अजमेर। गुजारा भत्ता एलबम के लेखक, निर्देशक एवं निर्माता अजमेर मूल के हनी चौरसिया ने कहा है कि देश में पीड़ित पुरुषों के मामलों के बढ़ने के मद्देनजर महिला आयोग की तर्ज पर पुरुषों के लिए भी पुरुष आयोग गठित किया जाना चाहिए।
चौरसियां ने आज यहां पत्रकारों से कहा कि देश का संविधान पुरुषों और महिलाओं को समानता का संपूर्ण अधिकार देता है। फिर केवल राष्ट्रीय महिला आयोग, राज्य महिला आयोग, महिला मंत्रालय, महिला हेल्पलाइन, महिला हेल्प डेस्क, महिला अपराध शाखा ही क्यों है। पुरुषों के लिए कोई आयोग क्यों नहीं।
उन्होंने नेशनल रिकॉर्ड ब्यूरो के हवाले से कहा कि पुरुषों के लिए कोई आयोग एवं मंत्रालय न होने के चलते न्याय नहीं मिल पाता है तथा लिंग भेदी कानून के दुरुपयोग से हर साल 90 हजार से अधिक पुरुष देश में आत्महत्या कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि गुजारा भत्ते के नाम पर पुरुषों को दोषी मानते हुए महिलाओं को मोटी रकम दिलाई जा रही है। उन्हें असक्षम, असहाय बनाकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत को कमजोर किया जा रहा है।
उन्होंने मीडिया के जरिए देश की अदालतों से भी अनुरोध किया कि देश में पीड़ित पुरुषों के मामले बहुत तेजी से बढ़ रहे हैं क्योंकि उनका शारीरिक, मानसिक एवं आर्थिक शोषण तेजी से हो रहा है। जहां जरुरत पड़े अदालतें झूठे मामले दर्ज कराने वाली तथाकथित महिलाओं को भी दंडित करें।
उन्होंने बताया कि उनके एलबम के जरिए इन बातों का ही संदेश दिया गया है जिसमें अजमेर मूल के अभिनेता मानव दुआ, दिल्ली की मॉडल अभिनेत्री प्रिया छाबड़ा, उच्चत्तम न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता डॉ. एपी सिंह एवं सिक्का तथा अन्य कलाकार नजर आ रहे हैं। उन्होंने बताया कि दीपावली के मौके पर गुजारा भत्ता को रिलीज किया जा चुका है।