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Nitin Gadkari calls on road mapping criteria not changed - सड़कों के मापदंड में कोई बदलाव नहीं हुआ: नितिन गडकरी - Sabguru News
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सड़कों के मापदंड में कोई बदलाव नहीं हुआ: नितिन गडकरी

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सड़कों के मापदंड में कोई बदलाव नहीं हुआ: नितिन गडकरी
Nitin Gadkari calls on road mapping criteria not changed
Nitin Gadkari calls on road mapping criteria not changed
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नयी दिल्ली । सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने विपक्ष के निर्मित सड़कों की लम्बाई नापने के मापदंड में बदलाव करने के आरोप को खारिज करते हुए कहा है कि इसके मापदंड में कोई बदलाव नहीं हुआ है और आज हर राेज 32 किलोमीटर सड़क का निर्माण किया जा रहा है।

गडकरी ने बातचीत में कहा कि 2014 में मोदी सरकार के गठन के बाद से ही देश में ढांचागत विकास पर विशेष ध्यान दिया गया और तेजी से सड़कों का निर्माण किया गया। वर्षाें से लम्बित पड़ी कड़ी परियोजनाओं से जुड़े विवादों का निपटान कर काम शुरू किया गया। उन्होंने कहा कि काम की रफ्तार बढाई गई है और हर दिन अब 32 किलोमीटर सड़कों का निर्माण किया जा रहा है।

विपक्षी दलों द्वारा चार लेन की एक किलोमीटर निर्मित सड़क को एक किलोमीटर की बजाय चार किलोमीटर बताने के आरोप संबंधी सवाल पर उन्होंने कहा कि सड़कों के निर्माण की लम्बाई नापने की जो पद्धत्ति संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन के समय थी उसी को अपनाया गया है और मापदंड में कोई बदलाव नहीं किया गया है।

यह पूछने पर कि विपक्षी दल राष्ट्रीय राजमार्ग विकास प्राधिकरण (एनएचएआई) को डेढ लाख करोड़ रुपए के कर्ज में डुबोने का भी आरोप लगा रहे है, गडकरी ने कहा कि यह आरोपाें भी बेबुनियाद है। एनएचएआई को कर्ज में नहीं डुबोया बल्कि लाभ में पहुंचा दिया है। उन्होंने कहा कि एनएचएआई अब सड़के बेचकर पैसा कमा रहा है। एक सौदे में उसे सिर्फ 6400 करोड़ रुपए मिलने थे लेकिन बाद में उसी काम के लिए उसे 9600 करोड़ रुपए मिले हैं।

उन्होंने कहा कि अब स्थिति बदली है और लोग एनएचएआई के पीछे उसे पैसा देने के लिए घूम रहे हैं। सड़कों के निर्माण के लिए एनएचएआई के पास पैसे की कमी नहीं है। इस संगठन की आर्थिक स्थिति बहुत मजबूत हुई है। उन्होंने कहा कि 2014 में उन्होंने जब सड़क परिवहन मंत्रालय का काम संभाला था, उस समय 430 परियोजनाएं बंद पड़ी थीं और उन्होंने इन परियोजनाओं को शुरू कराया है। कांग्रेस की सरकार ने उस समय बैंकों के तीन लाख करोड़ रुपए गैर निष्पादित राशि (एनपीए) में डाल दिए थे लेकिन उन्होंने बैंकों को उस एनपीए से बाहर निकाला है।