सोनी सब का फंतासी शो ‘अलादीन ‘ नाम तो सुना होगा बच्चों से लेकर बड़ों तक, सभी का पसंदीदा बना हुआ है। इस शो की पूरी टीम परदे पर अपना जादू चलाने में कामयाब रही है, फिर भी वह अपने नये सेटअप के साथ सामंजस्य बिठाने की कोशिश कर रहे हैं। ये अभी हाल ही में नये सेट पर शिफ्ट हुए हैं। यह नयी शुरुआत कुछ लोगों के लिये तो अच्छी है लेकिन कुछ के लिये परेशानी का सबब बनी हुई है।
यास्मीन की भूमिका निभा रहीं, अवनीत कौर ने बताया कि नायगांव में लगाये गये नये सेट का माहौल उन्हें पसंद आ रहा है, ‘’पॉजिटिव माहौल के साथ नया सेट वाकई कमाल का है। सारे को-स्टार्स मेरे परिवार की तरह हैं, इसलिये ऐसा लगता है कि हम नये घर में आ गये हैं। नायगांव वाकई बहुत खूबसूरत जगह है और मैंने पहले भी यहां काम किया है। यहां बहुत ही कम ट्रैफिक है और बहुत ही कम लोग हैं, इसलिये मुझे खुशी है हम यहां आ गये। थोड़ी बहुत कमियां है जैसे ट्रैवल करना थोड़ा मुश्किल है। वैसे हमारे पहले वाले सेट से यह सेट बड़ा है और इसे काफी अच्छी तरह से सजाया भी गया है। हमारे कमरे भी पहले से बड़े हैं। इसलिये, पूरा माहौल ही बदला हुआ है, अच्छा है।‘’
जिनी मिनी की भूमिका निभा रहीं, प्यारी-सी सोनल भोजवानी पहले वाले सेट को छोड़कर काफी खुश हैं, जैसा कि उनका कहना है, ‘’पिछले 6 महीनों से यह वह जगह थी जहां मैं अपने दिन के कम से कम 6 दिन गुजारा करती थी, इसलिये उस सेट को छोड़ना और नये सेट पर जाना थोड़ा मुश्किल था। लेकिन जिन लोगों के साथ मैं काम कर रही हूं वो तो वही होंगे, जिससे मुझे नयी जगह पर सामंजस्य बिठाने में मदद मिल रही है। आगे अपनी बात जोड़ते हुए सोनल कहती हैं।
यह सब प्रोडक्शन हाऊस द्वारा की गयी अच्छे कैटरर की व्यवस्था का कमाल है, इससे हमें उस खाने की याद नहीं आयेगी, जोकि हम फूड डिलिवरी एप्प से फिल्म सिटी के सेट पर मंगवाया करते थे। मुझे सेट पर स्टारबक्स से मंगायी गयी कॉफी की आदत हो गयी थी, जिसे अब मैं मिस कर रही हूं। इसके अलावा, नया सेट खूबसूरत है साथ ही साथ बड़ा भी और सारी चीजें नई हैं। सेट तक आने का रास्ता भी वाकई बहुत अच्छा है और सुबह सेट तक ड्राइविंग करके आना मजेदार लगता है।
दो बेहद खूबसूरत युवा नये सेट को देखकर बेहद खुश हैं, जबकि सीनियर कलाकारों की सोच अलग है। इस शो में जफ़र की भूमिका निभा रहे, आमिर दल्वी को पहले वाला सेट ज्यादा पसंद था, उन्होंने कहा, ‘’मुझे लगता है कि तकनीकी रूप से और दूरी के लिहाज से नायगांव की तुलना में पहले हम फिल्मसिटी में ज्यादा बेहतर सेटअप में थे। हर दिन आने-जाने में 3 घंटे का समय लगता है और यह थोड़ा मुश्किल है।
हम इस नये सेटअप में सहज होने की कोशिश कर रहे हैं और उम्मीद करता हूं कि जल्द ही ऐसा हो जाये। वैसे अभी तक तो ऐसा होता हुआ नहीं दिख रहा, क्योंकि सेट काफी दूर है और पिछले वाले सेट पर हमने लगभग 1 साल तक काम किया था। इन सबके अलावा, फिल्मसिटी से हमेशा ही ऐसा महसूस होता है कि हम इंडस्ट्री के करीब हैं, लेकिन नायगांव से आउटडोर जैसा महसूस होता है।