पटना। बिहार में इस वर्ष होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले आज मकर संक्रांति के मौके पर ‘दही-चूड़ा’ भोज के बहाने जहां राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन ने एकजुटता दिखाई वहीं ऐसे ‘सियासी भोज’ से सबका ध्यान खींचने वाले ‘लालू आवास’ में सन्नाटा पसरा रहा।
जनता दल यूनाइटेड के प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह के आवास पर आयोजित दही-चूड़ा भोज में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उप मुख्यमंत्री सुशील मोदी समेत मंत्रिमंडल के सदस्य तथा भारतीय जनता पार्टी और जदयू के कई नेता शामिल हुए। इस भोज में दरभंगा के केवटी से राष्ट्रीय जनता दल के विधायक फराज फातिमी के पहुंचने से राजनीतिक सरगर्मी भी बढ़ गई।
फातमी राष्ट्रीय जनता दल (राजद) प्रमुख लालू प्रसाद यादव के करीबी रहे दरभंगा से सांसद और केंद्रीय मंत्री रह चुके अली अशरफ फातमी के पुत्र हैं। अशरफ फातमी ने पिछले साल मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में आस्था जताते हुए जदयू का दामन थाम लिया था।
विधायक फातमी से जब पत्रकारों ने बातचीत की तब उन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की जमकर प्रशंसा की और कहा कि बिहार में मुख्यमंत्री पद के लिए नीतीश कुमार से बड़ा चेहरा कोई नहीं है। उन्होंने दावा किया कि कुमार ही बिहार में फिर से सरकार बनाएंगे।
फातमी ने नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव से ‘पोल खोल यात्रा’ पर पुनर्विचार करने का आग्रह करते हुए कहा कि मुझे नहीं पता कि वह (तेजस्वी यादव) एनआरसी के खिलाफ रैली क्यों निकाल रहे हैं, जब राज्य सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि वे इसे राज्य में लागू नहीं करेंगे।
वहीं, कभी मकर संक्रांति के चूड़ा-दही भोज से सबका ध्यान खींचने वाले राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के आवास पर सन्नाटा नजर आया। यादव के रहने पर यहां बड़े सियासी चेहरों का जुटान होता था। आवास के दरवाजे आम लोगों के लिए भी खोल दिए जाते थे लेकिन चारा घोटाला मामले में उनके जेल में होने के कारण उनकी गैर-हाजिरी में राजद की ओर से भोज का आयोजन नहीं किया गया।
विपक्षी महागठबंधन के नेताओं का जुटान कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष मदनमोहन झा की ओर से प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय सदाकत आश्रम में आयोजित भोज में हुआ। हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा के प्रमुख जीतनराम मांझी, राष्ट्रीय लोक समता पार्टी अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा और विकासशील इंसान पार्टी के अध्यक्ष मुकेश सहनी भोज में पहुंचे लेकिन राजद की ओर से नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव का नहीं आना चर्चा का विषय बना।