राजनीति की ये रीत पुरानी है कि यहां कोई किसी का सच्चा दोस्त नहीं होता और न कोई किसी का स्थाई दुश्मन। मौके और वक्त के हिसाब से दस्तूर बदलते रहते हैं। दस्तूर यही है कि सत्ता का सिंहासन उसे ही मिलता है जो जोड़-तोड़ में माहिर और परिवार और परंपरा के बंधन से मुक्त हो।
शनिवार की सुबह-सुबह जो राजनीतिक समीकरण बने, उसके बाद शरद पवार की बेटी सुप्रीया सुले का दर्द बाहर निकल पड़ा। उन्होंने कहा कि अब किस पर यकीन किया जाए। परिवार और पार्टी दोनों टूट चुकी है। उनकी इस लाचारी में निशाने पर चचेरे भाई अजित पवार हैं। जिन्होंने चाचा शरद पवार से बागवत करके न सिर्फ बीजेपी की सरकार बनवा दी है, बल्कि खुद भी डिप्टी सीएम बन गए हैं।
राजनीति की इस उठापठक और नाटकीयता को देखकर अनेक लोग अचंभित हैं। साथ ही सभी लोग हैरान हैं। कहा जा रहा है कि भतीजे अजित पवार ने जिस चाल से अपने चाचा को मात दी है, कभी चाचा भी राजनीति के इस चाल का इस्तेमाल कर चुके हैं और अपने राजनीतिक दुश्मनों को पटखनी दे चुके हैं। जब लोकसभा चुनाव में इंदिरा गांधी को जबरदस्त हार का सामना करना पड़ा था। महाराष्ट्र में भी कांग्रेस को करारी हार मिली। हालात ये बने कि तत्कालीन सीएम शंकर राव चव्हाण को अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा।
नए सीएम के तौर पर वसंतदादा पाटिल को शपथ दिलाई गई, लेकिन ये बदलाव शरद पवार को खल गया। कांग्रेस दो हिससों में बंट गई । 1978 में जब विधानसभा चुनाव हुए कांग्रेस के दोनों धड़ों ने अलग-अलग चुनाव लड़ा। त्रिशंकु विधानसभा की स्थिति में एक बार फिर दोनों कांग्रेस साथ आई। वसंतदादा पाटिल सीएम बने। शरद पवार भी मंत्री बने थे।
लेकिन सत्ता की भूख ऐसी रही कि शरद पवार ने चार महीने में ही वसंतदादा पाटिल की सरकार गिरा दी। दरअसल, 5 मार्च 1978 को वसंतदादा पाटिल की सरकार बनी और 18 जुलाई 1978 को उन्हें पद छोड़ना पड़ा। शरद पवार ने जनता दल से मिलकर सरकार बना डाली। महज 38 साल की उम्र में सीएम पद पक काबिज हो गए। आज जब भतीजे ने सत्ता के लिए एनसीपी में सेंध लगा दी है तो कहा जा रहा है कि भतीजा भी चाचा की राह पर है। भतीजे ने वही दोहराया है जो कभी चाचा अपने दम पर कर चुके थे।
भाजपा ने संविधान और लोकतंत्र की धज्जियां उड़ाई : कांग्रेस
महाराष्ट्र में शनिवार सुबह-सुबह बीजेपी के देवेंद्र फडणवीस ने मुख्यमंत्री पद और एनसीपी नेता अजीत पवार ने उप मुख्यमंत्री की शपथ ली। इसके बाद एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार ने इसे अजीत पवार का निजी फैसला बताया और साफ किया कि एनसीपी इसका समर्थन नहीं करती है। वहीं अब कांग्रेस पार्टी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा है कि ये शपथ ग्रहण बिना बैंड-बाजा बारात के हुआ है। जिस तरह से शपथ ग्रहण हुआ है उससे संविधान और लोकतंत्र की धज्जियां उड़ाई गई हैं।
