नई दिल्ली। केंद्रीय आवास और शहरी कार्य मंत्रालय ने कहा है कि हेराल्ड हाऊस मामले में दिल्ली हाईकोर्ट ने एसोसिएटिड जर्नल्स लिमिटेड को परिसर खाली करने का आदेश देकर उसके रुख को सही ठहराया है।
मंत्रालय ने शुकवार को यहां जारी एक बयान में कहा कि दिल्ली के बहादुर शाह जफर मार्ग पर एजेएल को वर्ष 1962-63 में मामूली दर पर यह परिसर सार्वजनिक कल्याण के नाम पर प्रेस संबंधी कार्य के लिए दिया गया था लेकिन निरीक्षण में पाया गया कि परिसर में ऐसा कोई काम नहीं हो रहा है। परिसर को किराये पर दे दिया गया है और भारी मुनाफा अर्जित किया जा रहा है।
दिल्ली उच्च न्यायालय ने एजेएल को यह परिसर दो सप्ताह के भीतर खाली करने का निर्देश दिया है और कहा कि ऐसा नहीं होने पर जरुरी कार्रवाई की जाएगी।
सरकार ने कहा कि इस परिसर के दुरुपयोग करने की उसे शिकायत मिली थी और नौ अप्रैल 2018 को निरीक्षण के पाया गया कि परिसर में प्रिटिंग प्रेस नहीं चल रही है और छपने वाले कागज का भी भंडारण नहीं है। जिस स्थान पर प्रिटिंग प्रेस होनी चाहिए थी, वह स्थान खाली है।
इसके अलावा बिना सरकार की अनुमति के एजेएल की लगभग सभी हिस्सेदारी ‘यंग इंडियन लिमिटेड’ को स्थानांतरित कर दी गई है। आयकर विभाग की रिपोर्ट के अनुसार यंग इंडियन लिमिटेड के अधिकतम 76 प्रतिशत हिस्सेदारी गांधी परिवार के पास है। बाकी हिस्सेदारी मोतीलाल वाेरा और आस्कर फर्नांडीज के पास है।
इन सभी उल्लंघनों को देखते हुए सरकार ने संज्ञान लिया और एजेएल को 18 जून 2018 और 24 सितंबर 2018 को नोटिस जारी किए गए लेकिन संबंधित कंपनी ने कोई संतोषजनक जवाब नहीं दिया। इसके सरकार ने 30 अक्टूबर 2018 को एजेएल को परिसर वापस करने का आदेश जारी किया। इसके विरोध में एजेएल ने न्यायालय में मामला दायर कर दिया।