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Nitish Kumar says Govt aims to make IGMS special hospital of 2500 beds - सरकार का आईजीएमएस को 2500 शय्या का विशिष्ट अस्पताल बनाने का लक्ष्य- नीतीश - Sabguru News
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सरकार का आईजीएमएस को 2500 शय्या का विशिष्ट अस्पताल बनाने का लक्ष्य- नीतीश

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सरकार का आईजीएमएस को 2500 शय्या का विशिष्ट अस्पताल बनाने का लक्ष्य- नीतीश
Nitish Kumar says Govt aims to make IGMS special hospital of 2500 beds
Nitish Kumar says Govt aims to make IGMS special hospital of 2500 beds
Nitish Kumar says Govt aims to make IGMS special hospital of 2500 beds

पटना । बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आज कहा कि पटना स्थित इन्दिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान (आईजीएमएस) को 2500 शय्या का विशिष्ट अस्पताल बनाने का लक्ष्य है।

कुमार ने आज यहां आई जी एम एस परिसर में 500 शय्या वाले अस्पताल भवन निर्माण का शिलान्यास और भूमि पूजन कर कार्यारंभ करने के बाद कहा कि आई0जी0आई0एम0एस0 को 2500 बेड का अस्पताल बनाने का लक्ष्य है। आज से 500 बेड के अस्पताल का निर्माण कार्य शुरू हुआ है और 1200 बेड का भी विस्तृत परियोजन प्रतिवेदन (डी पी आर) बनकर तैयार है, जल्द ही स्वीकृत कर उसका भी टेंडर किया जायेगा। उन्होंने कहा कि आई0जी0आई0एम0एस0 को चिकित्सा क्षेत्र में आदर्श बनाने का सरकार का सपना है। अभी यहां कैंसर संस्थान भी कार्य कर रहा है और अन्य बीमारियों का भी इलाज बेहतर तरीके से किया जा रहा है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि आई0जी0आई0एम0एस0 को एम्स दिल्ली की तरह बनाना है। इसकी स्थिति धीरे-धीरे बिगड़ती जा रही थी लेकिन जब नवम्बर 2005 में उनकी सरकार बनी तक आई0जी0आई0एम0एस0 के विस्तार के लिये फंड का आवंटन शुरू हुआ। अब यहां ज्यादा संख्या में मरीज इलाज के लिये आ रहे हैं। उन्होंने आश्वस्त किया कि राज्स सरकार डॉक्टर, नर्स, पारा मेडिकल स्टाफ, प्रशासनिक अधिकारी, विशेषज्ञ एवं अन्य जरूरतों के लिये संसाधन उपलब्ध कराने में पीछे नहीं रहेगी। सरकार के निर्णय के अनुसार हर एक मेडिकल कॉलेज में नर्सिंग कॉलेज बनाया जा रहा है, जिससे नर्सों की उपलब्धता सुनिश्चित होगी।

कुमार ने कहा कि पटना मेडिकल कॉलेज अस्पताल (पी0एम0सी0एच0) राज्य का पुराना और प्रतिष्ठित अस्पताल रहा है, जहां नेपाल, पूर्वी उत्तरप्रदेश, असम और दूसरे राज्य के मरीज इलाज के लिये पहले आते थे। अब सरकार फिर से इसे एक आदर्श अस्पताल के रूप में बनाना चाह रही है। सरकार की योजना इसे अन्तर्राष्ट्रीय स्तर का अस्पताल बनाने की है जहां मरीजों के उपचार के लिए 5400 बेड होंगे। दुनिया में इतनी बड़ी संख्या के बेड का अस्पताल कहीं नहीं है। उन्होंने कहा कि इसके लिए डी पी आर तैयार है और इसके निर्माण की स्वीकृति भी मिल गयी है। तीन से चार वर्षों में तीन-चार फेज में इसका निर्माण कार्य किया जायेगा।

मुख्यमंत्री ने कहा कि आई0जी0आई0एम0एस0 भी 2500 बेड का विशिष्ट अस्पताल होगा। यहां उच्च शिक्षा का भी विस्तार किया गया है। आई0जी0आई0एम0एस0 को बेहतर इलाज के साथ-साथ रिसर्च के क्षेत्र में भी अच्छा काम करना चाहिये। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार का उद्देश्य है कि कम से कम बीमारी हो और जो बीमारी हो उसका बेहतर तरीके से राज्य में ही इलाज हो सके। किसी को मजबूरी में इलाज के लिये बिहार से बाहर जाना न पड़े, ऐसी व्यवस्था बनाने में उनकी सरकार लगी हुई है।

कुमार ने कहा कि हर घर नल का जल योजना के तहत लोगों को शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराया जा रहा है और खुले में शौच से मुक्ति के लिये केन्द्र की योजना एवं बिहार सरकार के लोहिया स्वच्छता अभियान कार्यक्रम के तहत हर घर में शौचालय का निर्माण कराया जा रहा है। उन्होंने कहा कि यदि पीने का शुद्ध पेयजल और खुले में शौच से मुक्ति मिल जाय तो खासकर ग्रामीण इलाकों में आज कल होने वाली 90 प्रतिशत बीमारियों से छुटकारा मिल जायेगा।

मुख्यमंत्री ने कहा कि जनगणना के आंकड़े से पता चलता है कि दस वर्षों में राज्य की जनसंख्या में 23 से 24 प्रतिशत वृद्धि होती है। प्रजनन दर कम करने के लिये भी उनकी सरकार काम कर रही है। वर्ष 2012 में आंकलन से पता चला कि परिवार में यदि पत्नी मैट्रिक पास है तो देश का प्रजनन दर 2 और बिहार का भी प्रजनन दर 2 था। अगर पत्नी 12 वीं पास है तो देश का प्रजनन दर 1.7 और बिहार का उससे भी कम था।

उन्होंने कहा कि इसके आधार पर उनकी सरकार ने निर्णय लिया कि लड़कियों को शिक्षित करने के लिये हर एक ग्राम पंचायत में उच्च माध्यमिक विद्यालय का निर्माण कराया जाये । छह हजार ग्राम पंचायतों में यह काम पूरा हो गया है और अगले साल तक सभी ग्राम पंचायतों में नौ वीं कक्षा तक की पढ़ाई शुरू हो जायेगी।

कुमार ने कहा कि एक सर्वे के अनुसार यहां के गरीब परिवार के लोग अपनी आमदनी का 40 प्रतिशत खर्च अपने इलाज पर करते हैं। बिहार में वर्ष 2005 में जब उनकी सरकार बनी थी तब हर प्रखंड के एक प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र पर एक महीने में औसतन 39 मरीज ही इलाज के लिये आते थे। उनकी सरकार ने डॉक्टर, पारा मेडिकल स्टाफ और मुफ्त दवा की व्यवस्था की जिसके बाद वर्ष 2006 के दिसम्बर में जब सर्वे कराया तो प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र पर इलाज कराने वाले मरीजों की संख्या 1 हजार से 1500 तक पहुंच गयी और आज एक प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र पर एक महीने में औसतन 10 हजार से ज्यादा मरीज इलाज के लिये आते हैं।

कार्यक्रम को केन्द्रीय कानून, संचार, सूचना एवं प्राद्यौगिकी मंत्री रविशंकर प्रसाद, उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी, केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे, बिहार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पाण्डेय, विधायक संजीव चौरसिया, स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव संजय कुमार, आईजीआईएमएस के निदेशक प्रो0 डा0 एन0आर0 विश्वास ने भी संबोधित किया।