चंडीगढ़। पंजाब प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू ने आज यहां प्रदेश पार्टी मुख्यालय पहुंच कर अपना कामकाज पुन: सम्भाल लिया। उनके साथ इस मौके पर पार्टी के प्रदेश मामलों के प्रभारी हरीश चौधरी भी थे।
सिद्धू के पुन: अपना कामकाज सम्भालने के साथ ही उनका राज्य के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी के नेतृत्व वाली सरकार के साथ चल रहे टकराव का पटाक्षेप होता दिख रहा है और ऐसा प्रतीत होता है कि पार्टी संगठन और सरकार के बीच आपसी तालमेल के साथ मजबूती से राज्य विधानसभा चुनावों में उतरने की सहमति बन गई है।
उल्लेखनीय है कि बरगाड़ी बेअदबी और गोलीकांड की निष्पक्ष जांच कराने और दोषियों को सज़ा सुनिश्चित करने तथा ड्रग माफिया को समाप्त करने जैसे दो मुख्य मुद्दों के दम पर राज्य में वर्ष 2017 में सत्ता में आई कांग्रेस सरकार के इस दिशा में कुछ ठोस नहीं कर पाने के चलते अमरिंदर सिंह को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने पर मजबूर होना पड़ा था।
इसके बाद चरणजीत सिंह चन्नी ने सरकार की कमान सम्भाली लेकिन उनके द्वारा राज्य के महाधिवक्ता(एजी) पद पर अमर प्रीत सिंह देओल की नियुक्ति और इकबाल प्रीत सिंह सहोता को राज्य का कार्यवाहक पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) बनाए जाने से सिद्धू नाराज हो गए थे और उन्होंने इसके विरोध में गत 28 सितम्बर को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफा पार्टी हाईकमान को भेज दिया था। सिद्धू से अपना इस्तीफा वापिस लेने को लेकर काफी मान मनोव्वल हुई लेकिन वह नहीं माने। हालांकि इस दौरान सिद्धू के विकल्प की भी तलाश होने लगी।
देओल के हाल ही में एजी पद से इस्तीफा देने और राज्य सरकार के इसे स्वीकार करने तथा डीजीपी पद पर नियुक्ति के लिए राज्य की ओर से 30 वर्ष की सेवा पूरी करने वाले वरिष्ठ आईपीएस अधिकारियों का पैनल केंद्र सरकार को भेजे के बाद सिद्धू के तेवर नरम पड़ गए थे।
हालांकि इससे पहले ही एक संवाददाता सम्मेलन में उन्होंने प्रदेशाध्यक्ष पद से अपना इस्तीफा वापिस लेने की घोषणा कर दी थी लेकिन साथ ही यह शर्त भी साथ जोड़ दी कि वह एजी के जाने के बाद ही पार्टी मुख्यालय जाकर अपना कामकाज सम्भालेंगे।