सबगुरु न्यूज-सिरोही। नगर परिषद क्षेत्र के आदर्श नगर स्थित खसरा संख्या 1218 की जमीनों को औने पौने दामों पर खुर्द बुर्द कर पट्टे जारी करने के मामले में राज्य सरकार ने सिरोही सभापति ताराराम माली से स्पष्टीकरण मांगा है।
गत महीने भी सिरोही सभापति को अनियमित तरीके से 10 जनों को नौकरी देने का मामले में नोटिस जारी किया था जिसके लिए जुलाई में ही स्थानीय निकाय विभाग में स्पष्टीकरण प्रस्तुत करना था। उलेखनीय है कि अनियमित तरीके से नौकरी के प्रकरण की तरह ही खसरा संख्या 1218 का कब्जा लेने और पत्रवलियाँ निरस्त किये जाने के प्रकरण का खुलासा भी सबगुरु न्यूज ने ही किया था।
-ये है नोटिस में
स्वायत्त शासन विभाग के निदेशक उज्ज्वल राठौड़ द्वारा सिरोही सभापति ताराराम माली को भेजे गए नोटिस में पूछा गया है कि उन्होंने सभापति पड़ पर रहते हुए खसरा संख्या 1218 की 13 पत्रवलियाँ के पट्टे जारी कर दिए थे जबकि इस भूमि पर से अतिक्रमण हटाकर तत्कालीन समय में पत्रवलियाँ निरस्त कर दी गई थी।
नोटिस में आरोप लगाया गया है कि इन निरस्त पत्रावलियों की जगह नियम विरुद्ध 9 जनवरी 2015 को नई पत्रवलियाँ तैयार की गई।
आनन फानन में इन 13 पत्रवलियों की राशि जमा करवाकर 13 जनवरी 2015 को अवैधानिक तरीके से 13 पट्टे जारी कर दिए गए जबकि ये खसरा राजस्व रेकर्ड में दर्ज है। डीएलबी ने इन नई पत्रवलियाँ तैयार करने और 13 पट्टे जारी करने के मामले में सिरोही सभापति को जिम्मेदार ठहराते हुए उनसे 15 दिन में जवाब मांगा है।
-लालसिंह राणावत थे तब आयुक्त
सिरोही नगर परिषद में भाजपा के बोर्ड, सिरोही में भाजपा के विधायक और राज्य में भाजपा की सरकार रहते हुए भारी अनियमितताएं होने के आरोप लगे। इससे पूर्व कांग्रेस का बोर्ड में राज्य में वसुंधरा सरकार आ चुकी थी। उस बोर्ड के अंतिम समय में शहर का सबसे बड़ा सीसीटीवी घोटाला हुआ। जो एसीबी में चार्जशीट के स्तर पर अटका हुआ है।
तत्कालीन विधायक ओटाराम देवासी के समक्ष भी ये बात आई। इसके बाद भाजपा का बोर्ड बनने पर लालसिंह राणावत अपने रिटायरमेंट तक सिरोही के आयुक्त रहे और इस दौरान जमीन और स्टोर के घोटाले हुए जिनमे 4 प्रकरण एसीबी में दर्ज हो चुके हैं। ताराराम माली को राज्य सरकार से जो नोटिस मिले उन दोनों ही प्रकरण में आयुक्त लालसिंह राणावत था। वो अब रिटायर हो चुके हैं और तलवार सभापति पर लटक रही है।
सबसे ज्यादा शर्मनाक बात ये है कि अपने निजी हित नहीं सधने पर राजे सरकार में सिरोही में 3 आईएएस अधिकारियों समेत कई आला अधिकारियों के ट्रांसफर करवाने का आरोप भाजपा के नेताओं पर लगे। लेकिन शहर की सम्पत्ति खुर्द बुर्द करके भ्रष्टाचार को नई ऊंचाई पर पहुंचाने वाले नगर परिषद के अधिकारियों को नहीं हटाया गया।
ऐसे ही औने पौने दामों में जमीनों को खुर्द बुर्द करने के और भी मामले अभी पाइप और फाइलों में हैं। जिनमे 1218 के करीबी एक अन्य खसरा, मांडवा हनुमान मंदिर के पास हाइवे पर स्थित भूमि के पट्टे, सेंट पोल स्कूल के निकट 23 हजार वर्गफुट जमीन का पट्टा जारी करने, एक ही परिवार को स्ट्रिप ऑफ लेंड टुकड़े-टुकड़े में अलॉट करके पूरा कॉमर्शियल प्लाट दे देने के मामले शामिल हैं।
-भाजपा सत्ता में रुकी रही जांच
अगर खसरा संख्या 1218 के इन पट्टों की तिथि पर गौर किया जाए तो स्पष्ट है कि ये ताराराम माली के सिरोही सभापति के रूप में कार्यभार ग्रहण करने से 2-3 महीने बाद ही बना दिये गए थे। इस प्रकरण की एफआईआर एसीबी में भी दर्ज है। मार्च 2016 में उसके भी बयान हो चुके थे।
इतना ही नहीं पूर्व तहसीलदार वीरेन्द्रसिंह ने 1218 के पट्टों को निरस्त भी कर दिया था। लेकिन राज्य में भाजपा की सत्ता होने के कारण तो स्वायत्त शासन विभाग की, न एसीबी की और न ही राजस्व विभाग इस प्रकरण में आगे कुछ नहीं हो पाया।