नई दिल्ली। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा है कि गलवान घाटी में हुई झड़प के बाद भारत-चीन के संबंधों ने एकदम नया मोड़ ले लिया है और अब चीन के साथ संबंधों की चुनौती बहुत बड़ी है।
उन्होंने कहा कि पिछले वर्ष लद्दाख सीमा पर पर इतनी बड़ी संख्या में सैनिकों को अभियान के लिए तैनात करने का चीन के पास कोई उचित कारण नहीं था। इस घटना के परिणामस्वरूप दोनों पड़ोसियों के बीच अत्यधिक तनाव बढ गया था।
आस्ट्रेलिया की नेशनल यूनिवर्सिटी में क्वाड के महत्व पर आयोजित एक कार्यक्रम में वर्चुअल माध्यम से हिस्सा लेते हुए जयशंकर ने कहा कि जब 1975 में अपेक्षाकृत हल्की झड़प हुई थी तो सीमा पर कोई हताहत नहीं हुआ था।
उन्होंने कहा कि पिछले वर्ष जो हुआ वह एकदम अलग था। गलवान घाटी घटना का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि उस समय चीन ने सीमा पर बड़ी संख्या में सैनिकों को अभियान के तहत तैनात किया था जबकि उसके पास इसका कोई उचित कारण नहीं था और जब हमने इस पर प्रतिक्रिया की तो इसने गंभीर झड़प का रूप ले लिया।
इसके बाद से संबंध एकदम अलग दिशा में चले गए हैं। उन्होंने कहा कि अभी भारत के लिए चीन के साथ संंबंध बड़ी चुनौती है और इसका कारण यह है कि कायदों में बदलाव आ गया है।
जयशंकर ने कहा कि 1988 में जब प्रधानमंत्री राजीव गांधी चीन गए तो नए संबंधों की शुरूआत हुई जिससे कि सीमा पर शांति का माहौल बने। इसके बाद विभिन्न समझौतों से दोनों के बीच विश्वास बढा और व्यवस्था बनी। गलवान घाटी में दोनों देशों की सेनाओं के बीच पिछले वर्ष 15 जून को हुई झड़प में भारत के 20 सैनिक शहीद हुए थे।