पटना। बिहार राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन में चुनावी चेहरे और सीट बंटवारे को लेकर कुछ दिनों से चल रही खींचतान के बीच गुरुवार को भोज में घटक दल राष्ट्रीय लोक समता पार्टी सुप्रीमो उपेन्द्र कुशवाहा की गैर मौजूदगी ने एकजुटता पर संशय पैदा कर दिया है।
बिहार में हाल में हुए लोकसभा की एक और विधानसभा की दो सीटों के लिए हुए उपचुनाव में राजग की करारी हार के बाद से अगले वर्ष होने वाले लोकसभा चुनाव में चेहरे और सीट बंटवारे को लेकर खींचतान शुरू हो गई। राजग के प्रमुख घटक भारतीय जनता पार्टी, जनता दल यूनाईटेड, लोक जनशक्ति पार्टी और रालोसपा के बीच सीट बंटवारे के साथ ही मुख्यमंत्री के चेहरे को लेकर खींचतान शुरू हो गई थी। इस बीच भाजपा ने अपने सहयोगी दलों के लिए भोज के बहाने राजनीतिक माहौल को बेहतर करने का प्रयास किया।
भोज शुरू होने से पूर्व रालोसपा के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष एवं पूर्व केन्द्रीय मंत्री नागमणि ने कहा कि उनकी पार्टी राजग में बड़े जनाधार वाली है। वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में उनकी पार्टी को तीन सीटों पर विजय मिली थी। उन्होंने कहा कि पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं केन्द्रीय मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री उपेन्द्र कुशवाहा के चेहरे को लेकर चुनावी मैदान में उतरने से राजग को लाभ होगा। जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कभी भी यूटर्न ले सकते हैं। वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में जदयू मात्र दो ही सीट पर जीत दर्ज की थी। कुमार का चेहरा अब सर्वमान्य नहीं रहा।
रालोसपा के सीतामढ़ी से सांसद रामकुमार शर्मा ने कहा कि उनकी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष कुशवाहा सरकारी काम को लेकर भोज में शामिल नहीं हो सके। मुख्यमंत्री कुमार का चेहरा बेहतर है। हालांकि उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष कुशवाहा के चेहरे को आगे करके ही चुनाव लड़ने से राजग को लाभ होगा।
जदयू के वरिष्ठ नेता एवं बिहार के भवन निर्माण मंत्री महेश्वर हजारी ने एक सवाल के जवाब में कहा कि रालोसपा अध्यक्ष कुशवाहा किसी कारणवश भोज में शामिल नहीं हो सके हैं। राजग में सब ठीक-ठाक होने का दावा करते हुए उन्होंने कहा कि घटक दल पूरी तरह से एक साथ हैं।
वहीं, जदयू के राष्ट्रीय महासचिव एवं विधायक श्याम रजक ने कहा कि लोकसभा के चुनाव में उनकी पार्टी 25 सीट से कम पर समझौता करने वाली नहीं है। वर्ष 2009 के लोकसभा चुनाव में उनकी पार्टी 25 सीटों पर चुनाव लड़ी थी। उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी का जनाधार किसी भी दल से कम नहीं है।
लोजपा संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष चिराग पासवान ने कहा कि राजग का भोज बेहतर रहा और इससे आपस में तालमेल और मजबूत हुआ है। विरोधी चाहे जितना खुश हो लें वर्ष 2019 के लोकसभा के चुनाव में राजग उम्मीदवारों की जीत होगी और केन्द्र में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में एकबार फिर से मजबूत सरकार बनेगी।
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष एवं सांसद नित्यानंद राय और स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने कहा कि भोज अच्छा रहा और बड़े नेताओं ने कार्यकर्ताओं के साथ बैठकर इसका जायका लिया। विरोधी चाहे कुछ भी कहें अगले चुनाव में राजग के सभी प्रत्याशियों की जीत होगी।
भोज में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी, भाजपा के बिहार मामलों के प्रभारी भूपेन्द्र यादव, केन्द्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद, केन्द्रीय मंत्री एवं लोजपा अध्यक्ष रामविलास पासवान, केन्द्रीय राज्य मंत्री अश्वनि कुमार चौबे, सांसद जनार्दन सिंह सिग्रीवाल, राज्यसभा सांसद सीपी ठाकुर, रालोसपा के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष नागमणि के साथ ही नीतीश मंत्रिमंडल के सभी मंत्री भी उपस्थित थे ।
उल्लेखनीय है कि इससे पूर्व लोजपा के प्रदेश अध्यक्ष एवं बिहार के पशुपालन मंत्री पशुपति कुमार पारस ने कहा था कि उनकी पार्टी को 2014 के लोकसभा के चुनाव में जीतनी सीट मिली थी उससे कम पर चुनाव लड़ने का सवाल ही नहीं उठता है। अगले लोकसभा चुनाव में राजग के घटक दल कितने-कितने सीटों पर चुनाव लड़ेंगे, इसका फैसला बड़े नेताओं की बैठक में लिया जाएगा।
वहीं, रालोसपा अध्यक्ष कुशवाहा ने कहा थी कि राजग के घटक दलों के बीच आपसी तालमेल की कमी है और इसे दूर करने के लिए संवाद होनी चाहिए। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया था कि उनकी पार्टी चाहती है कि अभी ही अगले लोकसभा चुनाव के लिए राजग के घटक दलों के बीच सीटों का बंटवारा हो जाए जिससे चुनाव की तैयारी में आसानी होगी।
वहीं, दूसरी ओर जदयू के राष्ट्रीय महासचिव केसी त्यागी ने मांग की थी कि बिहार में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को राजग का चेहरा बनाया जाना चाहिए। उन्होंने कहा था कि जिस तरह केन्द्र में भाजपा राजग में बड़े भाई की भूमिका में है ठीक उसी तरह बिहार में जदयू को बड़े भाई की भूमिका निभाने देना चाहिए।
उन्होंने आरोप लगाया था कि भाजपा बिहार में जदयू को किसी न किसी बहाने परेशान करती रहती है और उसका यही रवैया अन्य सहयोगी दलों के प्रति महाराष्ट्र तथा अन्य राज्यों में है। उन्होंने याद दिलाया था कि तेलुगू देशम पार्टी राजग छोड़ चुकी है जबकि शिवसेना भी भाजपा से नाराज है।