आज सुबह देवेंद्र फडणवीस की मुख्यमंत्री पद और अजीत पवार की उप मुख्यमंत्री की शपथ ग्रहण को कांग्रेस पार्टी ने शर्मनाक बताया है। कांग्रेस पार्टी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि हमारी तरफ से कोई चूक नहीं हुई। हम बैठकें करते रहे। हमारी तरफ से सरकार गठन को लेकर कोई देरी नहीं हुई । हमने देरी की, ये आरोप गलत हैं। आज बिना बैंड-बाजा बारात के शपथग्रहण हुआ है। जो हुआ है वह एनसीपी की वजह से हुआ है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अहमद पटेल ने कहा है कि राज्यपाल ने शिवसेना को मौका दिया, एनसीपी को मौका दिया लेकिन कांग्रेस को मौका नहीं दिया। आज जो हुआ वह संविधान के तहत नहीं हुआ।
चोरी छुपे बनाई गई है सरकार : शरद पवार
देवेंद्र फडणवीस के मुख्यमंत्री और अजित पवार के उपमुख्यमंत्री के पद की शपथ लेने के बाद एनसीपी-शिवसेना की प्रेस कांफ्रेंस में शरद पवार ने कहा कि अजित पवार कुछ विधायकों के साथ राजभवन गए थे। मुझे अजित के शपथ लेने की खबर सुबह मिली थी। बीजेपी को समर्थन करने का फैसला अजित पवार ने खुद लिया था। एनसीपी अजित के फैसले के साथ नहीं है। हमें जो एक्शन लेना होगा वो हम लेंगे। बीजेपी को हमारा समर्थन नहीं है। शरद पवार ने कहा है कि जो विधायक सुबह अजित पवार के साथ राजभवन गए थे, वह अब मेरे साथ हैं।
राजभवन जाने वाले विधायक राजेंद्र सिंघल इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में मौजूद हैं। अजित पवार ने 54 विधायकों का समर्थन पत्र दिखाकर झूठी शपथ ली है। प्रेस कॉन्फ्रेंस में उद्धव ठाकरे ने कहा कि चोरी छिपे सरकार बनाई गई है। देश में लोकतंत्र के नाम पर खेल हो रहा है और सारा देश ये खेल देख रहा है। हमने जनादेश का सम्मान किया है। नई सरकार सदन में बहुमत साबित नहीं कर पाएगी। बीजेपी लोगों को तोड़ती है और हम लोगों को जोड़ते हैं। उद्धव ने कहा कि हमारी राजनीति टीवी चैनलों पर नहीं होती, शिवसेना जो करती है खुलेआम करती है।
बता दें कि महाराष्ट्र कांग्रेस के नेताओं का आरोप है कि ये पूरा खेल शरद पवार ने ही रचा है। शरद सब जानते थे, चाचा-भतीजा दोनों मिले हुए हैं। बिना शरद की सहमति के ये संभव नहीं था। देवेंद्र फड़णवीस को मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाए जाने को जनादेश के साथ विश्वासघात और लोकतंत्र की सुपारी देना करार दिया है। इससे पहले पार्टी के वरिष्ठ नेता अभिषेक सिंघवी ने कहा कि कांग्रेस, शिवसेना और राकांपा को तीन दिनों के भीतर बातचीत पूरी कर लेनी चाहिए थ।
शिवसेना नेता संजय राउत की राजनीति नहीं आई काम
इस पूरे घटनाक्रम के बीच शिवसेना की ‘मुखर आवाज’ संजय राउत अब ‘सुपर विलेन’ नजर आ रहे हैं। शिवसेना की ढाई-ढाई साल के लिए मुख्यमंत्री की मांग जब बीजेपी ने नहीं मानी, उसके बाद दोनों की राहें जुदा हो गईं। शिवसेना के राज्यसभा सांसद संजय राउत के बयान इसके बाद और तल्ख हो गए और लगातार सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर बीजेपी पर अपरोक्ष रूप से तंज कसने लगे। माना जा रहा है कि शिवसेना अपना राजनीतिक कद बढ़ाने के लिए बीजेपी से नाता तोड़ा ताकि किसी शिवसैनिक को मुख्यमंत्री बनाया जा सके।
जब बीजेपी शिवसेना को ढाई साल के लिए सीएम पद देने को राजी नहीं हुई, तब पार्टी कांग्रेस, एनसीपी के साथ विकल्प तलाशने में जुट गई। इस पूरी रणनीति में संजय राउत भी शामिल रहे। उद्धव या आदित्य ठाकरे को सीएम बनाने की कोशिशों के दौरान संजय राउत खुद को ‘किंगमेकर’ की भूमिका में मान रहे थे। लेकिन उन्हें शायद ही भनक रही हो कि बीजेपी जमीन यूं खिसका देगी। महाराष्ट्र बीजेपी के अध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल ने कहा कि शिवसेना ने जनादेश का अपमान है। संजय राउत को अब चुप हो जाना चाहिए। उन्होंने शिवसेना को बर्बाद कर दिया है।
