नई दिल्ली। इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ जर्नलिस्ट्स से संबद्ध नेशनल यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट्स-इंडिया ने केंद्र सरकार से डिजिटल मीडिया के लिए पॉलिसी बनाने की मांग की है। संगठन का कहना है कि डिजिटल मीडिया के माध्यम से फर्जी पत्रकार निजी स्वार्थों के लिए मीडिया का गलत इस्तेमाल कर रहे हैं। इससे देशभर में पत्रकारों की साख पर संकट पैदा हो गया है।
एनयूजे-आई के राष्ट्रीय पदाधिकारियों की बैठक में अध्यक्ष रास बिहारी ने कहा कि देश में पत्रकारों के लिए नेशनल रजिस्टर बनाने की जरूरत है। इसकी मांग लंबे समय से की जा रही है। इस बारे में केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री से मुलाकात करके ज्ञापन दिया जाएगा।
एनयूजे महासचिव प्रसन्न महंति ने कहा कि डिजिटल मीडिया के माध्यम से स्वतंत्र पत्रकार होने का दावा करते हुए बड़ी संख्या में फर्जी पत्रकार मीडिया की साख बिगाड़ने में लगे हुए हैं। एनयूजे के संगठन सचिव और प्रेस काउंसिल सदस्य आनंद राणा ने कहा कि डिजिटल मीडिया के नियमन से फर्जी पत्रकारों की बढ़ती संख्या पर रोक लगाई जा सकती है।
एनयूजे उपाध्यक्ष प्रदीप तिवारी ने कहा कि डिजिटल मीडिया के माध्यम से फर्जी पत्रकार अपना-अपना एजेंडा साधने में लगे हैं। इन पर रोक लगाने की आवश्यकता है। एनयूजे कोषाध्यक्ष डा.अरविन्द सिंह ने कहा कि मीडिया की साख बरकरार रखने के लिए फर्जी पत्रकारों की चिह्नित करके उनके खिलाफ कार्रवाई करने की आवश्यकता है।
दिल्ली पत्रकार संघ के अध्यक्ष राकेश थपलियाल ने कहा कि डिजिटल मीडिया की आड़ में फर्जी पत्रकारों के राजनेताओं और प्रशासनिक अधिकारियों को ब्लैकमेल करने की शिकायतें लगातार बढ़ रही है।
बैठक में उत्तरप्रदेश जर्नलिस्ट्स एसोशिएशन के अध्यक्ष रतन दीक्षित, एनयूजे के पूर्व उपाध्यक्ष विवेक जैन, जर्नलिस्ट्स एसोसिएशन ऑफ राजस्थान के अध्यक्ष राकेश शर्मा, एनयूजे की कार्यकारिणी सदस्य अनिल अग्रवाल, रणवीर सिंह, दीपक सिंह, जम्प कोषाध्यक्ष डी आर सोलंकी, उपजा के कोषाध्यक्ष संतोष यादव, डीजेए के वरिष्ठ सदस्य अशोक किंकर, अमित गौड़ आदि ने सरकार से इस संबंध में जल्दी से जल्दी नीति बनाने की मांग की।