Warning: Constant WP_MEMORY_LIMIT already defined in /www/wwwroot/sabguru/sabguru.com/18-22/wp-config.php on line 46
माता के जयकारों से गुंजायमान है विंध्य क्षेत्र - Sabguru News
होम Religion माता के जयकारों से गुंजायमान है विंध्य क्षेत्र

माता के जयकारों से गुंजायमान है विंध्य क्षेत्र

0
माता के जयकारों से गुंजायमान है विंध्य क्षेत्र
Navratri in Vindhya region
Navratri in Vindhya region
Navratri in Vindhya region

सबगुरू न्यूज़, विन्ध्याचल : सिद्धपीठ विन्ध्याचल में जारी प्रसिद्ध नवरात्र मेला विन्ध्यक्षेत्र की अधिष्ठात्री देवी माॅ विन्ध्यवासिनी के जयकारे से गुन्जायमान हो चुका है। अब तक यहाॅ दस लाख से अधिक श्रद्धालु मां का दर्शन पूजन कर चुके है। देश विदेश से काफी संख्या में श्रद्धालुओं के यहां आने का तांता लगा है। अनुमान है कि सप्तमी, अष्टमी और नवमी पर श्रद्धालुआें की काफी भीड़ इकठ्ठा हो सकती है। गंगा तट से लेकर विन्ध्याचल पर्वत दर्शनार्थियों से पटा पड़ा है।

मेले में काफी भीड़ को देखते हुए अर्धसैनिक बलों के जवानों ने मोर्चा संभाल लिया है। अग्नि काण्ड और भगदड़ से बचने के लिए जिला प्रशासन फूंक फूंक के कदम उठा रहा है। जिला प्रशासन इस क्षेत्र में कोई ढील नहीं दे रहा है।
विश्व का सम्पूर्ण ज्ञान, प्रकाश, अस्तित्व, चेतना, आनन्द और क्रिया ये शक्ति के कार्य है। नवरात्र इसी शक्ति की उपासना का पावन अवसर है।

पुराणों सहित अन्य धार्मिक ग्रन्थों के अनुसार शक्तिपीठों के दर्शन मात्र से मनुष्य सभी पापों से मुक्त हो जाता है।
शक्ति पीठों में दो तीर्थो काशी व प्रयाग के मध्य स्थित विन्ध्यवासिनी पीठ सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। विन्ध्यवासिनी देवी की महिमा का वर्णन देवी पुराण शिवचरित, मत्स्य पुराण, कुजिंका, आदि अनेक ग्रन्थों में वर्णन किया गया है।
विन्ध्याचल को महापुण्य और मोक्षदायिनी पीठ कहा जाता है। देवी विन्ध्यवासिनी को महिषासुरमर्दिनी और महालक्ष्मी के रूप में माना जाता है।

सुविख्यात श्रीयंत्र त्रिपुर सुन्दरी का यंत्र है। प्रकृति हरितीमाॅ के बीच श्रद्धालु त्रिकोण यंत्र की परिक्रमा पूर्ण करते है। इस यंत्र में ब्रम्हाण्ड की उत्पत्ति और विकास को दर्षाया गया है। यंत्र के एक कोण पर महालक्ष्मी के रूप में माॅ विन्ध्यवासिनी विद्यमान है। यंत्र के पश्चिम कोण पर महासरस्वती के रूप मे अष्टभुजा देवी यंत्र के दक्षिण कोण में योगमाया महाकाली जी स्थित है।

सतो, रजो और तमो, गुणों का यह त्रिकोण महालक्ष्मी ,महा सरस्वती और महाकाली के रूप में है। महालक्ष्मी विन्ध्यवासिनी देवी इस यंत्र की अधिष्ठात्री देवी है। इन्हे तीनों नामों से पूजा जाता है। अद्भुत रहस्य भरा यह त्रिकोण यंत्र पूरे विश्व में इकलौता है।

आपको यह खबर अच्छी लगे तो SHARE जरुर कीजिये और  FACEBOOK पर PAGE LIKE  कीजिए, और खबरों के लिए पढते रहे Sabguru News और ख़ास VIDEO के लिए HOT NEWS UPDATE और वीडियो के लिए विजिट करे हमारा चैनल और सब्सक्राइब भी करे सबगुरु न्यूज़ वीडियो