हैदराबाद। अखिल भारतीय बैंक कर्मचारी संघ (AIBEA) ने सरकार और केंद्रीय मंत्रिमंडल के 10 सार्वजनिक क्षेत्रों के बैंकों (PSB) को मिलाकर चार बैंक बनाने के प्रस्ताव का विरोध करते हुए 27 मार्च को राष्ट्रव्यापी आंदोलन बुलाने का आह्वान किया है।
सरकार ने बुधवार को बैंकों के विलय के इस प्रस्ताव में 10 सार्वजनिक क्षेत्रों के बैंकों को मिलाकर चार बैंक बनाने की मंजूरी दी। ओरिएंटल बैंक ऑफ काॅमर्स और यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया का पंजाब नेशनल बैंक में, सिंडिकेट बैंक का कैनरा बैंक में, आंध्र बैंक और कॉरपोरेशन बैंक का यूनियन बैंक ऑफ इंडिया में और इलाहाबाद बैंक का इंडियन बैंक में विलय करने का प्रस्ताव पारित किया है। बैंकों का यह विलय एक अप्रैल 2020 से लागू होगा।
संघ ने 10 बैंकों के विलय को रोकने और छह बैंकों को बंद करने से रोकने की मांग की है। उसने आईडीबीआई बैंक का निजीकरण रोकने, पुराने बैंकिंग सुधार को खत्म करने, ऋण वसूली, जमा पर ब्याज दर में वृद्धि, और जनता के लिए सेवा शुल्क कम करने की मांग की है।
एआईबीईए के महासचिव वेंकटचलम ने बुधवार देर रात जारी एक विज्ञप्ति में कहा कि संघ शुक्रवार को हड़ताल का नोटिस देगा और सभी केंद्रों तथ स्टेशनों में 12 मार्च को धरना प्रदर्शन करने की घोषणा करेगा।
वेंकेटचलम ने कहा, हम इन बैंकिंग सुधार उपायों के खिलाफ हैं और इन पुरातन उपायों का लगातार विरोध कर रहे हैं। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि पिछले तीन दशकों से आयी सभी सरकारों ने बैंको को निजी हाथों में सौंपने की योजना पर काम कर रही है।
उन्होंने कहा, बहुत सारे राजनीतिक दलों और राज्य सरकारों ने इसको लेकर गंभीर चिंताएं और आशंकाएं जाहिर की हैं और केंद्र सरकार से इस निर्णय की समीक्षा करने की मांग की है। इसके बावजूद सरकार पीछे नहीं हट रही और मंत्रिमंडल ने विलय को मंजूरी दे दी है लिहाजा हमने उसके इस फैसले का विरोध करने का निर्णय लिया है। उन्होंने कहा कि देश इस समय गंभीर आर्थिक नरमी से जूझ रहा है और ऐसे में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक अपने विशाल संसाधनों का इस्तेमाल कर अर्थव्यवस्था को पटरी पर ला सकते हैं।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पिछले सप्ताह ही अर्थव्यवस्था में सुधार के लिये बैंकों को महत्वपूर्ण कार्य सौंपे हैं। बैंकों का विलय और बैंकों को बंद करना इन कार्यों से ध्यान बंटाने का प्रयास है। वेंकेटचलम ने कहा कि भारत में बैंकों की संख्या कम है और उनका आपस में विलय करने की बजाय विस्तार करने की जरूरत है।
उन्होंने कहा कि भारत को वित्तीय समावेश की जरूरत है और विलय कई छोटे ग्राहकों को बैंकिग सेवाओं से दूर कर देगा। बैंकिंग की सभी लोगों तक पहुंच बनाने के लिए केंद्र सरकार ने जनधन योजना की शुरुआत की। अब वे जनधन योजना-2 ला रहे हैं जिससे साफ है कि अभी भी कई लोगों को बैंकिंग सेवाओं से जोड़ा जाना बाकी है। विलय से केवल बैंकों की संख्या कम होगी।