नई दिल्ली। सुप्रीमकोर्ट ने प्रवासी कामगारों के घर वापस लाने के निर्देश दिये जाने संबंधी याचिका का मंगलवार को निपटारा कर दिया।
न्यायमूर्ति अशोक भूषण, न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति बीआर गवई की पीठ ने जगदीप छोकर की याचिका की सुनवाई के दौरान कहा कि इस संबंध में केंद्र और राज्यों द्वारा सभी आवश्यक कदम उठाए जा रहे हैं। न्यायालय ने यह टिप्पणी केंद्र सरकार की ओर से पेश तथ्यों को परखने के बाद की।
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने दलील दी कि इस मुद्दे से निपटने के लिए सभी नियमों का पालन किया जा रहा है और उनकी सेवा के लिए सभी संसाधनों के जरिये कार्रवाई की जा रही है। उन्होंने पीठ को बताया कि हम सभी नियमों का पालन कर रहे हैं कि कैसे हम प्रवासी मजदूरों को सभी प्रकार की सुविधाएं प्रदान कर सकते हैं और हम चिंतित हैं और हम उन सभी की मदद करने के लिए अपनी पूरी कोशिश कर रहे हैं।
याचिकाकर्ता के लिए वकील प्रशांत भूषण ने सवाल उठाया कि प्रवासी मजदूरों से लिया गया शुल्क केवल 15 प्रतिशत है। यहां तक कि 15 प्रतिशत भी उनके लिए बहुत अधिक है। केंद्र क्यों उन्हें मुफ्त यात्रा करने की अनुमति नहीं दे सकता है? न्यायालय ने केंद्र सरकार के आश्वासन के बाद मामले का निपटारा कर दिया।