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कोरोना संक्रमितों को RTPCR नेगेटिव आने के 3 माह बाद ही लग पाएगा टीका - Sabguru News
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कोरोना संक्रमितों को RTPCR नेगेटिव आने के 3 माह बाद ही लग पाएगा टीका

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कोरोना संक्रमितों को RTPCR नेगेटिव आने के 3 माह बाद ही लग पाएगा टीका

जयपुर। कोरोना पॉजिटिव व्यक्ति को संक्रमण मुक्त होने तथा अस्पताल से डिस्चार्ज होने के पश्चात 3 माह की अवधि तक कोविड-19 वैक्सीन नहीं लगाई जाएगी।

चिकित्सा स्वास्थ्य के परिवार कल्याण विभाग तथा राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन ने चिकित्सा विभाग को कोविड-19 से संक्रमितों के वैक्सीनेशन को लेकर नई गाइड लाइन जारी की है।

चिकित्सा विभाग के शासन सचिव सिद्धार्थ महाजन में इस संबंध में सीएमएचओ एवं जिला प्रजनन व शिशु अधिकारियों को गाइडलाइन भेजी है। नेशनल एक्सपर्ट ग्रुप ऑफ वैक्सीन एडमिनिस्ट्रेशन फोर कोविड-19 के द्वारा टीकाकरण लागू करने की रणनीति के संदर्भ में मार्गदर्शन दिया जा रहा है।

महामारी के समय में उत्पन्न हुई परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए वैज्ञानिक तथ्यों व वैश्विक अनुभवों के आधार पर कोविड 19 टीकाकरण के संदर्भ में कुछ सुझाव दिए गए है, जिन्हें केन्द्र सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने स्वीकार किया है।

यदि किसी व्यक्ति को लैब टेस्ट द्वारा कोविड-19 बीमारी से ग्रसित पाया जाता है तो उसे रिकवर होने से तीन माह की अवधि तक कोविड 19 वैक्सीन नहीं लगाई जाएगी। कोविड-19 मरीज जिसे एंटी सार्स-टू-मोनो क्लोनल एंटीबॉडीज या कोनवेलसेंट प्लाज्मा दिया गया है तो उसे चिकित्सालय से डिस्चार्ज होने के बाद तीन माह की अवधि तक कोविड-19 वैक्सीन नहीं लगाई जाएगी।

किसी व्यक्ति को कोविड-19 वैक्सीन की प्रथम डोज लगाई गई है तथा निर्धारित समय पर दूसरी डोज प्राप्त करने से पूर्व उसे कोविड-19 संक्रमण होता है तो रिकवर होने के तीन माह की अवधि तक उसे कोविड 19 वैक्सीन नहीं लगाई जाएगी। यदि किसी व्यक्ति को अन्य बीमारियों के कारण चिकित्सालय अथवा आइसीयू में भर्ती किया गया हो तो उसे चार से आठ सप्ताह तक कोविड-19 वैक्सीन के लिए रुकना चाहिए।

कोविड-19 वैक्सीन लगाने के 14 दिन बाद कोई भी व्यक्ति रक्तदान कर सकता है। इसी तरह कोविड 19 बीमारी से ग्रसित व्यक्ति आरटीपीसीआर टेस्ट नेगेटिव होने के 14 दिन बाद रक्तदान कर सकेगा। समस्त धात्री महिलाओं को कोविड-19 वैक्सीन लगाई जा सकती है। वैक्सीन लगवाने से पूर्व लाभार्थी की रेपिडएंटीजन टेस्ट से स्क्रीनिंग करवाने की आवश्यकता नहीं है।

जयपुर में दो बड़े अस्पतालों पर कार्रवाई

कोरोना के उपचार में काम आने वाली दवाइयों की अनियमित बिक्री पर औषधि नियंत्रण संगठन की सख्ती एवं जांच को देखते हुए कई अस्पतालों एवं मेडिकल स्टोर पर औषधियों का विक्रय रिकॉर्ड गायब मिला।

