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nine sentenced to life in Dinakaran newspaper office bomb attack case-दिनाकरन अखबार पर बम हमले मामले में नौ को आजीवन कारावास - Sabguru News
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दिनाकरन अखबार पर बम हमले मामले में नौ को आजीवन कारावास

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दिनाकरन अखबार पर बम हमले मामले में नौ को आजीवन कारावास

मदुरै। मद्रास उच्च न्यायालय की मदुरै पीठ ने 2007 में दिनाकरन समाचारपत्र पर पेट्रोल बम हमले मामले में निचली अदालत के फैसले को पलटते हुए 16 को सजा सुनाई। नौ अभियुक्तों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है।

दिनाकरन समाचारपत्र पर वर्ष 2007 में पेट्रोल बम हमले में तीन लोगों की जलकर मौत हो गई थी। निचली अदालत ने इस मामले में सभी 17 आरोपियों को बरी कर दिया था। केंद्रीय जांच ब्यूरो ने निचली अदालत के फैसले को चुनौती दी थी।

न्यायाधीश पीएन प्रकाश और बी पूग्लेंधी की खंडपीठ ने नौ को आजीवन कारावास की सजा सुनाई। उम्र कैद की सजा पाने वालों में द्रमुक के निष्कासित नेता पूर्व केंद्रीय मंत्री एम के आझागिरी का समर्थक मुख्य अभियुक्त वीपी पांडी उर्फ ‘अटैक पांडी’ भी शामिल हैं। सात अन्य को पांच वर्ष की सजा सुनाई गई है।

उम्र कैद की सजा पाने वाले आठ अन्य में अराकइयाप्रभु उर्फ प्रभु, विजया पांडी, पी कांडासामी, जी रमैय्या पांडियन, वी सुधाकर, थिरुमुरुगन उर्फ कट्टूवासी मुरुगन, आई रुबन और मलिक बातचा शामिल हैं।

खंडपीठ इस मामले में उस समय के ओमाचीकुलम के पुलिस उपाधीक्षक राजाराम को 25 मार्च को सजा सुनाएगी। राजाराम को खंडपीठ ने 25 मार्च को न्यायालय के समक्ष हाजिर रहने का निर्देश दिया है। उनपर आरोपियों पर मदद का आरोप है।

न्यायालय ने राज्य सरकार को इस हमले में मारे गए तीनों लोगों के परिवार को तीन माह के भीतर प्रत्येक को पांच-पांच लाख रुपए का मुआवजा देने का भी निर्देश दिया है। इस हमले में गोपीनाथ, विनोद और मुत्थुरामलिंग की मौत हो गई थी।

मदुरै शहर में हुए इस हमले के मामले में 12 साल बाद फैसला आया है। न्यायालय ने 13 मार्च को इस पर फैसला सुरक्षित रख लिया था। मुदुरै की प्रधान जिला और सत्र अदालत ने दिसंबर 2009 में पर्याप्त साक्ष्यों के अभाव में सभी को बरी कर दिया था। सीबीआई ने इस फैसले को चुनौती देते हुए उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी।

गौरतलब है कि द्रमुक के स्वर्गीय नेता एम करुणानिधि के भतीजे कलानिधि मारन के तमिल समाचार पत्र कार्यालय पर नौ मई 2007 को पेट्रोल बम से हमला किया गया था। समाचारपत्र में एक सर्वेक्षण प्रकाशित किया गया था जिसमें द्रमुक अध्यक्ष एमके स्टालिन को बड़े भाई एमके आझागिरी की तुलना में करुणनिधि का अधिक पसंदीदा बताया गया था। इस सर्वेक्षण के समाचारपत्र में प्रकाशित होने के बाद पांडी की अगुवाई में दिनाकरन समाचारपत्र के कार्यालय पर हमला किया गया जिसमें तीन लोगों की मौत हो गई थी।