काठमांडू। नेपाल की राष्ट्रपति बिद्या देवी भंडारी ने रविवार को प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की सरकार की सिफारिशों पर संसद को भंग कर दिया। राष्ट्रपति कार्यालय ने कहा कि प्रधानमंत्री की सिफारिश के अनुसार संघीय संसद की वर्तमान प्रतिनिधि सभा को भंग कर दिया गया है और चुनाव का पहला चरण शुक्रवार तीन अप्रैल को और दूसरा चरण सोमवार 11 अप्रैल को तय किया गया है।
इससे पहले रविवार को प्रधानमंत्री ओली की ओर से बुलाई गई आपातकालीन बैठक के बाद कैबिनेट ने संसद भंग करने की सिफारिश करने का फैसला किया था। यह निर्णय सत्तारूढ़ नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी के भीतर गहराते संकट के मद्देनजर लिया गया है।
नेपाल की राजनीति में अचानक हुए इस बड़े बदलाव के कारण देश के विभिन्न हिस्सों में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन शुरू हो गया है। नेपाल के संविधान में सदन को भंग करने का प्रावधान नहीं होने के कारण इस फैसले को लेकर विवाद उत्पन्न होने की आशंका है। विपक्षी नेपाली कांग्रेस ने इस कदम को सत्तावादी बताते हुए कहा कि वे इसका राजनीतिक रूप से विरोध करेंगे।
ओली ने रविवार को अप्रत्याशित कठोर कदम उठाते हुए राष्ट्रपति बिद्यादेवी भंडारी से संसद भंग करने की सिफारिश करने का निर्णय लिया। प्रधानमंत्री पर संवैधानिक परिषद अधिनियम से संबंधित एक अध्यादेश को वापस लेने का दबाव था, जिसे उन्होंने मंगलवार को जारी किया था और राष्ट्रपति ने अपनी मंजूरी भी दे दी थी।
संसद भंग करने के फैसले के खिलाफ प्रदर्शन
नेपाल में संसद के प्रतिनिधि सभा को भंग किए जाने के फैसले को लेकर प्रधानमंत्री केण् पीण् शर्मा ओली के खिलाफ रविवार को देश के विभिन्न हिस्सों में प्रदर्शन हुआ।
सरकार के फैसले के खिलाफ राजधानी काठमांडू में सत्तारूढ़ नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी से संबंधित विभिन्न संगठनों ने रैली निकाली। एक अन्य रैली मैतीघर में निकाली गयी। प्रदर्शनकारियों ने सरकार के फैसले को असंवैधानिक, अलोकतांत्रिक तथा तनाशाही कार्रवाई करार दिया। यहां तक कि नेपाली कांग्रेस ने अपने संबंधित संगठनों के साथ हेतौदा तथा बिराटनगर क्षेत्र में रैलिया निकाली।
दूसरी ओर बरा में सत्तारूढ़ नेपाल कांग्रेस से संबंधित युवा संगठन, नेपाली कांग्रेस तथा जनता समाजवादी पार्टी ने ओली सरकार के फैसले खिलाफ प्रदर्शन किया। स्थानीय मीडिया रिपोर्ट के अनुसार सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी के कार्यकर्ता ने पोखरा के महेंद्र पुल में प्रधानमंत्री ओली का पुतला दहन किया।
विरोध. प्रदर्शनों के मद्देनजर किसी अप्रिय घटना को घटित होने से रोकने के लिए काठमांडू में सुरक्षा व्यवस्था बढ़ा दी गई है। साथ ही प्रधानमंत्री आवास, राष्ट्रपति कार्यालय, विभिन्न राजनीतिक पार्टियों के दफ्तरों तथा मैतीघर क्षेत्र में सुरक्षा बढ़ा दी गई है।
उल्लेखनीय है कि ओली सरकार की अनुशंसा पर राष्ट्रपति बिद्या देवी भंडारी ने संसद की प्रतिनिधन सभा को भंग कर दिया है तथा अगले साल 30 अप्रैल और 10 मई को संसदीय चुनाव कराने का फैसला लिया है।