सिरोही। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति देश के सर्वांगीण विकास का आधार होगी। इसे ध्यान में रखते हुए ही देश में ऐसी शिक्षा पद्धति और शिक्षण व्यवस्था की आवश्यकता थी जिससे युवा मैकाले शिक्षा की गुलाम मानसिकता की छाया से मुक्त हो सके।
नई शिक्षा नीति हमारे स्वतंत्रता के योद्धाओं के सपनों को पूरा करने वाली नीति है। यह विचार विद्या भारती जोधपुर प्रांत के निरीक्षक गंगा विष्णु ने नई शिक्षा नीति पर सिरोही में आयोजित नगर के प्रबुद्धजनों व गणमान्य नागरिकों की गोष्ठी एवं परिचर्चा को मुख्य वक्ता के रूप में संबोधित करते हुए व्यक्त किए।
आदर्श शिक्षा समिति परिवार एवं शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास सिरोही के तत्वावधान में आयोजित आदर्श विद्या मंदिर उच्च माध्यमिक प्रांगण में गुरुवार को बड़ी संख्या में उपस्थित शिक्षाविदों सहित अभिभावकगणों से मुखातिब होते हुए कहा कि आजादी के बाद भारत में भारतीयता की शिक्षा नीति लागू करने के लिए विभिन्न आयोग गठित हुए किंतु इन सभी आयोगों की सिफारिशें लागू नहीं हुई।
उन्होंने नई शिक्षा नीति में बड़े बदलावों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि इसमें भारत केंद्रित आधारित शिक्षा, गुणवत्ता युक्त शिक्षा, शिक्षक सम्मान, बालक का सर्वांगीण विकास सहित क्रांतिकारी बदलाव लाने वाली नीति बनाई गई है जो आने वाली पीढ़ी को सशक्त व मजबूत करेंगे। मुख्य वक्ता ने कहा कि हमारी शिक्षा नीति ठीक नहीं होने से देश में समस्याओं का अंबार खड़ा है।
उन्होंने कहा कि वर्तमान केंद्र सरकार देश की शिक्षा नीति को लेकर संवेदनशील व जागरूक है जिसके परिणाम परिणाम सुखद आएंगे। बताया कि हमारी वर्तमान शिक्षा यूरोप आधारित है अतः अधिकांश फैसले यूरोप के अनुसार होते हैं।
उन्होंने बताया कि एनईपी को तैयार करते समय एक समावेशी सहभागीऔर समग्र दृष्टिकोण के लिए एक समार्ग प्रक्रिया का पालन किया गया जो विशेषज्ञों के विचारों, क्षेत्रों के अनुभवों,अनुभव जन्य अनुसंधान हितधारकों सहित देशभर करीब सवा लाख ग्राम पंचायतों के सुझावों को सम्मिलित कर तथा प्रतिक्रिया के साथ-साथ सर्वोत्तम अभ्यास से सीखे गए पाठकों को ध्यान में रखा गया है।
उन्होंने कहा कि इसमें शिक्षा के बजट को सकल घरेलू उत्पाद जीडीपी के लगभग 6 अनुपात तक बड़ा है बढ़ाया है जो 2030 तक स्कूली शिक्षा में सौ प्रतिशत सकल नामांकन अनुपात के साथ प्रीस्कूल से सेकेंडरी लेवल तक शिक्षा के सार्वभौमीकरण की परिकल्पना करता है।
नई शिक्षा नीति के अनुसार भारत के पास अब नया स्कूली पाठ्यक्रम के साथ 12 साल की स्कूली शिक्षा और 3 साल की आंगनवाड़ी प्री स्कूलिंग की व्यवस्था होगी जो सभी छात्रों के सर्वांगीण विकास के केंद्र पर स्थापित किए जाएंगे।
गोष्ठी में बताया गया कि राष्ट्रीय अनुसंधान संस्कृति को बढ़ावा देने तथा अनुसंधान फाउंडेशन उच्च शिक्षा के लिए एक मजबूत आधार बनेगा, सभी विषयों में उत्कर्ष अनुसंधान प्रस्तावों के लिए प्रतिस्पर्धी वित्त पोषण प्रदान करना एनीपी का बहुत ही महत्वपूर्ण हिस्सा है इसमें व्यवसायिक शिक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता दी है और यह लक्षित किया गया है कि 2025 तक सभी शिक्षार्थियों में से 50% को व्यवसायिक शिक्षा प्राप्त हो सके।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए सेवानिवृत्त प्रधानाचार्य गणपतसिंह देवड़ा ने कहा कि इस नीति से संस्कृति का उत्थान होगा और विश्वास व्यक्त करते हुए कहा कि इसके क्रियान्वयन से सुखद परिणाम आएंगे। गोष्टी के प्रारंभ में काव्य गीत भारतीय शिक्षा का दर्शन अमृत है छलकाएंगे… का गान किया गया।
परिचर्चा के मंच पर आदर्श शिक्षा समिति के संरक्षक रामलाल रावल, जिलाध्यक्ष कैलाश जोशी, मौजूद थे। इस अवसर पर जिला व्यवस्थापक शंकरलाल पटेल,कोषाध्यक्ष छगनलाल माली, जिला सचिव लकाराम, स्थानीय विद्यालय के व्यवस्थापक गौरव काशिवा, प्रदीपसिंह गोयल, जय गोपाल पुरोहित, शिवप्रसाद व्यास, प्रधानाचार्य राजेश त्रिवेदी, सहा.प्रधानाचार्य राकेश पुरोहित, कैलाश जोशी, लुंबाराम चौधरी, शिवलाल जीनगर, लोकेश खंडेलवाल, श्रीमती नंदा चौहान, मीनल राठौड़, डिंपल मेवाड़ा, आशुतोष व्यास, जितेंद्र रावत सहित कई अन्य गणमान्य नागरिक एवं शिक्षक उपस्थित थे।