औषधि नियंत्रक राजाराम शर्मा ने बताया कि रविवार को चौमू के दो बड़े अस्पताल, चैमू महिला एवं आई हॉस्पिटल तथा सिद्धिविनायक हॉस्पिटल एवं रिसर्च सेंटर की जांच औषधि नियंत्रण अधिकारियों की टीम द्वारा की गई जिसमें मुख्य अनियमितता सामने आई कि दोनों ही अस्पतालों द्वारा मरीजों को बिल जारी नहीं किए जा रहे थे ना ही औषधियों का रिकॉर्ड संधारित किया जा रहा था तथा दोनों ही अस्पतालों में शेड्यूल एच1 औषधियों के रिकॉर्ड भी संधारित नहीं पाए गए।

शर्मा ने बताया कि सिद्धि विनायक हॉस्पिटल एवं रिसर्च सेंटर में औषधि ऑक्सीटॉसिन के विक्रय में अनियमितताएं पाई गई। वहीं चैमू महिला एवं आई हॉस्पिटल में कोविड संबंधित दवाओं जैसे एनोक्सापरिन, टेजार इंजेक्शन एवं फैबी इफ्लू के विक्रय में भारी अनियमितताएं पाई गई।

उक्त औषधियों के फिजिकल स्टॉक एवं कंप्यूटर स्टॉक में अंतर पाया गया, जिससे दवाओं के बिना बिल विक्रय की पुष्टि की गई। अस्पताल में एक बिना लाइसेंस का गोडाउन भी पाया गया, जहां पर लाइसेंस के अभाव में संधारित एवं विक्रय की जा रही औषधियों की कीमत दो लाख 77 हजार थी, को फॉर्म 16 भरकर जप्त किया गया।

निजी अस्पतालों में ब्लैक फंगस और कोविड संबंधी जांचों की दरें निर्धारित

राजस्थान में म्यूकोरमायकोसिस (ब्लैक फंगस) के बढ़ते मामलों को देखते हुए राज्य सरकार ने निजी अस्पतालों में कोविड और ब्लैक फंगस से संबंधित विभिन्न जांचों की दरें निर्धारित कर दी गई है।

प्रदेश के चिकित्सा मंत्री डॉ. रघु शर्मा ने बताया कि प्रदेश में निर्धारित दरों से अधिक राशि वसूलने वालो पर कड़ी नजर रखने के निर्देश दिए गए हैं। उन्होंने कहा कि ब्लैक फंगस के लिए अधिकृत अस्पतालों की संख्या को भी 20 से बढ़ाकर 24 कर दिया गया है। निर्धारित मापदंड पूरा करने वाले चार ओर अस्पतालों को ब्लैक फंगस के लिए अधिकृत अस्पतालों की सूची में शामिल किया गया है।

चिकित्सा विभाग के प्रमुख शासन सचिव अखिल अरोड़ा ने इस संबंध में आज विस्तार से अलग अलग आदेश जारी किए हैं। कोविड-19 एवं ब्लैक फंगस की रोकथाम तथा इससे बचाव के लिए निजी अस्पतालों के प्रतिनिधियों एवं विषय विशेषज्ञों के साथ विचार विमर्श के बाद जन सामान्य के लिए संबंधित जांचों की दरें तय कर दी है। उन्होंने बताया कि इन जांचों में सीबीसी से लेकर एमआरआई तक की विभिन्न जांचें शामिल हैं।

ब्लैक फंगस के मामलों में बढ़ोतरी को देखते हुए राज्य सरकार ने अधिकृत अस्पतालों की सूची में 4 नाम और जोड़े हैं। पूर्व में सभी मापदंडों और प्रोटोकॉल की पालना करने वाले 20 अस्पतालों की सूची जारी की गई थी, अब इनमें मेडिकल कॉलेज, भरतपुर, पेसिफिक मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पीटल, उदयपुर, जीबीएच अमरीकन हॉस्पीटल, उदयपुर, चिरायु हॉस्पीटल, जयपुर और अपेक्स हॉस्पीटल, जयपुर को भी शामिल कर लिया गया है। इन अस्पतालों को ब्लैक फंगस रोग के उपचार के लिए मुख्यमंत्री चिरंजीवी योजना से भी संबद्ध किया गया है।