महाराष्ट्र में सरकार बनाने में राज्यपाल की रही अहम भूमिका
महाराष्ट्र के नवनियुक्त राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी की भी भाजपा की सरकार बनाने में अहम भूमिका रही है। पहले तो 12 नवंबर को राज्यपाल ने राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने के लिए केंद्र को सिफारिश भेज दी थी। उसके बाद शनिवार सुबह नाटकीय ढंग से भाजपा की सरकार बनवा दी। महाराष्ट्र में कई दिनों से सरकार बनाने के लिए शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस के बीच बातचीत का दौर चल रहा था कि अचानक सारा खेल ही पलट गया।
राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने देवेंद्र फडणवीस के मुख्यमंत्री और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी नेता शरद पवार के भतीजे अजीत पवार के उप मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाई। बता दें कि 24 अक्टूबर को महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद करीब महीने भर बाद राज्य को मुख्यमंत्री मिला है। इससे पहले सरकार बनाने को लेकर सभी पार्टियों में बातचीच चल रही थी। ढाई साल के लिए मुख्यमंत्री पद पर शिवसेना के दावे के बाद बीजेपी-शिवसेना के रास्ते अलग हो गए थे।
नई सरकार के गठन के बाद राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने इस तरह से शपथ लेने को निराशाजनक बताया है। गहलोत ने ट्वीट में लिखा कि “महाराष्ट्र में जो हुआ वो छुपकर करने की क्या जरूरत थी। इस प्रकार अचानक राष्ट्रपति शासन का हटना और इस प्रकार शपथ दिलाना कौन सी नैतिकता है। ये लोग देश में लोकतंत्र को किस दिशा में ले जा रहे हैं। समय आने पर देश की जनता इसका जवाब देगी।
एक माह तक महाराष्ट्र की राजनीति में खूब होती रही सियासत
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद सरकार बनाने के लिए सभी पार्टियों ने खूब जमकर सियासत की। जब कोई सरकार बनाने में सफल नहीं हो पाया तब राजपाल भगत सिंह कोश्यारी ने 12 नवंबर को महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लगा दिया था। गौरतलब है कि महाराष्ट्र विधानसभा की 288 सीटों के लिए 21 अक्टूबर को चुनाव हुए थे और नतीजे 24 अक्टूबर को आए थे। शिवसेना के मुख्यमंत्री पद की मांग को लेकर बीजेपी से 30 साल पुराना गठबंधन तोड़ने के बाद से राज्य में राजनीतिक संकट खड़ा हो गया था।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह ने मुख्यमंत्री की शपथ लेने पर देवेंद्र फडणवीस को शुभकामनाएं दी हैं। महाराष्ट्र में शिवसेना की सरकार बनाने के लिए सूत्रधार बने शिवसेना के वरिष्ठ नेता संजय राउत शनिवार सुबह प्रेस कॉन्फ्रेंस करके एनसीपी के अजित पवार पर पूरी भड़ास निकाली है। राउत ने भाजपा पर एनसीपी के साथ डील करने के गंभीर आरोप लगाए हैं। हालांकि अभी तक शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे का बयान नहीं आया है।
शंभू नाथ गौतम, वरिष्ठ पत्रकार