। इस सम्बंध में सतर्कता विभाग ने हुडा की शिकायत पर मई 2016 में उनके खिलाफ मामला दर्ज किया था।
यह जमीन एजेएल को 30 अगस्त 1982 में इस शर्त पर आवंटित की गई थी कि वह इस पर छह माह में निर्माण करेगी। लेकिन उसने ऐसा नहीं किया जिस पर 30 अक्टूबर 1992 को सम्पदा अधिकारी पंचकूला ने यह जमीन वापिस ले ली और इसके बदले जमा 10 फीसदी राशि में कुछ कटौती कर शेष राशि 10 नवम्बर 1995 को लौटा दी। एजेएल ने सम्पदा अधिकारी के आदेश के खिलाफ वित्तायुक्त एवं सचिव के समक्ष अपील की लेकिन उन्होंने 10 अक्टूबर 1996 को सम्पदा अधिकारी के आदेश को बरकरार रखा।
वर्ष 2005 में सत्ता में आने के बाद हुड्डा ने 14 मई 2005 को एजेएल रद्द की गई जमीन बहाल करने सम्भावना तलाशने को कहा लेकिन तत्कालीन मुख्य प्रशासक ने स्पष्ट कर दिया कि पुराने रेट पर जमीन आवंटित करना सम्भव नहीं है। इसके बावजूद हुड्डा ने 28 अगस्त 2005 को यह एजेएल को 1982 की दरों पर पुन: आवंटित कर दी।
राज्य में वर्ष 2014 में भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनने पर इस आवंटन की सीबीआइ जांच कराने का फैसला किया गया। सीबीआई ने जांच के बाद हुड्डा के पदेन अध्यक्ष के नाते हुड्डा, हुडा के तत्कालीन मुख्य प्रशासक, टाउन एंड कंट्री प्लानिंग विभाग के वित्त सचिव और एजेएल के संचालकों के खिलाफ विभिन्न धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज किया था।